आज की इस रफ्तार भरी और अस्त-व्यस्त दुनिया में, कई लोगों के लिए आंतरिक शांति और सेहत प्राथमिकता बन गए हैं। ध्यान, गति से स्थिरता की यात्रा है, ध्वनि से मौन तक। ध्यान करने की आवश्यकता प्रत्येक मनुष्य में विद्यमान होती है क्योंकि मानव जीवन की प्राकृतिक प्रवृत्ति एक ऐसे आनन्द को खोजना है जो कभी कम न हो, वह प्रेम जो कभी भी विकृत नहीं हो या नकारात्मक भावों में परिवर्तित न हो। क्या ध्यान आपके लिए पराया है? बिल्कुल नहीं। वह इसलिए क्योंकि आप अपने जन्म से पहले कुछ महीनों के लिए ध्यानस्थ थे। आप कुछ न करते हुए, अपनी माता की गर्भ में थे। यहाँ तक कि आपको अपना खाना भी नहीं चबाना पडता था – यह सीधे आपके पेट में पहुंचाया जाता था और आप प्रसन्नतापूर्वक तरलता में तैर रहे थे, उलट-पुलट होते हुए, लात मारते हुए, कभी यहाँ तो कभी वहाँ, लेकिन ज्यादातर प्रसन्नतापूर्वक तैरते रहे। यही ध्यान या पूर्ण विश्राम है।
ध्वनि से मौन तक की यात्रा, ध्यान है।
– गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर
आत्मा के लिए भोजन
अगर आप ध्यान से होने वाले लाभ देखेंगे तो आप यह महसूस करेंगे कि आज के समय में ध्यान बहुत महत्वपूर्ण है। पुराने समय में ध्यान को आत्मबोध के लिए व्यवहार में लाया जाता था, स्वयं की खोज के लिए प्रयोग किया जाता था। ध्यान दुखों को मिटाने और समस्याओं से निपटने का रास्ता हुआ करता था। यह अपनी क्षमताओं को सुधारने का भी तरीका हुआ करता था। अतीत में इसे, इन तीनों चीजों के लिए उपयोग किया जाता था। आज, अगर आत्मबोध को छोड दें, तो आप देखेंगे कि आज की सामाजिक बुराईयाँ, तनाव और चिन्ता, इन सभी के हेतु, ध्यान आवश्यक है। आपके जीवन में जितनी अधिक जिम्मेदारी उतनी अधिक ध्यान की जरूरत। अगर आप के पास करने को कुछ नहीं है तो शायद ध्यान की आपको इतनी आवश्यकता न हो। लेकिन आप जितने व्यस्त हैं, उतना ही कम समय है आपके पास, और उतना अधिक कार्य आपके पास एवं ततपश्चात, आपकी इच्छाएँ और आकांक्षाएँ हैं, अत: आपको ध्यान की ज्यादा आवश्यकता होगी। ध्यान, न केवल आपको तनाव से मुक्त करता है और आपको शक्ति देता है, बल्कि यह आपको चुनौतियों का सामना करने के सामर्थ्य में वृद्वि करेगा। ध्यान हमें उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। संगीत भावनाओं का भोजन है; ज्ञान भोजन है बुद्वि का; मनोरंजन आहार है मन का; ध्यान भोजन है हमारी आत्मा का या चेतना का। यह मन का उर्जाप्रदायक है।
प्राकृतिक सकारात्मकता
क्या आपने देखा है कि कभी कभी जब आप किसी से मिलते हैं, बिना ही कारण आपको उनसे बात करने का मन नहीं करता? वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिनसे आप इतना मिले नहीं हैं के तो भी आपको उनके साथ बात करने से आत्मीयता लगती है। ऐसा सकारात्मक ऊर्जा के कारण होता है। ध्यान हमारे आसपास सकारात्मक और सामंजस्य की ऊर्जा का सृजन करता है।
कम समय में गहरा विश्राम
अब तक काफी शोध हुआ है कि कैसे ध्यान उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), हृदय की समस्याएँ, चमड़ी के रोगों में, स्नायुतंत्र समस्याएँ और अन्य विभिन्न समस्याओं में मददगार है। यह शारीरिक बीमारियों और मानसिक व्याधियों को रोकने में बहुत सहायक है। बौद्धिक स्तर पर यह कुशाग्रता, केंद्रित होने के लिए पैनापन, सजगता और अवलोकन लाता है। भावनात्मक रूप से हम हल्का, मधुर और निर्मल महसूस करते हैं। अतीत के कूड़े कचरे को आप छोड़ सकते हो। यह आपके आसपास सकारात्मक तरंगों का निर्माण करता है, दूसरों के साथ आपका बर्ताव और दूसरों का आपके साथ बर्ताव, दोनों को प्रभावित करता है। ध्यान आपको अल्प समय में अथाह विश्राम देता है।
