आप किसे चुनना पसंद करेंगे – एक सामान्य आहार योजना जिसमें सभी आवश्यक पौष्टिक तत्त्व तो हैं किंतु जो आपके सिस्टम के लिए उपयुक्त हो या न हो, अथवा एक ऐसा आहार जो स्वास्थ्यकर, प्राकृतिक तथा स्वादिष्ट होने के साथ साथ आपके स्वाद के अनुकूल हो?

यह एक अत्यंत सरल प्रश्न प्रतीत होता है, है न? स्वाभाविक है कि दूसरे विकल्प में लगेगा कि इसमें चुनिंदा पौष्टिक तत्त्वों का बेहतर चुनाव है! फिर भी कितना अजीब है कि हम में से अधिकतर लोग अपनी दैनिक दिनचर्या में पहले विकल्प को ही चुनते हैं। 

हाँ, यह अवश्य है कि हम भी यही कर रहे हैं, इस पर विश्वास नहीं करेंगे। आखिरकार, आप अपने आहार में रोटी, चावल, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, सूखे मेवे, दूध, दही व पानी को सम्मिलित करते ही हैं। आपने बहुत मेहनत से यह सुनिश्चित भी किया है कि आपके शरीर को प्रत्येक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त हो और उससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे, है न? दुर्भाग्यवश, शायद ऐसा न हो। 

समस्या यह है कि जो सामान्य आहार आप ले रहे हैं, संभवतः आपकी शारीरिक संरचना के लिए वह सर्वोत्तम न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि हम में से प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताएँ, शारीरिक असंतुलन तथा चयापचय (मेटाबोलिज्म) के दर अलग-अलग होते हैं। 

तो फिर हम इन सब को ध्यान में रखते हुए अपने लिए श्रेष्ठतम आहार का चुनाव कैसे करें?

यहाँ प्राकृतिक चिकित्सा आहार आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली वास्तव में उतनी ही प्राचीन है जितने प्राचीन हमारे वेद हैं, एक अनुमान के अनुसार लगभग 3,500 वर्ष पुरानी। अथर्व वेद में प्राकृतिक औषधियों का उल्लेख मिलता है। तथापि, इस पर अभी हाल ही में पुनः ध्यान दिया गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारे भीतर जीवनशैली और आहार से संबंधित विकार तीव्र गति से बढ़ रहे हैं। 

हम यहाँ कुछ सामान्य प्रश्नों का उल्लेख करते हैं जो आपकी शंकाओं का निवारण करने और प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति तथा इस पर आधारित आहार योजना में आपकी रुचि को दृढ़ कर सकते हैं। 

1. प्राकृतिक चिकित्सा क्या है?

यह चिकित्सा की एक ऐसी पद्यति है जो हमारे शरीर में उपस्थित पाँचों तत्त्वों (वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) को संतुलित करने के सिद्धांत पर कार्य करती है। यह गैर आक्रामक (नॉन इनवेसिव) तथा दर्द रहित चिकित्सा शैली है। 

इसमें उपचार, बिना किसी औषधि के, शरीर की स्वयं को स्वस्थ रखने की जन्मजात क्षमता का उपयोग करने तथा उसे बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें अलग-अलग खाद्य पदार्थों के मिश्रण, प्राकृतिक जड़ी बूटियाँ, आपके शरीर के अनुकूल आहार का सेवन तथा अन्य स्वस्थ क्रियाओं का उपयोग ही “औषधि” के रूप में कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, आपको बीड़ी-सिगरेट और शराब के सेवन से परहेज करने को भी प्रोत्साहित किया जाता है।

2. कौन कौन सी बीमारियों का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है?

  • प्राकृतिक चिकित्सा में उपचार लक्षणों पर आधारित नहीं है। इसलिए हर कोई, स्वस्थ या अस्वस्थ व्यक्ति, अपनी सेहत में सुधार के लिए, या उसे बनाए रखने के किए प्राकृतिक चिकित्सक के पास आ सकता है।
  • प्राकृतिक चिकित्सा का सर्वोत्तम लाभ रोग की रोकथाम में है। इस पद्यति में यह दावा नहीं किया जाता कि इसमें टूटी हड्डियों अथवा हृदय आघात आदि का उपचार किया जा सकता है, किंतु यह इनको रोकने में अवश्य सहायक हो सकता है। यहाँ तक कि, यह कैंसर के रोगियों के उपचार में भी प्रभावी ढंग से सहायक साबित हो रही है। उदाहरणार्थ, कीमोथेरेपी व आहार चिकित्सा ने साथ मिलकर लोगों को बीमारी से स्वस्थ होने में बहुत मदद की है।
  • प्राकृतिक चिकित्सा दीर्घकालिक रोगों, जैसे मधुमेह, असंतुलित हार्मोन्स और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों के लिए भी अति लाभकारी है। यह चिकित्सा प्रणाली इन बीमारियों से पीड़ित लोगों की सफलतापूर्वक मदद कर सकती है क्योंकि यह मात्र लक्षणों को दूर करने का ही समाधान नहीं, अपितु बीमारी की जड़ तक जा कर उन्हें ठीक करने का काम करती है।

