क्या आपकी नाक छींक छींक कर लाल हो चुकी है? या फिर आप अपने शरीर का तापमान हर 2 घंटे बाद देखते हैं और यह प्रार्थना करते हैं कि सब कुछ ठीक हो? यह सर्दी जुखाम के कुछ लक्षण हैं, परंतु इसके अलावा शरीर के भीतर बहुत  कुछ हो रहा होता है।

यदि आपके गले में खराश है, नाक से पानी आता है, छींके आ रही हैं, बुखार है, तो इसका अर्थ है कि आपको सर्दी जुकाम है। वैज्ञानिक इसको नैसोफैरिंजाइटिस कहते हैं।

यदि आपकी प्रकृति ऐसी है, जिसमें आप बदलते मौसम में जल्दी से नहीं ढल पाते हैं और आपको एलर्जी हो जाती है, तो आप जल्दी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में आपको अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता है।

जब आपको सर्दी हो जाती है, तो आप क्या करते हैं? दवाई लेकर उसको रोकते हैं? ऐसा करने से कितनी बार आपका जुकाम ठीक हो जाता है? डॉक्टरों के अनुसार एक ही दवाई बार बार लेने से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

यह समय बदलाव का है। कुछ प्राकृतिक तरीके देखते हैं, जिससे बिना किसी दुष्प्रभाव के सर्दी और जुकाम में एकदम आराम मिलता है।

1. ध्यान करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है

क्या आप जानते हैं कि विश्राम करने की पुरानी पद्धति से जुकाम ठीक हो जाता है? अब तक आप इस बात से भलीभाँति अवगत होंगे कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हमारे स्वास्थ्य के अनुरूप होती है। जितनी मजबूत आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता है, उतना अधिक आप स्वस्थ हैं। क्या आपने कभी यह सोचा है कि ध्यान आपको कैसे स्वस्थ होने में मदद करता है?

इसको इस तरह से सोचें, जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता ऐसी सेना है, जो आपको प्रबल एंटीजन के प्रहार से बचाती है। ध्यान आपकी सेना के लिए बिल्कुल ऐसा काम करता है, जो प्राथमिक चिकित्सा  किसी घायल सैनिक के लिए करती है और यह आपकी सेना की शक्ति को भी बढ़ाता है।

उन दिनों जब आप अस्वस्थ होते हैं, तब ध्यान आपका संतुलन बनाए रखता है, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, आपके मन और बुद्धि को भी स्वस्थ बनाता है। बाकी दिन जब आप स्वस्थ होते हैं, तो ध्यान आपको सभी प्रकार की बीमारियों से बचाता है।

एक और तरीका है, जिससे ध्यान आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

जब आप बीमार होते हैं, तब आपको कैसा लगता है? यदि आपको कमजोरी महसूस होती है, तो इसका कारण यह है कि बीमारी आपकी ऊर्जा को खा जाती है। इसके विपरीत, ऊर्जा के उच्च स्तर में आप स्वस्थ रहते हैं। यदि हम बीमारी के समय में ध्यान करते हैं, तो इससे हमारी प्राण ऊर्जा बढ़ती है, जिसके साथ साथ हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। एक मजबूत प्रतिरोधक क्षमता रोग से इस प्रकार से लड़ती है, जैसे कि वह सामान्य से जुकाम को ठीक कर रही हो।

यह रोगमुक्त होने का समय है। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा निर्देशित ऑनलाइन ध्यान करें।

2. प्राणायाम, योग और ध्वनि चिकित्सा

क्या आपने कभी देखा है कि बच्चे किस तरह सोते हैं और किस तरह खेलते हैं? आप उस समय को याद करें जब आप या आपके बच्चे एक फोटो खिंचवाने के लिए किस प्रकार से पोज देते थे। ध्यान से उनके हाव भाव देखिए और किस तरह वे अपनी उँगलियों को एक साथ रख के सोते हैं। योग और प्राणायाम सीखने के लिए आपको अपने मन को प्रशिक्षित नहीं करना पड़ता है। यह आप स्वाभाविक रूप से करते हैं, जैसे आप बच्चों में देख सकते हैं।

अग्नि मुद्रा और वायु मुद्रा आपके शरीर की गर्मी को बढ़ाते हैं, जिससे बिना एसिडिटी बढ़ाए आपका कफ पिघल जाता है।

अग्नि मुद्रा किस तरह करें?

अग्नि मुद्रा अपने अंगूठे को मोड़ कर अपनी मध्यमा उंगली के साथ मिलाएँ। इस स्थिति में बाकी सारी उँगलियाँ खुली होनी चाहिए।

वायु मुद्रा किस तरह करें?

वायु मुद्रा के लिए अपनी तर्जनी को दबाएँ और अंगूठे को उँगली के मध्य भाग पर रखें। बाकी तीन उँगलियों को सीधा रखना है। यह एक दूसरे के समानांतर होनी चाहिए।

क्या आप यह तथ्य जानते हैं कि श्वास लेने की आसान सी प्रक्रिया में आपके स्वस्थ जीवन का रहस्य छुपा है। यदि हम सुदर्शन क्रिया और भस्त्रिका प्राणायाम के द्वारा अपनी श्वास पर नियंत्रण करना सीख जाएँ, तो हम शारीरिक और मानसिक स्तर के साथ साथ सभी स्तरों पर संतुलित हो जाएंगे। श्वास हमारी प्राण ऊर्जा का मुख्य स्तोत्र है, जब हम सुदर्शन क्रिया (एक सरल लयबद्ध श्वास तकनीक) करते हैं, तो हमारी श्वास एक लयबद्ध तरीके से चलती है और हमारे शरीर से सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

