“दही चावल – पौष्टिक भोजन” – जागतिक आरोग्य संघटन। स्वादिष्ट दही के स्वास्थ्य से भरे उपयोग।
ठंडा और स्वादिष्ट दही किसे पसंद नही है? दही किसी भी चीज के साथ खाईये, उसका स्वाद बढ़ता ही है। दही ना ही सिर्फ भोजन का स्वाद बढाता है, बल्की उसे पौष्टिक भी बनाता है। इसीलिये सभी आहार विषेशज्ञ अपनी सूची में इसे अवश्य शामिल करते है।
सभी प्राणियों के दूध और दूध से बने पदार्थ पौष्टिक तो होते है, और इसमें दही का स्थान प्रथम है। दही के साथ खाया हुआ कुछ भी सहजता से पाचन होता है और उस भोजन के विटामीन और प्रोटीन सरलता से अपने खून में मिल जाते है। इसीलिये दही को ‘परिपूर्ण आहार’ कहा जाता है।
रोचनं दीपनं वृष्यं स्नेहनं बलवर्धनम्।
पाकेऽम्लमुष्णं वातघ्नं मंगल्यं बृंहणं दधि। । २२५। ।
पीनसे चातिसारे च शीतके विषमज्वरे।
अरुचौ मूत्रकृच्छ्रे च कार्श्ये च दधि शस्यते। । २२६। ।
शरद्ग्रीष्मवसन्तेषु प्रायशो दधि गर्हितम्।
रक्तपित्तकफोत्थेषु विकारेष्वहितं च तत्। । २२७। ।
चरक संहिता, सूत्र स्थान 27 में दही की उपयोगिता बताई गई है। इससे दही कैसे स्वादिष्ट एवं पौष्टिक है यह पता चलता है।
(स्वाद, पाचन शक्ति, यौन शक्ति, और स्नेहन तैयार करने वाला, ताकत और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने वाला, स्तंभक, स्वाद वाला, गर्म, वातको संतुलित करनेवाला, पवित्र और पोषण बढानेवाला, श्वसन मार्ग को गीला रखनेवाला, दस्त को नियंत्रित करनेवाला, जुकाम और ज्वर, आंत्र ज्वर कम करनेवाला, भोजन का स्वाद बढानेवाला, मूत्र मार्ग की बाधा कम करनेवाला, दुर्बलता कम करनेवाला, पतझड़, गर्मी और वसंत ऋतू में अयोग्य, पुति, पित्त और कफ में विकार बढाने वाला) दही स्वादिष्ट, दीपक, चिकना, बलवर्धक, गर्म और पौष्टिक है।
दही के लाभ
1. पेट भरे रहने का अनुभव होता है
दही के सेवन से पेट पुरी तरह भरे रहने का अहसास लंबे समय तक बना रहता है। इसलिये दो भोजन के बीच में दही का सेवन करने से भूख नही लगती। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
2. पर्याप्त प्रोटीन से युक्त आहार
दही में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और कॅल्शियम होता है, जो सरलता से शरीर में स्वीकार किया जाता है और शरीर की जरुरत को पूरा करता है।
3. ऊर्जा से भरपूर आहार
दही के सेवन से भरपूर ऊर्जा तुरंत प्राप्त होती है और भागदौड की वजह से होने वाली थकान तुरंत कम होती है। दही और शक्कर के सेवन से काम शक्ति बढती है। नपुंसकता कम होती है। शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में सुधार आता है
4. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है
दही के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने वाली कोशिकाये सक्रीय होकर शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूती देती है। जिससे जीवाणुओंका नाश होता है और संक्रामक रोगोंसे बचा जा सकता है। दातों की सडन रोकी जाती है।
5. मधुमेह को नियंत्रण में रखता है
दही से रक्त शर्करा का स्तर सही रखकर मधुमेह को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। मधुमेह में होनेवाली गुप्त अन्गों की खुजली कम होती है।
6. पाचन क्रिया में सुधार
दही का आसानी से पाचन होता है। उसी तरह पेट और आन्तोंके पाचक स्त्राव आसानी से तैयार होते है जिससे भारी भोजन भी सहजता से पचाया जाता है। ज्यादा तीखे, तेलवाले, मसालेदार, चटपटे भोजन के साथ दही खाया जाये तो वह भोजन तकलीफ नही देता है।
7. दिल के बिमारी की संभावना कम होती है
खून के अंदर की वसा की मात्रा घटाने की क्षमता दही में होती है। इसलिये दही के सेवन से दिल के बिमारी की संभावना कम होती है। रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
8. विटामिन से भरपूर
विटामिन बी 5, बी 12 जैसे विटामिन की प्रचुर मात्रा दही में होने से वह खून में हिमोग्लोबिन बढ़ाता है। और तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है। कॅल्शियम और विटामिन डी दांत और हड्डियो को मजबूत रखता है। कशेरूकाओं का स्वास्थ्य सुधारता है।
