निःशुल्क विद्यालय: भारत के सुदूरवर्ती कोने कोने में शिक्षा का प्रसार।
आदिवासी क्षेत्र, गांव, नगर और शहर के कमजोर समुदाय के बच्चों को संपूर्ण रूप से शिक्षा प्रदान कराना।
रणनीति
- अभिभावकों और बुजुर्गों को शिक्षित करना
- शिक्षकों का प्रशिक्षण देना
- औपचारिक शिक्षा के साथ कौशल प्रशिक्षण देना
प्रभाव
भारत में सर्वत्र 1,262 निःशुल्क विद्यालयों में 1 लाख से अधिक बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है।
लिंग अनुपात
हमारे विद्यालयों का लिंग-अनुपात, उल्लेखनीय रूप से राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है।
अवलोकन
हमारा दृष्टिकोण भारत के शिक्षा क्षेत्र में कमजोर समुदायों के बच्चों को तनाव मुक्त वातावरण में मूल्यों पर आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना है। इन तीन दशकों में, आर्ट ऑफ लिविंग ने शिक्षा तंत्र में मूल्यों को एकीकृत करने के उद्देश्य से शैक्षणिक परियोजनाओंको सफलतापूर्वक निष्पादित किया है और बच्चों के सुरक्षित भविष्य और जीवन यापन के विकल्पों को प्रदान किया है। फिलहाल, आर्ट ऑफ लिविंग भारत के 22 राज्यों में 1 लाख से अधिक बच्चों के लिए 1,262 नि:शुल्क विद्यालयों को चला रहा है। हमारे शिक्षा अभियानों में निम्नलिखित का समावेश हैं:
- निःशुल्क विद्यालय ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी बस्तियों और सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में निःशुल्क विद्यालय चलाए जा रहे हैं, जहाँ बिजली और सड़कें भी नहीं हैं।
- विद्यालयों को गोद लेना कार्यक्रम जहां हम सरकारी विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं और मानव संसाधन देकर, सहयोग करते है।
- शहरी झुग्गीयों / बस्तियों में परामर्श कार्यक्रम में अपराध और नशे की लत की चपेट में आए विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते है।
निःशुल्क विद्यालयों के निर्माण और उनके संचालन के दौरान, आर्ट ऑफ लिविंग की टीमों को असंख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस पूरे चक्र में, हमने यह सीखा कि सबसे सरल कार्य तो हमारे विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने का है। आसपास के क्षेत्रों में मौजूद समुदायों के दृष्टिकोण को बदलने और उन्हें शिक्षा के महत्व को समझने में मदद करना, यद्यपि चुनौतीपूर्ण था तथापि यह एक अद्वितीय मूल्य है,जिसे आर्ट ऑफ लिविंग मूल्य-आधारित शिक्षा को इस क्षेत्र में लेकर आया है।
निःशुल्क शिक्षा
एक भविष्य उपहार दें
हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है। आप उनका समर्थन करने में मदद कर सकते हैं।
दान करेंस्कूल (बेंगलुरु के फ्री स्कूल) के शिक्षक गण सचमुच बहुत अच्छे हैं। मेरे गांव वालो को मुझ पर इतना गर्व है कि वे अब सुनने को तैयार रहते है (अपने…
प्रियंका एन
बेंगलुरु मेट्रो की पहली चालक और पूर्व छात्र, आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल
यदि मैं मेघालय में ही रह रही होती, तो बहुत छोटी उम्र में ही मेरी शादी हो जाती। यहाँ मुझे शिक्षा मिली और अब मैं ऐसा महसूस करती हूँ कि…
रिदालिं लिंगदोह
पूर्व छात्र, आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल, बेंगलुरु
मै एक मिस्त्री हूँ। मै अपनी बेटी के स्कूल फीस नहीं दे सकता। श्री श्री ज्ञान मंदिर ने मुझे मेरी बच्ची को मुफ्त और मूल्यों पर आधारित शिक्षा पाने में…
अजीत जाधव
अभिभावक, श्री श्री ज्ञान मंदिर शिन्ग्नापुर, तालुका- मान, जिला-सातारा
चुनौतियाँ
भारत की 40% जनसंख्या 18 वर्ष से कम आयु की है। अप्रैल, 2010 मे, भारत उन 135 देशों के संघ में शामिल हो गया ,जहां शिक्षा को प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार बनाया है। भारत में, शिक्षा के अधिकार का क्रियान्वयन और लगभग 500 लाख लोगों को शिक्षा प्रदान करना, एक कठिन कार्य है। आर्ट ऑफ लिविंग ने इस चुनौती को सरकार और अन्य एजेंसियों के साथ साझा करते हुए, देश के सबसे ज्यादा पात्रता रखने वाले बच्चों और युवाओं तक शिक्षा को पहुंचाया। तथापि, ऐसा अनुमान है कि भारत में 96% बच्चे प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत कर पाते है, उनमें से केवल 72% बच्चे पांचवीं कक्षा तक शिक्षा को पूर्ण कर पाए, 57% बच्चे आठवीं कक्षा तक पहुंचे और मुश्किल से 37% बच्चे ही दसवीं कक्षा को पूर्ण कर पाए।
हमारी कुछ चुनौतियां :
- कई सामाजिक - आर्थिक कारणों की वजह से माता पिता विद्यालयों में बच्चों को भर्ती नहीं करवाते हैं।
- घरेलू दबाव के कारण बच्चे कुछ समय बाद विद्यालय छोड़ देते हैं।
- जैसे जैसे बच्चों का सामना व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से होने लगता है वैसे वैसे, समय के साथ बच्चों का पढ़ाई में प्रदर्शन घटने लगता है।
- बेहतर अवसर पाने के लिए शिक्षक नौकरी छोड़ देते हैं।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिये हमने नये हल खोज निकाले है। हमारी खतरे को कम करने की रणनीति में न केवल बच्चों और उनके अभिभावकों का, शिक्षकों का बल्कि पूरे समाज का समग्र विकास निहित है।
≈ 66%
*2016 में शिक्षा की दर