आखिरकार, लंबे समय तक अंग्रेजी दवा की गोलियां खाने के दुष्परिणाम हो सकते हैं; इसलिए स्वयं को ठीक करने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाना समझदारी का काम ही होगा। सोच कर देखो, कितना अच्छा हो यदि आपको अपनी औषधि की मात्रा का निर्धारण करवाने के लिए नियमित रूप से डाक्टर के पास न जाना पड़े! उसके बजाय, आप अपने आहार पर नियंत्रण कर के अपने स्वास्थ्य के स्वयं नियंत्रक हो सकते हैं।

3. प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति में आहार की क्या भूमिका है?

आहार इस चिकित्सा पद्यति का अभिन्न अंग है। हमारे शरीर की तीन प्रकृतियां होती हैं – वात, पित्त और कफ़। आपकी शारीरिक प्रकृति के आधार पर प्राकृतिक चिकित्सक विभिन्न उपायों से आपका इलाज करते हैं। उनमें से एक उपाय आहार है। जो खाद्य पदार्थ आपकी प्रकृति के लिए उचित नहीं हैं, उनका सेवन शरीर में अनेक प्रकार के असंतुलन उत्पन्न कर देते हैं। इस प्रकार के असंतुलनों को उचित आहार योजना द्वारा ठीक किया जा सकता है, जिससे शरीर वापस अपने मूल स्वभाव तथा स्वस्थ स्थिति में आ जाता है। 

उदाहरण के तौर पर शंकर (बदला हुआ नाम), एक पच्चीस वर्षीय युवा को मधुमेह रोग से पीड़ित पाया गया, जिसका उपवास शर्करा स्तर 240 था। उन्होंने अपने शर्करा स्तर को अनेक तरह की चिकित्सा पद्यतियों द्वारा नियंत्रित करने का प्रयास किया और फिर प्राकृतिक चिकित्सा शैली अपनाने का निर्णय लिया। उनके अपने शब्दों में, “दस दिन के उपचार के पश्चात्, जिसमें मैंने प्राकृतिक चिकित्सा आहार का ही सेवन किया, मेरा उपवास शर्करा का स्तर 140 तक आ गया। और छ: महीने बाद, यह 101-102 तक आ गया। उस समय से ही मैंने सभी प्रकार की औषधियाँ बंद कर दी हैं और केवल बताई गई आहार योजना का पालन कर रहा हूँ।” 

यहाँ एक और महत्वपूर्ण बात जो ध्यान देने योग्य है, वह यह कि हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना भिन्न भिन्न होने के करण इस उपचार के प्रति उनकी प्रतिक्रिया भी अलग-अलग होती है। 

4. प्राकृतिक चिकित्सा आहार मेरी सहायता कैसे कर सकता है?

आपके जन्मजात शारीरिक असंतुलनों को दूर करने के लिए आपके लिए जो सामान्यत आहार बताया जाता है, वही आपके लिए दवा का काम करता है। 

प्राकृतिक चिकित्सा आहार ही आपके शारीरिक असंतुलनों को ठीक करना सुनिश्चित करता है। यही असंतुलन आपके द्वेष तथा लालसाओं के स्रोत होते हैं। उदाहरण के लिए, मान लो कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है। आपको ऐसा आहार दिया जाएगा जिसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक हो तथा उसको अन्य खाद्य पदार्थों के साथ ऐसे अनुपात में मिश्रित कर के दिया जाएगा कि आपके सिस्टम में  उसका समावेश अच्छे से हो जाए। यह उस उपचार से कहीं बेहतर है जिसमें कैल्शियम सप्लीमेंट को गोली के रूप में लेना पड़ता है। 

इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक चिकित्सा आहार आपको अपने मूल की ओर ले जाता है जिसमें भोजन अपने शुद्ध तथा प्राकृतिक रूप में होता है; सभी प्रकार के योजकों, रंगों, भोजन परिरक्षकों, रसायनों तथा आनुवंशिक संशोधनों से मुक्त! इस प्रकार का भोजन करने से हमारे सिस्टम में अधिक प्राण शक्ति अथवा ऊर्जा का संचार होता है जिससे आप हल्का महसूस करते हैं। इस के परिणामस्वरूप आपके विचार शुद्ध तथा स्पष्ट होते हैं। इससे आपको आलस्य तथा थकान दूर करने में सहायता मिलती है। 

5. क्या आप मेरी विशेष परिस्थिति के लिए कोई उत्तम प्राकृतिक चिकित्सा आहार योजना बता सकते हैं?

प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति में कोई “एक आकार सभी में फिट बैठता है” जैसा कोई एक मापदंड अथवा आहार योजना नहीं होती। यहाँ तक कि एक ही परिवार में भी सदस्यों की व्यक्तिगत आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।

इसके अतिरिक्त, एक ही स्थिति के लिए भी कोई एक विशिष्ट आहार योजना नहीं होती, जैसे कि मधुमेह के लिए एक, उच्च रक्तचाप के लिए एक और फिर, हार्मोन्स के असंतुलन के लिए एक। तथापि, आपको बताई गई आहार योजना अपनाने से जीवन शैली में गुणात्मक सुधार होने की बहुत संभावना है। 

6. क्या प्राकृतिक चिकित्सा आहार उन स्वस्थ लोगों के लिए भी लाभदायक है जिनकी रुचि, मान लो, वजन कम करने में अथवा मुहाँसे दूर करने में हो?

जी हाँ, आपके आहार को आपके शरीर की प्रकृति, संरचना तथा विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही बताया जाता है। इसलिए एक बार जब आपके असंतुलन में सुधार हो जाता है, आपके रोग व विकार अपने आप ठीक होने लगते हैं और शांत हो जाते हैं। 

वजन कम करने, मुहाँसे दूर करने जैसी कुछ परिस्थितियों के उपचार में आपके चिकित्सक आपको कुछ शारीरिक व्यायाम, जैसे योग, तैराकी, पैदल चलने जैसी गतिविधियाँ करने को भी कह सकते हैं। 

7. प्राकृतिक चिकित्सा आहार में सामान्यत: किस प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं?

किसी भी प्राकृतिक चिकित्सा आहार में ऐसे भोज्य पदार्थ सम्मिलित होते हैं जो जहाँ तक हो सके, अपने प्राकृतिक रूप में अथवा उसके निकटतम रूप में होते हैं। उनमें किसी प्रकार के योजक, परिरक्षक अथवा कीटनाशक नहीं होते। 

आपके आहार में निम्नलिखित भोज्य पदार्थ हो सकते हैं: 

  • बिना पॉलिश के चावल और मोटे अनाज जैसे पौष्टिक पदार्थ
  • ताजे फल – जहाँ तक संभव हो मौसम के अनुसार
  • भाप से पकी तथा उबली हुई सब्जियाँ
  • हरी पत्तेदार सब्जियाँ तथा सलाद
  • जड़ी बूटियाँ और मसाले
  • मेवे, मेवे वाले दूध और मेवे से निकले तेल
  • तिलहन
  • डेयरी उत्पाद (आपकी पाचन शक्ति के अनुरूप)
  • खमीर किए गए खाद्य पदार्थ
  • पहाड़ी अथवा समुद्री नमक – अपने प्राकृतिक रूप में
  • प्राकृतिक जूस – गूदा सहित अथवा गूदा रहित (बिना रंग या चीनी के)
  • पारंपरिक रूप से बनाए जाने वाले व्यंजन, जैसे नट्स, तिल और मेवे आदि से बने लड्डू

वह सभी खाद्य पदार्थ जो आपको ऊर्जा तथा पौष्टिकता प्रदान करते हैं, प्राकृतिक चिकित्सा आहार में सम्मिलित होते हैं। विशिष्ट भोज्य सूची, स्वाभाविक है कि प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट संरचना, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, क्षेत्र विशेष तथा रीति रिवाज के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। 

