बदलते मौसम में खाँसी बहुत आम बात हो गया है। बचपन में हम सब ने यह सुना होगा कि “मौसम बदल रहा है, खाँसी हो जाएगी” या “मौसम बदल रहा है, बीमार मत पड़ना”। आज के समय में बदलते मौसम के साथ साथ वातावरण में प्रदूषण और हमारी खराब दिनचर्या से बीमार होने की संभावना पहले से अधिक है। खाँसी भी कई प्रकार की हो सकती है – सूखी, बलगम वाली या किसी एलर्जी के कारण। श्वास समस्याएँ जैसे कि दमे में भी खाँसी हो सकती है। लेकिन हमारे घर में उपस्थित कुछ जड़ीबूटियों की मदद से हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं और खाँसी का घरेलू उपचार कर सकते हैं।
हल्दी पाउडर
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हल्दी में रोगाणुरोधक (एंटीसेप्टिक), जीवाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल), जलन को रोकने की क्षमता (एंटी इंफ्लेमेटरी), रोग प्रतिरोधक (इम्युनिटी) आदि गुण होते हैं।
- आधा चम्मच हल्दी, गर्म दूध में मिला लें। 15 दिनों तक दिन में दो बार पियें। यह खाँसी को कम करके बलगम को गले से निकाल देता है। यह सर्वश्रेष्ठ उपायों में से एक उपाय है।
- 10 चम्मच हल्दी पाउडर को 5 चम्मच गुड़ में अच्छी तरह मिलाकर करौंदे के आकार की गोलियाँ बना लें। दिन में दो बार लें।
- यदि बहुत अधिक बलगम हो रहा है तो एक चम्मच देसी घी, गर्म दूध में मिलाकर पियें।
- एक बड़ा चम्मच अजवाइन और एक बड़ा चम्मच हल्दी पाउडर एक गिलास पानी के साथ उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो चूल्हे से उतार कर ठंडा होने दें। इसमें थोड़ा सा शहद मिला लें। इस सिरप को दिन में दो-तीन बार पियें । यह छाती में जकड़न को समाप्त करके खुलकर सांस लेने में सहायता करेगा।
काली मिर्च
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खाँसी का उपचार काली मिर्च द्वारा किया जा सकता है। यह बलगम की झिल्ली को ढीला करता है तथा छाती में बलगम के जमाव को कम कर छाती को खोलता है।
- 2-3 साबुत काली मिर्च आधे घंटे तक धीरे धीरे चबाएं (निगले नहीं) उसके ऊपर एक चम्मच शहद खा लें, फिर धीरे-धीरे चबाई हुई इस काली मिर्च को निगल लें।
- यदि काली मिर्च के तीखे स्वाद के कारण आपको इसे चबाने में तकलीफ हो रही है तो 2-3 काली मिर्च एक गिलास दूध में मिलाकर पी लें।
- काली मिर्च और आजवाइन को थोड़ी मात्रा में लेकर आधा चम्मच नमक मिलाकर धीरे-धीरे चबाएं।
तुलसी
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श्याम या काली तुलसी के रस को शहद में मिलाकर खाने से खाँसी में आराम मिलता है।
अदरक का काढ़ा
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- आधी छोटी चम्मच से अदरक के रस में उसी मात्रा में शहद मिलाकर दिन में दो बार लें।
- अदरक का सिरप बनाने के लिए आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर, एक बड़ा चम्मच सिरका और शहद मिला लें। इसमें 2-3 चम्मच पानी मिलाकर एक तरफ रख दें। इस खाँसी के सिरप को दिन में 2-3 बार ले सकते हैं।
- एक छोटी चम्मच ताजा पिसा हुआ अदरक लें, एक बड़ा चम्मच मेथी दाना और 7 काली मिर्च लें। इन सबको 2 कप पानी में तब तक उबालें जब तक यह केवल 1 कप के बराबर न रह जाए। इस काढ़े को दिन में 3 से 4 बार पियें।
प्याज
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प्याज के अंदर जीवाणुरोधक, अज्वलनशील, तथा अनेक कीटाणुनाशक तत्व पाए जाते हैं। निमोनिया के इलाज में प्याज बेहद प्रभावशाली है। श्वासनली-शोथ (ब्रांकाइटिस), अस्थमा, साधारण जु़काम और खाँसी में भी प्याज लाभकारी है। खाँसी के उपचार में प्याज की महत्वपूर्ण भूमिका है। कटी हुई प्याज का रस पीने से बलगम ढीला हो जाता है, जिससे छाती की जकड़न कम हो जाती है।
- 1-2 छोटी चम्मच प्याज का रस लें, इसमें एक-दो छोटी चम्मच शहद मिला लें। इस मिश्रण को 5 घंटे के लिए अलग रखें, फिर रोगी को इसमें से 1-1 चम्मच रस, दिन में 2-3 बार दें।
