ज्ञान के लेख (Wisdom)

अवसाद | डिप्रेशन क्या है? लक्षण | Depression in Hindi

डिप्रेशन (अवसाद) क्या है? | Depression Kya Hai

अमेरिकन सैकेट्रिक असोसिऐसन (American psychiatric association) के अनुसार अवसाद एक सामान्य किंतु गम्भीर मनोविकार है। जो हमारे अंदर नकारात्मक विचारों और कृत्यों का उत्पन्न करता है।

अवसाद किस में पाया जाता है ?

नवजात शिशु से लेकर बुजुर्गों तक में अवसाद देखा गया है।

बच्चो और व्यस्कों में भी डिप्रेशन की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांक्षी होना इन्हें और बढ़ाता है। मुख्यतः चालीस वर्ष को मीन ऐज (Age) माना गया है डिप्रेशन की शुरुवात के लिए, किंतु यह हर उम्र में हो सकता है। W.H.O. (डब्लू.एच.ओ.) के अनुसार हर 6 महिला में 1 और 8 पुरुषों में 1 (एक) डिप्रेशन का शिकार है।

आत्महत्या- विश्व में आठ लाख (800000) लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, W.H.O.के डाटा के अनुसार इनमें से 1, 35, 000 (17%) हमारे भारतवासी हैं। आत्महत्या का अनुपात अब २०१८ में हर 1, 00, 000 व्यक्तियों में 10.9 हो चूका है, जो कि पहले 7.9 था। हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है और हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति प्रयास करता है मरने के लिए। ये डाटा विश्व स्तर पर W.H.O. (वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) द्वारा दिया गया है।

  • गाँव या देहात में रहने वालों में शहरों के मुताबिक अवसाद अधिक देखा जाता है।
  • शिक्षितों में अशिक्षितों के मुताबिक अधिक मात्रा है।
  • गरीबों और धनवानों में इसकी मात्रा बराबर की है।

डिप्रेशन के लक्षण | Symptoms of Depression in Hindi

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मनोदशा

 
चिंता, उदासीनता, असंतोष, खालीपन, अपराध बोध, निराशा, मिजाज बदलते रहना, घबराहट अथवा सुख प्रदान करने वाले कार्यों से भी सुख की अनुभूति ना होना। अवसाद में व्यक्ति व्यथित होता है, या तो वह दुखी रहता है या उसकी ऊर्जा का हृास कर लेता है। जो उसके मानसिक स्तर को प्रभावित करता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति बहुत ही तनाव ग्रस्त और परितक्त्या अनुभव करता है। उसके मन में अपने प्रति संशय उन्पन्न होने लगता है जिसके कारण उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है उसे यह अवस्था और अधिक अवसाद में ले जाती है, इस अवस्था में व्यक्ति में अपना भला बुरा सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है और वह घृणित से घृणित कार्य जैसे आत्महत्या हाथ की नसें काटना, फाँसी लगाना इत्यादि कार्य करके स्वयं को ही हानि पहुँचाता है। वह स्वयं की शक्ति को पहचानने में असमर्थ हो जाता है और सदा लाचारी की स्थिति में रहता है। उसे निराशा सदा घेरे रहती है और अपने आस-पास किसी को पसंद नहीं करता है। अकेलापन उसे अच्छा लगता है। किसी की भी बात भले ही मजाक में कही गई हो उसे तीर की तरह चुभ जाती है हर बात को अपने से जोड़ लेता है और सब पर संदेह करता है। भूतकाल को याद करके या बीती बातों को याद करके अकेले में रोता है। वह अपने मन की बात किसी से नही बताता क्योंकि उसे अपने परम हितैशियों पर भी विश्वास नहीं होता न ही ईश्वर पर, वह हर दम अपनी परिस्थिति के लिए उन्हें कोसता रहता है। कुछ मरीज वाचाल होते हैं क्रोध व्यक्त करते हैं चिड़चिड़ापन दिखाते हैं अत्यधिक गुस्सा, नफरत प्रगट करते हैं और कुछ अन्तर्मुखी होते हैं उनके लिए अवसाद बेहद गम्भीर स्थिति उत्पन्न कर देता है, एकांकी जीवन शैली को अपनाकर वे गहन मौन में चले जाते हैं और यह अवस्था उनकी हृदय गति को बिलकुल कम कर देती है जिससे कभी-कभी सोते-सोते उनकी मृत्यु भी हो सकती है। कुछ अवसादग्रस्त व्यक्ति जो दिन में काम करते हैं व्यस्त होते हैं, तब तक अवसाद की स्थिति से दूर रहते हैं किंतु जैसे ही वे अकेले हो जाते हैं फिर वे उसी भूतकाल में डूब जाते हैं, या भविष्य की चिंता करते हैं। बहुत ही कम समय के लिये वह वर्तमान क्षणों का आनन्द ले पाते हैं।
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निद्रा

