बच्चों का पालन-पोषण एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है। इसमें छुट्टियां नहीं मिलती हैं। बेशक, यह 24*7 काम अद्भुत्त तरीके से लाभकारी है, परन्तु इसमें कई चुनौतियाँ भी हैं। बड़े बच्चों की तुलना में, नवजात शिशुओं का पालन-पोषण करना अधिक कठिन है। छोटे बच्चे अपने माता-पिता पर पूर्ण रूप से निर्भर होते हैं। नए-नए बने हुए माता-पिता भी एकदम शुरुआत से अपने बच्चों का लालन-पालन करना सीखते हैं। वक़्त बेवक़्त खान और सोना उनके जीवन का अहम हिस्सा बन जाता है। जीवन की इस कठिन स्थिति में अपना धैर्य कैसे रखा जाए ? ध्यान आपकी सहायता कर सकता है।

आइए जानते हैं कैसे!

मन की खुशहाल स्थिति:

इस क्षण को आनन्द, सजगता तथा करुणा के साथ जीना ही आत्मज्ञान है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

ध्यान मन को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक परिस्थितियां बनाने में हमारी सहायता करता है। यह आनन्द के निम्नलिखित पांच स्तम्भों को मजबूत बनाता है :

  • करुणा 
  • सहानुभूति
  • विनोद
  • आंतरिक संतुलन
  • संतुष्टि

ध्यान का नियमित अभ्यास करने से हमारे मन में हो रही विरोधाभासी बातचीत बन्द हो जाती है, जिससे कि हम अपने मन की उस प्रसन्न अवस्था से पुनः जुड़ पाते हैं,  जो हमारे अस्तित्व में अन्तर्निहित है। प्रसन्न माता-पिता अपने छोटे बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होते हैं। जब हम प्रसन्न होते हैं, तब हमें अधिक ऊर्जा का आभास होता है।

कामकाजी माता-पिताओं को अपने व्यावसायिक एवं निजी जीवन में अबाधित संतुलन लाने में ध्यान सहायता करता है। जिम्मेदारियां तब बोझ नहीं लगती हैं। 

तनाव दूर करने वाला उपकरण:

पीड़ा का कारण मन में बसी धारणाएं हैं कि हर कार्य को एक निश्चित तरीके से ही होना चाहिए।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

किसी भी तनावपूर्ण परिस्थिति की प्रतिक्रिया में या तो हम उसका सामना करते हैं, या फिर हम उससे भाग जाते हैं। यह फ्लाइट  और फाइट रिस्पांस के नाम से जाना जाता है। उत्तेजना वाली परिस्थिति में अगर हम लम्बे समय तक रहते हैं, तो हमारे शरीर को बहुत हानि पहुँचती है। लम्बे समय के तनाव के निम्लिखित शारीरिक दुष्प्रभाव हैं:

  • ह्रदय रोग
  • वजन का बढ़ना
  • बालों का झड़ना
  • सिरदर्द
  • यौन निष्क्रियता 

तनाव की प्रतिक्रिया और ध्यान की प्रतिक्रिया  एक दूसरे के विपरीत हैं। ध्यान हमारे मन और शरीर को विश्राम देता है। स्थिरता के वापस लौटने पर तनाव प्रक्रिया से होने वाली हानि का निवारण करने में सहायता होती है। बच्चों की हर समय अपने ऊपर ध्यान की मांग तथा अन्य कई मांगें, हमारी दिनचर्या को उलट पुलट कर देती हैं। ऐसे में तनाव का बढ़ना स्वाभाविक है। ध्यान इसका भरोसेमंद इलाज है। छोटे बच्चों के माता-पिता पर ध्यान की कोई व्यवस्था लागू नहीं होती। शांति के किसी भी क्षणों को ध्यान के क्षणों में बदला जा सकता है।   

चिंता के विकारों से मुक्ति पाएं:

प्राणायाम, ज्ञान एवं ध्यान से चिंता दूर की जा सकती है। यह जान लें कि कोई आपका ध्यान रख रहा है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

चिंता, व्याकुल करने वाले विचारों को उत्पन्न करती है। यह समस्या का समाधान करने वाले विचार तथा व्याकुल करने वाली परेशानी के बीच अंतर करने की क्षमता को समाप्त कर देता है। और अगर आप एक छोटे बच्चे के माता-पिता होते हैं, तो आपके पास विचलित करने वाले विषयों की कोई कमी नहीं होती है। एक सामान्य नाक सुड़कने या खांसने की आवाज़ से क्या, क्यों और कैसे हुआ, की खत्म न होने वाली शृंखला शुरू हो जाती है!