एकाग्रता और स्पष्टता
ध्यान आपको वर्तमान क्षण में रहने में सहायता करता है। आपका मन अतीत और भविष्य के बीच झूलता रहता है। हम या तो पूरे समय भूतकाल के प्रति क्रोधित रहते हैं या फिर भविष्य के लिए चिंतित। अत: ध्यान आपके मन को भूत और भविष्य में झूलने के बजाय वर्तमान क्षण में अधिक रहने में मदद करता है। स्वास्थ्य लाभ के अलावा, ध्यान एकाग्रता को निखारता है। आप जिस तरह चीजों का अनुभव करते हैं ध्यान उसमें सुधार लाता है। यह मन में शुद्धता लाता है।
स्वयं में शांति, पृथ्वी पर शांति
ध्यान आपके आसपास के लोगों के साथ आपके संवाद को सुधारता है। विभिन्न परिस्थितियों में आप क्या कहते हैं और कैसे कार्य करते हैं, आप इसके प्रति सतर्क रहते हैं। सामान्यतः तनाव रहित समाज से लेकर वैयक्तिक सेहत और हिंसा रहित समाज से लेकर दुख रहित चेतना – यह सभी ध्यान के ‘साइड इफेक्ट’ हैं।
ध्यान में, उपचार संभव हो जाता है। जब मन शांत, सजग और पूर्णतः संतुष्ट है तो यह किसी लेजर बीम की भाँति होता है – जो बेहद शक्तिशाली है और उपचार संभव हो जाता है।
– गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर
आज, दुनिया की चेतना में उन्नति हो रही है; फिर भी, दूसरी ओर, आप नकारात्मकता और अशांति को पाएँगे। साथ ही साथ, पहले से ज्यादा, अब लोग दुनिया के लिए चिंतित हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग दुनिया के लिए कुछ करना चाहते हैं। अगर धरती का कोई हिस्सा जहाँ सबसे अधिक समय गर्मी पड़ती है, तो वहीं दूसरे हिस्से में सबसे लंबी सर्दी पड़ती है। दुनिया में जो आप दिन के उजाले और रात्रि की मात्रा पाते हैं, प्राय: समान ही है। इसलिए जब इस विशाल परिदृश्य को देखते हैं, तो हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि कोई विशाल शक्ति है जो इस धरती पर हमारी देखभाल करती है और सहस्त्राब्दियों से अपना कार्य कर रही है। किन्तु इससे हमें कुछ न करने से मुक्ति तो नहीं मिल जाती।
जब क्रिया और ध्यान संतुलित हो तब जीवन सहज ही खिल उठता है।
– गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर
अगर अंदरूनी शांति नहीं है तो बाहर भी शांति नहीं हो सकती। ध्यान अंदरूनी शांति सुनिश्चित करता है। जब भीतर शांति होगी तो बाहर भी शांति होगी। अगर आप क्षुब्ध हैं, हताश हैं तब आप बाहर शांति कायम नहीं कर सकते। जैसा कहा गया है – ‘’दान-दया घर से शुरू होते है’’। परोपकार खाली कटोरे से नहीं हो सकता। इसमें पहले से कुछ होना चाहिए। इसी प्रकार, आप में शांति बाँटने के लिए आंतरिक शांति होनी चाहिए। केवल शब्द शांति नहीं व्यक्त कर सकते; शांति स्पंदन हैं। इसलिए जब आप गहराई में शांत हैं, धीर हैं तब आपकी ताकत कई गुणा बढ जाती है। जब आप इतने ताकतवर हो जाते हैं, तब आप कहीं भी जाकर शांति की बात कर सकते हैं। अतः ध्यान आपको अंदरूनी ताकत देता है। और यह शांतिदायक तरंगे आपके आसपास फैलाता है। और इसलिए ध्यान शांति के लिए आवश्यक है।
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