 

साधारणतह एक व्यस्क को 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता है किंतु, अवसाद में व्यक्ति अपनी निद्रा का लाभ नहीं ले पाता, उसकी नींद सुबह बहुत जल्दी खुल जाती है या वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। नींद के बाद भी उसे थकावट और आलस्य महसूस होत है। कुछ मरीजों में अत्यधिक नींद भी पाई गई है पर उसमें भी वह थका हुआ ही उठता है व्यक्ति, खुद को तरोताजा महसूस नहीं कर पाता । वह हमेशा थकान और बेचैनी का अनुभव करता है।

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संज्ञानात्मक

 
एकाग्रता की कमी, हर कार्य में धीमी गति का होना, आत्महत्या के विचार, कुछ याद ना रहना या सामान्य चीजें भूलना मुख्य हैं। कुछ नई कुछ पुरानी बातें अचानक याद आना और खुश हो जाना। ज्यादातर डिप्रेशन के मरीज बाद में भूलने की बीमारी या एलजाइमर (Alzimer) से ग्रस्त हो जाते हैं। वह ध्यान लगा के कोई काम करने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं।
 
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नशा

 
कुछ लोग नशा करने लगते हैं कि वे हरदम वास्तविकता से दूर रहें क्योंकि उनमें इसे स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। हम कह सकते हैं कि वे डरपोक हो जाते हैं। जीवन के उतार चढ़ाव को बर्दाश करने की क्षमता उनमें नहीं होती। कैफीन (कॉफी), चाय, जंक फूड इत्यादि से भी गलत प्रभाव पड़ता है। सिगरेट (धूम्रपान) अथवा तंबाकू सेवन आदि भी गलत प्रभाव डालते हैं।
 
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विशेष शारीरिक लक्षण

 
  • नींद और भूख की अधिकता। कार्बोहाइड्रेट क्रेविंग (यानि जंक फूड खाने की तीव्र इच्छा जैसे पीज्जा, पेस्ट्री, बर्गर आदि)
  • मनोसंचालन मंणन (साइकोमोटर रिटार्डेशन):- इसमें लीडेन पैरालिसिस (धीमा लकवा) भी देखा जाता है। शरीर एक लकड़ी के लट्ठे की तरह प्रतीत होता है।
  • जल्दी-जल्दी बर्ताव बदलता है और ऐसे नवजवान लड़के, लड़कियाँ अति भावुक होते हैं। कमजोरी, इनमें लो मूड़ दिखता है।
  • इन टीनएजर्स के साथ माता-पिता को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
  • इनमें पारस्परिक अस्विकृति भी पायी जाती है।
  • कब्ज, सर दर्द, वनज गिरना भी अवसाद में पाया जाता है।
  • ऐसे युवा अपनी बात मनवाने के लिए कुछ दिखावा भी करते हैं जिसे प्रोजेक्शन कहते हैं, यह उच्च स्तरीय परिवारों में अधिक देखा जाता है।

