ध्यान आपको सम्पूर्ण विश्राम देता है और साथ साथ आपकी सजगता को भी तीव्र करता है।
सजगता के माध्यम से पीड़ा में परिवर्तन | Transform Pain - With Awareness
जब हम अपनी चेतना को विस्तृत कर लेते हैं तब हम अपने शरीर में होने वाली सब संवेदनाओं के प्रति सजग हो जाते हैं और अनुभव करते हैं कि हमारी संवेदनाओं में सदैव परिवर्तन होता रहता है। संवेदना चाहे गहन पीड़ा की हो अथवा गहन आनंद की, दोनों में ही सुखद भाव जागृत होने की संभावना उत्पन्न हो जाती है।
प्रेम और पीड़ा में एक करीबी सम्बन्ध है। क्रूस (सलीब) पर येशु इस बात के प्रतीक हैं कि क्रूस पीड़ा है व येशु प्रेम। वे सदा एक दूसरे के साथ हैं। सजगता से पीड़ा और प्रेम दोनों परमानंद में परिवर्तित व लीन हो जाती हैं।
सजगता के साथ संदेह घट जाता है | Doubts Subside - With Awareness
क्या आपने अनुभव किया है कि हम अनायास ही सदैव सकारात्मक बातों के बारे में संदेह करते हैं? जैसे कि:
- जब आप खुश होते हैं, तो आप संदेह करते हैं : "क्या मैं वाकई में खुश हूँ?"
- यदि कोई आपको कहता है कि वे आपसे प्रेम करते हैं, तो आप कहते हैं : "वास्तव में? क्या आपको सचमुच यकीन है?"
हम जीवन में कभी भी किसी नकारात्मक बात पर संदेह नहीं करते। जैसे कि:
- आप किसी के या स्वयं के क्रोध पर संदेह नहीं करते।
- आप कभी अपने अवसाद/उदासी पर संदेह नहीं करते।
- यदि कोई आपको बताता है कि वे आप से नफ़रत करते हैं, तो आप उस पर भी संदेह नहीं करते हैं।
हम यह मान कर चलते हैं कि हर कोई कपटी या धोखेबाज है और हम उस व्यक्ति की खोज करते हैं जिस पर हम भरोसा कर सकें। संसार में यह कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है।
यदि आप अन्य लोगों की नकारात्मकता पर संदेह कर पाएँ तो आप वास्तविकता के करीब आ जाएँगे।
इसी सजगता के साथ आपके शरीर की ऊर्जा के स्तर में भी वृद्धि हो जाती है।
- आप देखेंगे कि आपके सब संदेह गायब हो जायेंगे।
- मन में और भी अधिक स्पष्टता आ जाएगी।
- मन से भ्रम दूर हो जाएगा।
ध्यान मन का विस्तृकरण करता है | Meditation is Expansion of the Mind
ध्यान एक ऐसी तकनीक है जिसमें मन फैलता है और विश्राम करता है।
- जब भी आप खुश होते हैं तो आप को लगता है कि आपके भीतर कुछ फैल रहा है।
- जब भी आप विश्राम कर रहे होते हैं, तो आप स्वचालित रूप से विस्तार कर रहे होते हैं।
इस विस्तार को समझ लेना अति आवश्यक है - यह समझने के पश्चात् आपको कुछ भी परेशान नहीं कर सकता या आपसे आपकी मुस्कान नहीं ले सकता।
अन्यथा, कुछ छोटी छोटी बातें आपका संतुलन बिगाड़ सकती हैं। उदासी की अभिव्यक्ति मन का संकुचन है। आपका मन और आपका जीवन इस पीड़ा और दुःख से गुजरने के लायक नहीं हैं।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी द्वारा निर्देशित ध्यान करने हेतु
ध्यान के साथ अंतर्ज्ञान की सजगता का विकास | Develop Intuitive Awareness - With Meditation
अंतर्ज्ञान की सजगता, अंतर्ज्ञान का एक अभिन्न पहलू है जो आपकी मदद के लिए आता है। यदि आप में अंतर्ज्ञान की कमी है तो आप सफल नहीं हो सकते। अंतर्ज्ञान सिर्फ एक नीरस सोच नहीं है। यह भीतर की अनुभूति, भावना और बुद्धि का संयोजन है - "अंतर्नाथ, अंतर्ज्ञान"।
यदि आप अपने समाज में सबसे अधिक सफल लोगों से पूछेंगे, तो वे भी इसी बात की पुष्टि करेंगे। उन्होंने अंतर्ज्ञान के आधार पर कृत्य किया और उन्हें सफलता मिली। यह उनकी तार्किक योजना या सोच का फल नहीं था। तर्क की आवश्यकता होती है परन्तु वह अपने आप में प्रयाप्त नहीं है। अंतर्ज्ञान को जगा कर उसकी सजगता की सहायता लेनी होगी, और अधिक से अधिक मुस्कान का आवरण पहनना होगा।
ध्यान से प्राण में वृद्धि होती है। => प्राण से सजगता की वृद्धि होती है। => बढ़ी हुई सजगता आपको वास्तविकता के करीब लाती है।
पतंजलि योगसूत्र पर व्याख्या करते हुए श्री श्री रवि शंकर कहते हैं: "(आध्यात्मिक विकास से संसार का) अवलोकन करने की इच्छा उत्पन्न होती है। आप पूरी तरह से विश्रामयुक्त हो जाते हैं, आपमें सजगता की तीव्रता उत्पन्न हो जाती है और बुद्धि शक्तिशाली हो जाती है। आपकी इन्द्रियाँ स्पष्ट हो जाती हैं। आप अच्छे से देख, सोच और सुन सकते हैं। एक शुद्ध स्फटिक की तरह, आपकी इन्द्रियाँ सभी वस्तुओं में देवत्व भाव को देख पाती हैं। "
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पतंजलि सूत्रों पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी का विस्तृत प्रवचन पढ़ने हेतु - यहाँ क्लिक करें।