पुरुषों में पीठ का दर्द कष्टप्रद, खिझाने वाला और असहनीय होता है। कई बार तो यह अति दुखदायी होता है और पीठ को तनिक भर भी हिलाने से रोगी चिल्ला उठता है, “आह…”।

भारतीय युवाओं पर किए गए एक अध्ययन से यह सामने आया कि भारतीय युवाओं में भी कमर के निचले भाग की पीड़ा होने व उसके बढ़ने की प्रवृत्ति होती है। इस अध्ययन से युवाओं में कमर के निचले भाग में पीड़ा के लिए जिम्मेदार अनेक परिवर्तनशील तथा अपरिवर्तनशील कारक भी ज्ञात हुए। इन कारकों और समस्या उत्पन्न करने वाले कारणों को पहचान कर हम पीठ दर्द की तीव्र स्थिति को बढ़ कर चिरस्थायी दर्द में परिवर्तित होने से रोक सकते हैं।

पुरुषों में पीठ दर्द के कारण तथा उनकी रोकथाम के उपाय (Kamar Dard ke Karan)

  • आयु – युवाओं की अपेक्षा वयोवृद्ध पुरुषों की  माँसपेशियों में उम्र के साथ साथ शिथिलता और घिसाई के कारण पीठ दर्द होने की संभावनाएँ अधिक होती हैं। परंतु आजकल इस समस्या की शुरुआत 30 या 40 वर्ष के आयुवर्ग में भी हो रही है।
  • कम क्रियाशीलता, उसके अभाव और नियमित व्यायाम न करने के कारण शरीर के इस हिस्से में क्रियाहीनता से पीठ और पेट की माँसपेशियाँ कमजोर पड़ जाती हैं जिससे पीठ दर्द की समस्या हो जाती है।
  • कैंसर अथवा आर्थराइटिस (गठिया रोग) भी पीठ दर्द को बढ़ा सकते हैं।
  • अधिक वजन – अधिक वजन से भी पीठ पर पड़ने वाले तनाव में वृद्धि होती है।
  • गलत ढंग से या बार बार वजन उठाने से – वजन उठाते समय हमेशा अपनी पीठ की माँसपेशियों का ही उपयोग करें, टाँगों की माँसपेशियों का नहीं, वरना पीठ की माँसपेशियों में ऐंठन पैदा हो जाएगी। बार बार और लगातार वजन उठाने से बचें और बीच बीच में उचित अंतराल रखें।जब भी वजन उठाना हो, किसी की सहायता लें अथवा वजन उठाने की यथोचित विधियों का उपयोग करें। जब भी वजन उठाने के व्यायाम करें, अपने गर्दन के पीछे से लेकर रीढ़ की हड्डी के आधार तक, निरंतर रीढ़ में एक सीधी रेखा बनाए रखें।
  • चिंता तथा अवसाद से भी माँसपेशियों में तनाव उत्पन्न होता है जिससे पीठ दर्द का संकट बढ़ सकता है।
  • नशा – धूम्रपान या तम्बाकू के अन्य उत्पाद उपयोग करने से खांसी होती है जिससे हर्नियेटेड डिस्क (उभरी हुई डिस्क) की समस्या हो सकती है। धूम्रपान करने से रीढ़ की हड्डी (मेरुदंड) में होने वाले रक्त प्रवाह में कमी आ सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के खोखला होने की स्थिति) का जोखिम बढ़ सकता है।
  • कठोर परिश्रम वाली व्यवसायी गतिविधियाँ – बहुत से परिवारों के पुरुषों में कार्यस्थल पर न्यूनतम गतिशीलता और कई कई घंटों तक निरंतर बैठे अथवा खड़े रहने के कारण पीठ दर्द की शिकायत मिलती है। कुछ अति परिश्रम वाले व्यवसायों में (जैसे अग्निशमन कर्मी, आपातकालीन स्वास्थ्य कर्मी आदि), सामान उठाने और उसे धकेलने जैसे कार्य करने पड़ते हैं। बार बार भारी समान उठाने और उसे धकेलने का कार्य करने से पीठ, कंधों तथा हड्डियों से संबद्ध माँसपेशीतंत्र प्रणाली पर बहुत तनाव पड़ता है। इससे कंधों और पीठ को क्षति पहुँच सकती है।

पुरुषों में पीठ दर्द के कारण (Purusho me Kamar Dard ke Karan)