अवसाद या डिप्रेशन किन कारणों से होता है ? | Causes of Depression in Hindi

  • जैविक, आनुवांशिक, मनोसामाजिक, जैव रासायनिक असंतुलन के कारण अवसाद हो सकता है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक हैं जैसे कुपोषण, आनुवांशिकता (Heriditory) हॉर्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख कारण हैं। 90% अवसाद के मरीज नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं। अपने ढंग से न जी पाना और बहुत अधिक महत्वकांक्षी होना जिससे इच्छाओं की पूर्ति न हो पाना अवसाद को जन्म देता है। कोई हादसा या प्रिय जन से बिछड़ जाना भी डिप्रेशन को जन्म दे सकता है।
  • एक बड़ा कारण अपने समाज में यह भी है, कि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग, हमारे मन से इस गहरी परत ने ना जाने कितने मनोविकारों को जन्म दिया है। अपना जीवन साथी अपनी जीविका, करियर अपनी पसंद से ना चुन पाना एक बड़ा कारण है तनाव व दुख का जो आगेचल के अवसाद का रुप ले लेता है।
  • अवसाद या डिप्रेशन के उपचार के लिए पढ़ें अगला पत्र जिसमें योग, प्राणायाम और ध्यान के बारें में बताया गया है।

अवसाद (डिप्रेशन) के प्रकार | Types of depression In Hindi

1

मेजर डिप्रेशन

 
इस स्थिति में व्यक्ति का मिज़ाज बदलते रहेता है। यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों और व्यक्तिगत सम्बन्धों पर भी प्रभाव डालता है।
2

बाई पोलर डिसॉर्डर

 
इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहेते हैं। चिडचिडपन, ग़ुस्सा, मतिभ्रम जैसी स्थिति इनमे पाई जाती है। एकदम निराश फिर अत्यधिक ख़ुश होना इनमे मुख्य है।
3

सायकलोथमिक डिसॉर्डर

 
इसमें लच्छन सूक्ष्म से लगते हैं। इसमें माइल्ड डिप्रेशन और ह्यपोमानिया देखा जाता है।
4

डिस्थीमिक डिसऑर्डर

 

इसमें मरीज़ को दो वर्ष या उससे अधिक समय तक डिप्रेशन अनुभव होता है। वह अपने आप को अस्वस्थ भी महसूस करता है तथा दैनिक कार्यों में भी कठिनाई महसूस करता है।

5

पोस्टमार्टम डिप्रेशन

 
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गम्भीर समस्या है जो बच्चे के जन्म के कुछ महीनो बाद माँ को हो सकता है। गर्भपात से भी महिला इस स्थिति में जा सकती है।
6

सीकोटिक डिप्रेशन

 
यह एक बहुत ही गम्भीर समस्या है, इसमें लोग अन्य लक्षणों के साथ मतिभ्रम, तर्कहीन विचार, ऐसी चीज़ें देखना सुनना जो नहीं हैं के शिकार हो जाते हैं।
 
7

अनाक्लिटिक डिप्रेशन (Anaclictic depression)

नवजात शिशु में पाया गया है, जिसमें बच्चा किन्हीं कारणों से अपनी माँ से अलग होता है। माँ का प्यार ना मिलने से शिशु डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
8

एटिपिकल डिप्रेशन (Atypical depression)

ये युवाओं में पाया जाता है। इन मरीजों में कार्बोहाड्रेट क्रेविंग भी पायी जाती है।

9

सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर

 

यह मौसम के अनुसार होता है। आमतौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और गर्मियों में ख़त्म।

    उपचार:-

    भाग्यवश अवसाद का निवारण है, यह लाइलाज नहीं। यदि आपके आस-पास कोई भी व्यक्ति बताए गए 2-3 लक्षणों या अधिक से ग्रस्त है तो उसे तुरंत डाॅक्टर के पास लेकर जाऐं। 2 हफ्ते से अधिक यदि कोई व्यक्ति दुखी या उदास है और खाना-पीना ठीक से ना ले रहा हो तो वह अवसाद से ग्रसित हो सकता है। उसे डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दवाइयाँ और मनोचिकित्सा एक साथ लेने से अधिक असर होता है।