इसलिए, यदि आप उत्तर भारत से हैं तो आपकी खुराक में गेहूं से बने पदार्थ, खिचड़ी, और छाछ सम्मिलित हो सकते हैं। दूसरी ओर, दक्षिण भारतीय की खुराक में चावल से बने व्यंजन, जैसे कि पोंगल और दही-चावल आदि शामिल हो सकते हैं। 

एक ही भोजन, जो आपको ऊर्जा प्रदान करता है, किसी और के लिए थकान का कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग यह दावा करते हैं कि सुबह सुबह कॉफ़ी पीने से उनके शरीर में दिन भर के लिए सभी कार्य करने की ऊर्जा भर जाती है; जबकि कुछ अन्य के अनुसार यह उनमें वमन और अम्ल पैदा करती है।

8. क्या प्राकृतिक चिकित्सा आहार में कोई ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनसे परहेज करना चाहिए?

  • सभी प्रकार के संसाधित खाद्य पदार्थ जैसे:

क) सफेद/ब्राउन शुगर – इसको खजूर अथवा नारियल से बनी शकर, गुड़ अथवा शहद से बदली कर सकते हैं।

ख) आयोडीन युक्त नमक – उसके स्थान पर पहाड़ी अथवा समुद्री नमक – उनके प्राकृतिक रूप में उपयोग में लाएँ।

  • संसाधित उत्पाद जैसे कि सफेद चावल, मैदा और पॉलिश किए हुए मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, आदि) – इनके स्थान पर लाल अथवा ब्राउन चावल तथा बिना पॉलिश के मोटे अनाज व दालों का उपयोग करें।
  • तेल और तले हुए खाद्य पदार्थ – इसके बजाय पके हुए,‌ सूखे भुने हुए या धूप में सुखाए गए पदार्थों का प्रयोग करें।
  • सिर्फ A2 घी उपयोग में लाना चाहिए, वो भी सीमित मात्रा में – लगभग एक से सवा चम्मच प्रति दिन।

9. क्या केवल प्राकृतिक चिकित्सा आहार से ही मैं बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त कर सकता हूँ?

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली, प्राकृतिक आहार के मूल सिद्धांत पर आधारित है। तथापि, इस आहार के साथ, यह आवश्यक है कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अन्य अवयवों का भी उपयोग किया जाए।

यह इनमें से किसी भी रूप में हो सकते हैं:

  • जड़ी बूटियाँ
  • एक्यूपंक्चर
  • एक्यूप्रेशर
  • योग
  • ध्यान
  • प्राणायाम अथवा साँस के व्यायाम
  • मर्म चिकित्सा – शरीर के सूक्ष्म बिंदुओं (मर्म बिंदुओं) पर हल्के स्पर्श से दबाना
  • मेरु चिकित्सा – रीढ़ की हड्डी पर हल्के स्पर्श से दबाना
  • जल चिकित्सा
  • मिट्टी चिकित्सा – मिट्टी के उपचारात्मक गुणों का शरीर के विषहरण हेतु उपयोग
  • प्रत्याहार – शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले  बाह्य कारकों पर विजय पाना (नियंत्रण)

….यह उस सूची में से कुछ उदाहरण हैं! 

एक प्राकृतिक चिकित्सक नाड़ी परीक्षा और रक्त रिपोर्ट का उपयोग कर सकता है, साथ ही आपके लिए सबसे उपयुक्त आहार का निर्धारण करने के लिए विस्तृत पूछताछ और परीक्षण कर सकता है। चूंकि प्राकृतिक चिकित्सा आहार आपकी प्रकृति को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, आप अच्छा स्वास्थ्य रखते हुए अपनी पसंद से उसमें से चुनकर खा सकते हैं!

जब आप अपनी प्रकृति से दूर जाते हो, तो उसे विकृति कहा जाता है, और यही शरीर में अस्वास्थ्यकर स्थितियों को जन्म देती हैं; उनका स्रोत हैं। जितना आप अपनी प्रकृति में रहते हो, आप उतने ही मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक स्तर पर प्रसन्न रहते हो; यही सर्वांगीण स्वास्थ्य के लिए आदर्श नुस्खा है!

आप श्री श्री कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक साइंस एंड रिसर्च हॉस्पिटल, बेंगुलूरू में किसी प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ से मिल सकते हैं।

(यह लेख, श्री श्री आयुर्वेद हॉस्पिटल में प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ तथा आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक, डाक्टर सूर्य रमेश द्वारा दिए गए व्यापक सहयोग पर आधारित है)

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