ध्यान अनियंत्रित घबराहट, चिड़चिड़ेपन तथा खराब नींद के द्वारा चिन्हित जनरलाइज़्ड ऐंग्जाइटी डिसॉर्डर को शांत करने में सहायक होता है।वर्ष 2013 में वेक फॉरेस्ट बैप्टिस्ट मेडिकल सेंटर द्वारा किये गए शोध में यह सिद्ध हुआ है कि ध्यान मस्तिष्क के कुछ ऐसे क्षेत्रों को सक्रिय करता है,  जो चिंता को नियंत्रित करने में योगदान करते हैं।

तनाव का स्तर कम होने से घबराहट कम होती है। ध्यान, तनाव तथा तनाव की प्रतिक्रियाशीलता के विरुद्ध लड़ने की क्षमता को सुधारता है। यह सकारात्मक आत्मकथनों में भी सुधार करता है। नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास करने से नए माता-पिता अपनी इस नई भूमिका में और अधिक मज़बूत हो जाते हैं।

छोटे बच्चों के पालन-पोषण से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बच्चों के लिए ध्यान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनका ध्यान, स्मृति, शैक्षणिक प्रदर्शन और पूरे मानसिक कल्याण को बेहतर बनाता  है तथा उनके मन को खुशहाल स्थिति के लिए तैयार करता है।
ध्यान के नियम छोटे बच्चों के माता-पिता पर लागू नहीं होते। कोई भी शांतिपूर्ण क्षणों को ध्यान के क्षणों में बदला जा सकता है। बच्चों के लिए ध्यान को मनोरंजक बनाइये। शुरुआत में आप ध्यान करते समय उनके कुछ मिनटों के लिए बुलाएं। उन्हें अपनी साँस के ऊपर ध्यान देने पर उत्साहित करें। अगर वो अपनी आंखें खोल देते हैं,  तो भी कोई बात नहीं।
सचेतन होने का अर्थ है,  वर्तमान क्षण में होना। अपने बच्चे से कहें कि वो अपनी साँस पर ध्यान दें, साँस के साथ पेट के संचलन पर ध्यान दे, वो थोड़ी देर कसरत करें और फिर बच्चे को लेटकर अपने शरीर के विभिन्न अंगों तथा अपनी भावनाओं पर ध्यान ले जाने को कहें।
ध्यान करने से, परस्पर विरोधात्मक विचार, हमारे अस्तित्व में अन्तर्निहित एक प्रसन्न मनःस्थिति में बदल जाते हैं। खुशहाल माता-पिता बच्चों के पालन-पोषण करने में आने वाली चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिए सक्षम होते हैं। हम जब खुश होते हैं,  तब हम ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। ध्यान कामकाजी माता-पिताओं को उनके व्यावसायिक तथा निजी जीवन में सहज संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इससे जिम्मेदारियां बोझ नहीं लगती हैं।
परिवारजनों के एकसाथ ध्यान करने से सभी के विचारों में सामंजस्य होता है। अपने परिवारजनों की सहमति से अपनी दिनचर्या में ध्यान के लिए एक समय निर्धारित करें। एक छोटा सा निर्देशित ध्यान करें,  जो सब को पसंद आता हो या फिर एक मंत्रों का ध्यान, जो सभी को प्रिय हो।
छोटे शिशुओं के साथ ध्यान की निर्धारित दिनचर्या असंभव है। कोई भी शांतिपूर्ण क्षणों को ध्यान के क्षणों में बदला जा सकता है। जब आपका बच्चा सो रहा हो या आपके कोई दोस्त या पड़ोसी उसकी देखभाल कर रहे हों तब आप ध्यान करें।

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