9. आन्तों का स्वास्थ्य सुधारता है
लॅक्टो बॅक्टेरीया आदि आन्तोंके स्वास्थ्य के लिये पोषक जीवाणु दही में पाये जाते है जो आन्तों का स्वास्थ्य सुधारते है। आन्तों का कैन्सर होने की संभावना कम होती है। पेट रोज साफ होता है।
10. चेहरा, त्वचा चमकती है
शहद, बदाम तेल के साथ दही मिलाकर, चेहरे पर और त्वचा पर १५ मिनिट तक लगाकर रखनेसे त्वचा की मृतऔर खराब कोशिकाये निकल जाती है। त्वचा पर निखार आता है। संतरे के छिलके के साथ दही लगानेसे रंग गोरा होता है। गुलाब जल और हल्दी के साथ मिलाकर दही लगाने से त्वचा में निखार आता है और मुलायम होती है। नीम्बू रस और दही को मिलाकर लगाने से चेहरे और त्वचा की झुर्रिया कम होती है।
11. बालों के लिये उपयोगी
बालोंको दही लगाकर तीस मिनिट तक रखिये औरफिर थंडे पानी से धोईये। बाल मुलायम और रेशमी होते है। मेहंदी के साथ लगाने से और बेहतर परिणाम दिखते है। दही के साथ काली मिर्च पावडर बालों को सप्ताह में दो बार लगाने से बालोंकी रूसी कम होती है। बालों की जड़ को दही के साथ बेसन मिलाकर लगाने से बालों का झड़ना कम होता है।
12. मानसिक स्वास्थ्य के लिये
नियमित तौर पर भोजन में दही का सेवन करने से, मस्तिष्क में सकारात्मकता बढाने वाली कोशिकाओ की रासायनिक प्रक्रिया में वृद्धी होकर चिंता, नकारात्मक विचार और उदासीनता कम होकर मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है, यह वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हुआ है।
100 ग्रॅम दही में
- पानी – 79%
- प्रोटीन – 3%
- वसा – 4%
- खनिज – 1%
- कार्बोहायड्रेड्स – 3%
- कॅल्शियम – 149 मिली
- लोह – 0.2 मिली
- विटामिन ए – 102 युनिट
- विटामिन बी – अल्प मात्रा में
- विटामिन सी – 1 मिली
- कॅलरोफिक – 60 मूल्य
**दही- दही, चक्का, पनीर, छास, मठ्ठा, कढी इस रूप में, और साथ साथ रायता, दहीवडा, श्रीखंड आदि के जरीये हमारे भोजन में शामिल है।
**उंट, बकरी, भैस और गाय के साथ साथ बाकी सभी दूध देने वालेजानवरो के दूध से दही बनाकर उपयोग में लाया जाता है। आजकल सोयाबीन और नारियल के दूध का दही कुछ रोगियो के लिये उपयोग करते है।
भारतीय नस्ल की गाय
सभी दूध देनेवाले जानवरो में‘भारतीय नस्ल की गाय’ दूध, दही के लिये स्वास्थ्य के तौर पर सर्वश्रेष्ठ है। विदेशी नस्ल की और संकरीतगाय सिर्फ A1 प्रोटीन युक्त दूध देती है। इस A1 प्रोटीन से मधुमेह, कैंसर, दिल की बिमारी और मानसिक तनाव, उदासीनता जैसी बिमारीया बढती है, यह बात सिद्ध हो चुकीहै। सिर्फ भारतीय नस्ल की गाय ही ए-2 प्रोटीन युक्त दूध देती है, जिससे इन बिमारियो का प्रतिरोध होता है। इन गायों का आहार प्राकृतिक होने की वजह से इनके दूध से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है, ऊर्जा और शक्ति प्राप्त होती है। इसीलिये आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस दूध के साथ काफी औषधीया ली जाती है। इसका घी भी औषधी गुनो से परिपूर्ण है। गोमुत्र में रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रचुर मात्रामें है। गोबर भी रोगाणु संक्रमण कम करता है, उसी तरह एक श्रेष्ठ उर्वरक है। इस तरह इन गायोंका पंच गव्य (दूध, दही, घी, गोबर और मुत्र) अपनी दैनिक गतिविधियो के लिये और कृषि के लिये बहुत ही उपयुक्त है। इस गाय के दूध में उपर बताये गये सभी लाभ प्रचुरता से प्राप्त होते है। इसलिये इसके दही का विशेष महत्व है।
सावधानी
- कच्चे दही का सेवन कभी ना करे। उससे त्रिदोष असंतुलित होते है।
- संभवतः रातमे दही का सेवन ना करे। अगर खाना ही पडे तो उसमें शक्कर या काली मिर्च पावडर मिलाकर खाने से पित्त प्रकोप से बचा जा सकता है।
- दही से भोजन की मात्रा बढ सकती है। उसी तरह दही पौष्टिक होने से वजन बढ सकता है।
- दही में संपृक्त वसा होने से दिल की बिमारी में और टाईप-२मधुमेह में घातक हो सकता है।