सात्विक भोजन
- सात्विक भोजन वे हैं जो शरीर को शुद्ध और मन को शांत करते है।
- 3-4 घंटे के भीतर खाया गया, पका हुआ भोजन सात्विक माना जा सकता है।
- उदाहरण – ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मेवे, अनाज और ताजा दूध।
राजसिक भोजन
- वे शरीर और मन को क्रियाशील बनाते हैं। अधिक मात्रा में इन खाद्य पदार्थों के सेवन से अति सक्रियता, बेचैनी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
- अत्यधिक स्वादिष्ट भोजन राजसिक होता है।
- उदाहरण – मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तला हुआ भोजन।
तामसिक भोजन
- तामसिक भोजन वे हैं जो मन को सुस्त करते हैं और जड़ता, भ्रम और भटकाव लाते हैं।
- बासी या दोबारा गर्म किया हुआ भोजन, तैलीय या भारी भोजन और प्रिजर्वेटिव युक्त भोजन इस श्रेणी में आते हैं।
- उदाहरण – माँसाहारी आहार, बासी भोजन, वसा, तेल और शर्करा युक्त भोजन का अत्यधिक सेवन।
पौष्टिक आहार क्या होता है?
केवल सही प्रकार का भोजन ही नहीं, बल्कि सही समय पर सही मात्रा में भोजन करना भी महत्वपूर्ण है। अधिक खाने से सुस्ती आती है, जबकि कम खाने से पर्याप्त पोषण नहीं मिलता। अधिकांशतः हम जानते हैं कि हमारा पेट भरा हुआ है, लेकिन स्वाद के लालच में हम कुछ और खा लेते हैं। भोजन की सही मात्रा को कप या ग्राम में नहीं मापा जा सकता, जब हम अपने शरीर की बात ध्यान से सुनेंगे तो हमें पता चल जाएगा कि हमें कब रुकना है।
हम सही मात्रा में सही प्रकार का भोजन खा सकते हैं, लेकिन यदि हम अपने समय के साथ अनियमित हैं, तो पूरी प्रणाली गड़बड़ा जाती है और शरीर की प्राकृतिक लय बाधित होती है। इसलिए, प्रतिदिन एक ही समय पर और नियमित अंतराल पर भोजन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि खाना पकाने/खाने वाले व्यक्ति की मनःस्थिति का भी भोजन पर प्रभाव पड़ता है। किसी व्यक्ति द्वारा क्रोध में पकाए गए भोजन की ऊर्जा निश्चित रूप से उस व्यक्ति की तुलना में कम होगी जिसने उसे प्रेम, संतोष और कृतज्ञता की भावना के साथ पकाया हो। खाना बनाते और खाते समय सुखदायक संगीत सुनने या मंत्रोच्चार करने से भोजन में प्राण (जीवन शक्ति) को बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
योग हमारी शारीरिक संरचना के अनुसार अधिक व्यक्तिगत आहार का भी सुझाव देता है। जो भोजन किसी के लिए लाभदायक हो सकता है, वह किसी अन्य शारीरिक संरचना वाले व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है। आपके लिए किस प्रकार का भोजन आवश्यक है और किससे बचना चाहिए, यह तय करने के लिए कि आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा है। यह निश्चित रूप से सार्थक है कि हम जो भोजन खाते हैं, उस पर ध्यान दें क्योंकि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कहा गया है कि हम वही हैं जो हम खाते हैं!