शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है।
भगवान शिव पूरे ब्रह्माण्ड में पूज्यनीय हैं। वे निराकार हैं! आप कैसे उनसे जुड़ सकते हैं, उन्हें पहचान सकते हैं, जो निराकार है, अमूर्त है। उसको पहचानने के लिए कोई प्रतीक या कोई चिन्ह हो। हमारे प्राचीन दृष्टा बहुत जानकार और समझदार थे, उन्होंने भगवान शिव की पहचान के लिए एक गोल और अंडाकार पत्थर रखा, जिसे हम शिवलिंग के रूप में पूजते हैं।
प्राचीन काल में, भगवान शिव को त्रिशूल या कोई अन्य आभूषण धारण करे हुए कहीं नहीं देखा गया था। केवल एक पिंड (पत्थर) होता था और मंत्रोच्चारण द्वारा उसको पूजा जाता था। ऐसे दिव्य चेतना जागृत होकर पिंड में प्रकट होती थी। इस तरह से भगवान शिव का पूजन किया जाता था। मूर्तियों के निर्माण का चलन तो बहुत बाद में आया।
शिवलिंग क्या है?
लिंग का अर्थ है पहचान, एक प्रतीक जिसके माध्यम से आप यह जान सकते हैं कि सत्य क्या है, वास्तविकता क्या है। जो दिखाई नहीं दे रहा है, उसे एक चिह्न से पहचाना जा सकता है – वह है लिंग। जब एक बच्चा पैदा होता है तो, लिंग के माध्यम से ही हम उसके स्त्री अथवा पुरुष होने का पता लगा सकते हैं। यही कारण है की जननेन्द्रियों को भी लिंग कहा जाता है।
ठीक उसी तरह आप सृष्टि के रचियता की पहचान कैसे करेंगे? ठीक वैसे ही जैसे आप स्त्री अथवा पुरूष की पहचान करते हैं – भगवान की पहचान करने के लिए, उनका एक प्रतीक बना कर उसका संयोजन करना। जिनका कोई रूप, कोई पहचान नहीं है और जो इस सृष्टि में सर्वव्यापी हैं, जिसके माध्यम से उनकी पहचान होती है – वही शिव लिंग है।
शिवलिंग भगवान शिव का सबसे प्राचीन प्रतीक है। जहाँ आप साकार से निराकार की और बढ़ते हैं। यह ब्रह्माण्ड और ब्रह्माण्ड के प्रतिनिधित्व का प्रतीक है। शिवलिंग का अर्थ केवल शिव का होना ही नहीं है अपितु यह मूक रूप से प्रकट होने वाली और सदा गतिमान रहने वाली उस परम चेतना का भी प्रतीक है।
कई बार आपने देखा होगा कि छोटी छोटी बातें आपको परेशान कर देती हैं। आपका मन राग द्वेष में फंस जाता है। शिवरात्रि पर सभी राग द्वेषों को छोड़कर बस भगवान शिव में अपना ध्यान लगाएँ और यह जानें कि सब कुछ भगवान शिव ही हैं, सब उनसे ही है और सब कुछ उन में ही समाने वाला है। हम सब भगवान शिव की बारात का ही हिस्सा हैं। आपने सुना होगा शिव की बारात में सभी प्रकार के प्राणी शामिल होते हैं। सिद्धजन, ऋषिगण, बुद्धजन और यहाँ तक की मूर्ख भी, सब इस दिव्य बारात का हिस्सा हैं, हम सब शिव के परिवार का हिस्सा हैं। जब आपको इसका अनुभव होता है तब सारा जीवन उत्सव बन जाता है।