  • स्थानिक पीठ दर्द (मेरुदण्ड, माँसपेशियों तथा पीठ के अन्य ऊतकों में दर्द)
    • मेरुदण्ड में दर्द के कारण
      • गठिया (आर्थराइटिस)
      • स्पंडीलाइटिस – यह मेरुदण्ड में सूजन तथा ऐंठन पैदा करता है। 
      • आघात / चोट
      • ट्यूमर (रसौली)
      • डिस्क का घिसना/ क्षय होना: उमर के साथ डिस्क समतल हो जाती है, जिससे रीढ़ के जोड़ों को मिलने वाली सुरक्षा कम हो जाती है।
    • ऊतकों में रहने वाले दर्द के कारण
      • लिगामेंट (स्नायुबन्धों) में तनाव
      • माँसपेशियों में तनाव
      • माँसपेशियों में खिंचाव
  • विकिरणित (रेडियेटिंग) पीठ दर्द (वो दर्द जो शरीर के किसी अंग से प्रारंभ होता है और पीठ तक पहुँचता है और लगता है कि यह पीठ में ही हो रहा है।)
    • पित्त की थैली (गॉल ब्लैडर) में सूजन
    • गुर्दे में संक्रमण और पथरियाँ
    • यकृत (लीवर) में समस्या
    • अग्न्यआशयशोथ (पेंक्रियाटाइटिस)
    • यौन संचारित संक्रमण
    • छिद्रित पेप्टिक अल्सर
    • मूत्र मार्ग संक्रमण
    • अण्डकोषों में चोट
    • प्रोस्टाइटिस
  • जिन पुरुषों में नींद संबंधी विकारों की समस्या है, अन्य पुरुषों के अपेक्षा उनमें पीठ दर्द की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
  • गदूद के कैंसर (प्रोस्ट्रेट कैंसर) की, उसके बाद के (अग्रिम) चरणों में, यदि कैंसर हड्डियों तक फैल जाए, तो उस समय का पीठ दर्द अधिकतर मामलों में कैंसर के कारण ही होता है।
  • अचानक से हुई किसी अटपटी/असामान्य  हरकत/गतिविधि के कारण भी पीठ की माँसपेशियों और रीढ़ के लिगमेंट्स (अस्थिबंध) में खिंचाव उत्पन्न हो सकता है। जिन लोगों का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, उनमें पीठ पर निरंतर दबाव के कारण भी माँसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
  • डिस्क रीढ़ की हड्डियों के बीच कुशन की तरह काम करती है। उभरी हुई या टूटी हुई डिस्क रीढ़ की हड्डी पर दबाव डाल सकती है।
  • किसी दुर्घटना, जैसे कार की टक्कर अथवा गिरने से, रीढ़ की हड्डी टूट सकती है। हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के खोखला होने की स्थिति) जैसी कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो हड्डियों में टूटने का खतरा और बढ़ जाता है।

पुरुषों में पीठ दर्द को कम करने के उपाय (Pith Dard ka Ilaj)

स्वस्थ मेरुदण्ड तथा अच्छी शारीरिक मुद्रा के लिए पीठ के व्यायाम (Kamar Dard ka Exercise)

डा० अंकिता ढेलिया, ऑस्टियोपैथ और क्रेनियोसेक्रेल चिकित्सक तथा परामर्शदात्री, निम्नलिखित व्यायाम करने की सलाह देती हैं।

व्यायाम 1

हम प्राय: अपनी गर्दन और कमर तो हिलाते हैं किंतु पीठ के मध्य भाग को अनदेखा कर देते हैं, जिससे उसमें उभार (कूबड़) निकल आता है। यह व्यायाम करने से कंधे की हड्डियों में हो रहे दर्द से भी राहत मिलती है।

  1. कुर्सी पर बैठ जाएँ।
  2. अपने दाहिने हाथ को कंधे की सीध में कोहनी को समकोण पर मोड़ कर रखें। हथेली तथा उँगलियाँ ऊपर की ओर खुली हों।
  3. अपनी बायीं भुजा को फर्श के समानांतर और हथेली नीचे की ओर खुली रखें।
  4. जैसे जैसे हम अपनी भुजा को आगे की ओर बढ़ाते हैं, अपने सिर को उसके विपरीत दिशा (बायीं ओर) घुमाएँ।
  5. इसके पश्चात, अपनी भुजा को कोहनी से पीछे की ओर लें और अपने सिर को दायीं ओर (उसी ओर) घुमाएँ।
  6. इस क्रिया को दस बार दोहराएँ।
  7. अब इस व्यायाम को अपने बायें हाथ से करें।

व्यायाम 2

यह व्यायाम आपकी पीठ के ऊपरी भाग, ट्रेपेज़ियस (एक माँसपेशी), गर्दन और कन्धे के लिए चमत्कार कर सकती है।

  1. कुर्सी पर बैठ जाएँ।
  2. दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फँसा लें (इंटरलॉक कर लें) और अपने सिर के पीछे किसी भी लेवल पर रखें।
  3. अपनी दायीं भुजा को नीचे की इस प्रकार ओर झुकाएँ कि कोहनी सामने की ओर हो।
  4. दूसरी कोहनी को पीछे की ओर धकेलें।
  5. अपनी क्षमता अनुसार, जितना हो सके, दोनों ओर (विपरीत दिशा में) खिंचाव दें।
  6. इस क्रिया को दस बार दोहराएँ।
  7. अब यही व्यायाम अपने बायें हाथ/भुजा से करें।

मेरुदण्ड के व्यायाम पर और अधिक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग “घर पर करने को मेरुदण्ड के 7 व्यायाम” पर जाएँ।

योगासन (Yoga for Back Pain in Hindi)

नीचे दिए आसनों को नियमित रूप से प्रतिदिन एक बार करने से हमारी पीठ सुदृढ़ और लचीली होती है।

साराँश

पुरुषों में पीठ के निचले भाग के दर्द से उनके जीवन की गुणवत्ता पर व्यक्तिगत स्तर पर दुष्प्रभाव के साथ साथ आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है। इसलिए युवाओं में परिवर्तनीय जोखिमों के विषय में जागरूकता बढ़ा कर और उन कारकों पर नियंत्रण करके उनकी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन, गुणवत्ता में सुधार तथा उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

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