    अवसाद की समस्या गंभीर हो जाने पर डॉक्टर से सलाह करके उपचार करना जरुरी है। आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान उपचार हेतु बहोत लाभदायक है और पूरी तरह इसे ठीक करने में सहायक है। इसी के साथ अन्य कारण जैसे कुपोषण और बीमारियाँ जो साथ में हैं उन्हें ठीक करना मुख्य होता है।

    आहारः-

    • एक पुरानी कहावत है, जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। भोजन में जरुरी पोषक तत्व ना होने से अवसाद की स्थिति और बिगड़ जाती है। सही आहार अवसाद को ठीक करने में अति सहायक है। 70 -90% मनोविकारों में लाभ मिलता है। एपिजीन में परिवर्तन करने वाले स्वास्थ्य दायक आहार का प्रयोग करें जिससे मन अच्छा रहेगा और नींद भी ठीक होगी जो कि आपकी कार्य क्षमता​ को बढ़ाएगी।
    • सिरोटोनिन को फील गुड हॉर्मोन कहते हैं जो आपके मन को अच्छा रखता है और अच्छी नींद में सहायक है। ट्रिप्टोफैन युक्त आहार सिरोटोनिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है जैसे चना इत्यादि।
    • सहायक आहारः-

      • विटामिन बी 12 और फोलेट युक्त आहार- दूध, साबुत अनाज, ब्रकोलि, बादाम, पालक, दालें, सप्लिमेंट्स इत्यादि
      • सेलेनियम - सेलेनियम युक्त आहार डिप्रेशन के लक्षण घटाने में अति सहायक माना जाता है। ये साबुत अनाज और दालें आदि। ब्राउन राइस, ओट मिल और त्रिकोण फल में भी सेलेनियम पाया जाता है।
      • विटामिन डी - सूरज की किरणें, सप्लिमेंटस, जूस अनाज, ब्रेड इत्यादि।
      • ओमेगा-3 फैटी एसिड - बादाम, अखरोट, अलसी, आदि सप्लिमेंट भी ले सकते हैं।
      • एैंटीआॅक्सिडेंटस - ये हमारे शरीर में बन रहे फ्री रैडिकलस से लड़के उन्हें खत्म करते हैं और खराब सेल बनने से रोकते हैं। विटामिन ई, विटामिन सी और विटामिन ए इसका मुख्य अंग है।
      • बीटा कैरोटिन- ब्रैकोली, गाजर, पालक, सकरकंद, कद्दू, एैप्रीकोट।
      • विटामिन सी- किवि, टमाटर, ब्लू बेरी, ब्रैकोली, अंगूर, संतरा, काली मिर्च, आलू, अवोकाएडो आदि।
      • जिंक- मक्का, साबुत अनाज, बीन्स, नट्स आदि अथवा इसे सप्लिमेंट्स में लिया जा सकता है।
      • प्रोटीन- यह अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है जीवन के लिए। बीन्स, मटर, चीज, दूध दही, सोयाबीन आदि मुख्य तत्व हैं प्रोटीन के।
    • कुछ सामान्य आहार परिवर्तन-

      • मैदे की जगह आप आटे (गेंहू का आटा) का प्रयोग करें ये अधिक हल्का होता है।
      • चीनी की जगह शहद या गुड़ का प्रयोग करें।
      • नट्स, बीन्स और फल एक साथ आहार में शामिल करें।
      • ओटमिल को नाष्ते में शामिल करें।
      • आर्टिफीशियल फ्लेवर की जगह दालचीनी, नटमेग या नेचुरल वेनिला का प्रयोग करना अच्छा होगा।
      • लो फैट क्रीम चीज (Cheese) का प्रयोग उत्तम होगा।
      • और भी बहुत कुछ हैं किंतु प्रयास करें ताज़ा और शुद्ध भोजन करें और सही समय पर भोजन कर लें।
      • रात का भोजन 8-9 के बीच और दोपहर का 12 से 1 के बीच करने का प्रयास करें।
      • कैफीन, शराब, धूम्रपान, तम्बाकू इत्यादि से बचें।