- 1-2 छोटी चम्मच प्याज के रस में 1-2 छोटी चम्मच नींबू का रस निचोड़े, थोड़ा पानी डालकर उबालें। जब ठंडा हो जाए तब 1-2 छोटी चम्मच शहद मिलाएं। इस कफ सिरप को 5 घंटे के लिए अलग रखें। फिर दिन में 2-3 बार 1 छोटी चम्मच यह सिरप लें।
- 1-2 छोटी चम्मच प्याज के रस में गुड़ मिलाएं तथा पैन में गर्म करें। जब यह मोम जैसा गाढ़ा होने लगे तब गैस पर से उतार कर ठंडा होने दें। इसको दिन में 2-3 बार लें।
अदरक लहसुन की चाय
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- खाँसी और गले के दर्द के लिए बहुत लाभकारी है। यह चाय न केवल गले के दर्द में आराम देगी बल्कि यह बलगम की झिल्ली को ढीला कर के छाती की जकड़न भी कम करेगी। एक छोटा अदरक का टुकड़ा, 1-2 लहसुन की कलियाँ, कुछ बूंदे नींबू का रस उबलते पानी में डालें, 15-20 मिनट इस पानी को उबालें। इस को छानकर एक तरफ रखें, थोड़ा सा शहद मिलाकर रोगी को दें। नींबू का रस खाँसी को कम करने तथा साँस लेने में मदद करता है।
नींबू चिकित्सीय ऐंटि-ऑक्सिडेंट व प्रतिरक्षा बढ़ाने की शक्ति (इम्यून बूस्टर पॉवर) के लिए जाना जाता है।
यष्टिमधु लौंग अडूसा
- यष्टिमधु चाय, खाँसी में तथा बैठे हुए गले में लाभकारी है। यष्टिमधु कफ निस्सारक का काम करती है। यष्टिमधु (मुलेठी) के काढ़े को आधा छोटा चम्मच शहद के साथ दिन में दो तीन बार लें।
- ताजी लौंग चबाएं। इसको चबाने से इसका रस सांस नलिकाओं को खोल कर सांस लेने में राहत पहुँचाता है।
- खाँसी के साथ अगर श्वास फूल रही हो तो अडूसा (वासा) के रस को शहद के साथ लेने से आराम मिलता है।
सूखी खाँसी
10 खजूर, 20 किशमिश, 1 चम्मच विदांगा पाऊडर और 10 काली मिर्च का पाउडर, शहद के साथ मिलाकर लेह यानी जैम बना लें। दिन में तीन-चार बार एक चौथाई चाय का चम्मच लें।
छोटे बच्चों की खाँसी
- तुलसी पत्तों के रस को शहद में मिलाकर दिन में दो तीन बार बच्चों को दें।
- कपूरावली (इंडियन बोरेज ऑरिगेनो) एक बेहतरीन कफ निस्सारक और स्वेदजनक (पसीना लानेवाली) है। कपूरावली के पत्तों के रस की तीन-चार बूंद शहद के साथ मिलाकर बच्चों को दें। इससे बलगम बाहर निकालने में मदद मिलेगी।
- मुलायम पनिकूरका पत्तियों के रस की 2 बूंदे माँ के दूध के साथ बच्चों को दें। इससे उल्टी आएगी। बच्चा उल्टी के साथ बलगम बाहर निकाल देगा जिससे नाक तथा छाती में से बलगम साफ हो जाएगा। यह बलगम का आयुर्वेदिक उपचार अवश्य मदद करता है।
बोनस टिप्स: खांसी के प्रभावी उपचार के लिए घरेलू उपाय के साथ प्राणायाम और योगासन भी करें।
योग और प्राणायाम की नियमित अभ्यास से आप अपनी श्वसन प्रणाली को मजबूत कर सकते हैं। ये प्राकृतिक उपाय आपके शरीर को अंदर से ठीक करते हैं, जिससे खांसी और बलगम जैसी समस्याएं स्थायी रूप से ठीक हो सकती हैं।
नीचे दिए गए प्राणायाम और योगासन न केवल खांसी में राहत देते हैं, बल्कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
- नाड़ी शोधन प्राणायाम: यह प्राणायाम फेफड़ों की सफाई करता है, बलगम को निकालता है और श्वसन तंत्र को शांत करता है।
- भस्त्रिका प्राणायाम: यह फेफड़ों की ताकत बढ़ाता है और जमा हुआ बलगम साफ करने में मदद करता है।
- भ्रामरी प्राणायाम: खांसी से गले में हुई जलन और सूजन को शांत करता है
- भुजंगासन: यह छाती खोलता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
- मत्य्स्यासन: श्वसन तंत्र को राहत देने और गले की जकड़न को कम करने में सहायक।
- अधोमुख श्वानासन: छाती को खोलने और बलगम साफ करने में मददगार।
- शिशुआसन: यह गले और छाती की मांसपेशियों को आराम देता है और श्वसन प्रक्रिया को सुधारता है।
नोट : यह सब घरेलू उपाय हैं। एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
यह लेख आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक निशा मणिकंटन जी ने लिखा है।