भारत मे निम्न-शिक्षित
5 वर्ष से कम तक शिक्षा पाने वाले लोग
≤ 37%
जो कि प्राथमिक शिक्षा प्रारम्भ कर
दसवीं कक्षा को समाप्त कर पाते है।
भारत में हाई स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर ऊंची है।
शिक्षा, सभ्यता की सबसे बड़ी न्याय दिलाने वाली नींव है। इसमें कमजोर से भी कमजोर को सशक्त करने की शक्ति है, शिक्षा संसार में शांति ला सकती है और गरीबी दूर कर सकती है। प्राय: केवल इसे ही एकमात्र, आनन्द की खोज में लक्षित प्रकाशमय मार्ग की तरह देखा जाता है।
- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
रणनीति
हमारे पास हमारे शिक्षा परियोजनाओं के लिए एक स्पष्ट रणनीति है,जो समय के साथ विकसित और परिष्कृत की गई है। यह रणनीति तीन स्तंभों पर बनाई गई है:
समुदायों के साथ संलग्न होना: आर्ट ऑफ लिविंग पूरी सक्रियता के साथ समुदाय प्रभावकों के पास पहुँचा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे विद्यालय में बने रहें। बच्चों को पढ़ाने से पहले हमने उनके माता पिता और बुजुर्गों को शिक्षा के महत्व के बारे में अवगत कराया। स्थानीय समुदाय से ही विद्यालय के शिक्षकों को चुना गया और उन्हें भली भांति प्रशिक्षण दिया, ताकि समुदाय के साथ एक मजबूत बंधन बना रहे। इसके प्रतिफल से काफी कम ड्रॉप आउट दर में सहायता मिली।
निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना: हमारे स्कूलों में अधिकांश बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी है जो कि अति निर्धन पृष्ठभूमि से आते है। आर्ट ऑफ लिविंग स्कूल, ऐसे बच्चों को जो संवेदनशील इलाकों से आते है, उन्हे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक बाधाएं जो बच्चों को स्कूल से दूर बनाए रखती थी, का समाधान देते हुए उन्हें मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान कर रहा है।
मूल्यों पर आधारित शिक्षा: आर्ट ऑफ लिविंग विद्यालयों में बच्चों का सम्पूर्ण रूप से विकास किया जाता है। हमारी शिक्षा नीति का प्रधान केंद्र है औपचारिक शिक्षा को जीवन कौशल जिसमें कि बच्चे का आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और अंतर वैयक्तिक कौशल एवं आध्यात्मिक साधनाें का विकास, ध्यान तकनीकों और मानव मूल्यों की बुनियाद के साथ जोड़ा गया है। जिसके फलस्वरूप, पारिवारिक मूल्यों को मजबूती मिली और प्रगति की अभिवृत्ति ने सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबंधों को धूमिल किया।
समाज के साथ संलग्न होना
शिक्षकों को चुनना और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना
निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना
अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी है।
मूल्यों पर आधारित अभिवृत्ति
आध्यात्मिक साधनों द्वारा आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, वैयक्तिक कौशलों का विकास।
पहली पीढ़ी के शिक्षार्थीयों को निःशुल्क शिक्षा
आज तक, आर्ट ऑफ लिविंग ने 1 लाख से अधिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की है। इनमें से अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी है।
दान करेंप्रभाव
हमारे द्वारा किए गए लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप, इस कार्यक्षेत्र में आज आर्ट ऑफ लिविंग भारत के 22 राज्यों के आदिवासी अंचल, ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी बस्तियों में 1,262 निःशुल्क विद्यालय चलाता है, जो कि 1 लाख से अधिक बच्चों तक शिक्षा को पहुंचा रहा है। हमारे इन विद्यालयों की कुछ प्रमुख बातें हैं :
- इन विद्यालयों में अधिकतर बच्चे पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं।
- इनमें से हमारे कई विद्यालय ऐसे क्षेत्रों में स्थित है, जहां सरकारी स्कूल नहीं हैं।
- विद्यार्थियों को कपड़े, जूते, किताबें, लिखने के सामान, बस सेवाएं एवं मध्यान्ह भोजन दिया जाता है।
- स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के प्रोत्साहन हेतु, हम उन्हें योग, ध्यान, खेल, सृजनात्मक क्रियाएं जैसे नृत्य, संगीत, चित्रकारी, पेंटिंग सीखाते है।
- हमारे इन विद्यालयों में लिंग अनुपात 48 लड़कियां : 52 लड़कों का है,जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।
- हमने अब तक 2000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है।
1 लाख से अधिक
विद्यार्थियों
को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
1,262
निःशुल्क विद्यालय
भारत के 22 राज्यों में चलाए जाते हैं।
2,000
से अधिक शिक्षकों
को प्रशिक्षण प्रदान किया
48 : 52
लड़कियां लड़के का अनुपात
जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है
हमारे परियोजना का हिस्सा बनें
गिफ्ट ए स्माइल
समाज में पिछड़े और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए हमारा शिक्षा कार्यक्रम हमारी सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। यदि आप किसी भी समाज में दीर्घकालिक सुधार लाना चाहते हैं, तो शिक्षा ही ऐसा करने का माध्यम है।
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