    योग, प्रणायाम और ध्यान:-

    योग और प्राणायाम -

    अनलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, बंध और सूर्य नमस्कार तथा योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। घर के बाहर निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं और व्यायाम को अपने जीवन में स्थान दें तनाव अपने आप आपसे दूर हो जाएगा।
    एक महत्वपूर्ण बात याद रखें, इससे फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चलता जब तक आप सही चीजें नहीं करते।
    यदि आप सही परिणाम चाहते हैं तो सही कार्यों का चयन करें फिर जीवन हर दिन एक खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है। हमें अपने जीवन का चार्ज अथवा जिम्मेदारी लेनी होगी जिससे हमारे अन्दर की असीमित क्षमताएं निखर कर आएगीं और तनाव रहित जीवन बनाना आसान हो जाएगा।

    श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं -

    यदि आप दुःखी है, तो इसका कारण कोई और नहीं किन्तु आप स्वयं है। आपको न कोई ख़ुशी दे सकता है न दुःख। आपकी अत्यधिक महत्वकांक्षाओ और अपेक्षाओं ने आपको दुःखी कर रखा है, अपनी इच्छाओं को गेंद की तरह उछाल फेंके। जिम्मेदारी और चिंता ईश्वर को समर्पित कर दें।

    कुछ योग - आसन जो डिप्रेशन में आपकी मदद कर सकते हैं:-

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    योग आसन के बारें में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    कुछ प्राणायाम जो आपकी मदद कर सकते हैं:-

    नाड़ी शोधन, उज्जाई, भस्त्रिका, कपालभांति और भ्रामरी प्राणायाम

    किसी योग गुरु या मनोचिकित्सक के मार्गदर्शन में ही इसका पालन करें। टी.वी. पर देख कर या गलत अभ्यास करने से लाभ की जगह नुक़सान भी हो सकता है।

    प्राणायाम क्या है? प्राणायाम का क्या महत्व है? जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

    ध्यान

    यह अति प्रभावशाली और बहुत लाभदायक है। ध्यान करने से मरीजों को काफी लाभ होता है।

    श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं ध्यान के ३ नियम है - में कुछ नहीं हु - अकिंचन, में कुछ नहीं करने वाला - अप्रयत्न और मुझे कुछ नहीं चाहिए - अचाह।

    ध्यान करने से मस्ती, प्रसन्नता शांति बनी रहती है, शरीर तंदुरुस्त, अंतः पुराना, बुद्धि तीक्ष्ण होती है। ध्यान मतलब मन का विकास, दृश्य से दृष्टा पर ध्यान देना निचे दिए गए वीडियो जाने ध्यान के लाभ ध्यान क्या है?

    आप घर बैठे श्री श्री रविशंकर जी की आवाज में निर्देशित ध्यान कर सकते है।

    ध्यान के बारे में जानने के लये यहाँ क्लिक करें।

    आर्ट ओफ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम में भी आप ये सब सीख सकते हैं।हमारे नजदीक में हो रहें हैप्पीनेस प्रोग्राम के बारे में जानने हेतु यहाँ क्लिक करें।

    स्वस्थ रहना हमारी प्रथम मुख्य ज़िम्मेदारी है क्यूँकि सबकुछ तभी होगा जब हम स्वस्थ होंगे। तो स्वस्थ और प्रसन्न रहेने कि जिम्मेदारी लें ताकी दूसरों में भी ख़ुशियाँ बाँट सकें।

    लेखक -  डॉ दीपा मिश्रा

    (जी.डी.एम.ओ.) कैन्ट जनरल अस्पताल, इलाहाबाद

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