योगासन, जैसे की गौमुख आसन और भुजंग आसन भी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।

3. संगीत द्वारा थेरेपी (साउंड थेरेपी)

आप सब ने ध्वनि द्वारा चिकित्सा के बारे में सुना ही होगा। संस्कृत मंत्रोच्चारण द्वारा जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, उससे सकारात्मक ऊर्जा  बनती है, और उस से हमारी ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। जब आपको सर्दी हो, तब मंत्रोच्चारण सुनने से आप सर्दी से बचाव कर सकते हैं।

आपने यह भी सुना होगा कि आँखें बंद करके मंत्रोच्चारण सुनने से हम गहन विश्राम में चले जाते हैं। यह ध्यानस्थ अवस्था है। मंत्रोच्चारण में अपने आप ही उपचार की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। आप लेटे हुए, आराम करते हुए भी इनको सुन सकते हैं। यदि आप इनको सुनते हुए सो जाते हैं, तो कोई बात नहीं। यह आपके लिए अच्छा है क्योंकि इससे उत्पन्न उच्च स्तर की ऊर्जा आपको रोगमुक्त करती है।

4. इस बात पर विश्वास करें कि आपके साथ कुछ गलत नहीं हुआ है

जिस क्षण आपको यह आभास होता है कि आपको सर्दी लगी है , तब आप अपने बचाव में पहली बात क्या कहते हैं? समर्पण कर दें और बिस्तर पर लेट जाएँ या खड़े हो जाएँ और आगे बढ़ें। 

क्या आप यह जानते हैं कि आपकी सभी आवश्यकताएँ आपके पास पहले ही उपस्थित हैं, आपके मस्तिष्क द्वारा? सोचने की प्रक्रिया बदलने से सबकुछ बदला जा सकता है। आपका मन बहुत शक्तिशाली है। यह आपको ठीक कर सकता है। दवाओं को असर करने के लिए यह अक्सर कहा जाता है कि डॉक्टर पर आपका विश्वास होना जरूरी है। ठीक होने के लिए विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है। शुरुआत में यह थोड़ा सा मुश्किल हो सकता है, परंतु आप इसका अभ्यास कर सकते हैं।

यदि आपको ज्यादा सर्दी या जुकाम है, तो आप विश्राम कर सकते हैं और यह विश्वास रखें कि आप जल्द ही ठीक हो जाएँगे।

5. क्या आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिले?

क्या आप जानते हैं कि ‘आयुर्वेद’, जो एक प्राचीन उपचार पद्धति है, का अर्थ है जीवन विज्ञान? आयुर्वेद के अनुसार, “यदि आपको कोई शारीरिक रोग है, तो निश्चित रूप से कहीं असंतुलन होगा।” और आयुर्वेद इसी असंतुलन को पुनः संतुलित करने की ओर काम करता है।

प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक, जिन को नाड़ी परीक्षक भी कहते हैं, आपके असंतुलन को पहचानने में आपकी सहायता कर सकते हैं। वे आपकी कलाई पर आपकी नाड़ी की जाँच करते हैं और इसी कारण इन्हें नाड़ी परीक्षक कहा जाता है (नाड़ी = नस, परीक्षण = जाँच)।

6. भोजन ऐसा करें जो आसानी से पच जाए 

क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि जब बच्चे बीमार पड़ते हैं तो वे चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनका कुछ खाने का मन नहीं करता? दिलचस्प बात यह है कि यह बीमारी में शरीर की प्रक्रिया है। “सर्दी या जुखाम होने पर खाना न खाना ही पहला उपचार है”, डॉ शिखा ठाकुर, एक आयुर्वेदिक चिकित्सक कहती हैं। 

परंतु इस बात का ध्यान रखें कि आप बिलकुल खाना छोड़ दें, ऐसा भी न करें। सात्विक और हल्का भोजन खाना सर्वोत्तम है। केवल तब खाएँ जब आपको भूख लगे और शर्करा भोजन, तला हुआ भोजन, बारीक पिसे हुए आटे के खाद्य पदार्थ, भिंडी, ठंडे पानी और सॉफ्ट ड्रिंक न लें (उचित आहार के बारे में जानिए)। पेट यदि हल्का रहे तो जठराग्नि को प्रबल करता है। प्रबल जठराग्नि से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर पुनः संतुलित होता है। 

बीमारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उचित खाद्य पदार्थों की सूची यहाँ दी गई है:

  1. सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट्स) – जैसे बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट, हेज़लनट, खजूर, खुबानी (अप्रीकॉट), सूखा आलूबुखारा और किशमिश, नियमित मात्रा में शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। यह पोषण प्रदान करते हैं, इन में शरीर के लिए आवश्यक तेल होते हैं और यह शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं। 
  2. मसाले – जैसे कि काली मिर्च, लहसुन, प्याज, जीरा, धनिया, अदरक, हींग और सरसों से पाचन में सहायता मिलती है और पेट से गैस निकालने में मददगार हैं। 
  3. सब्जियाँ – जैसे सहजन, परवल, पालक, चौलाई, करेला, कच्चा केला, मीठी और पुदीने के पत्ते शरीर को फाइबर और पोषण प्रदान करते हैं और आसानी से पच जाती हैं। 
  4. अंकुरित अनाज – इन में बहुत फाइबर और प्रोटीन होता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और पेट भारी भी नहीं लगता। 
  5. एक ग्लास गर्म दूध, जिस में एक चुटकी हल्दी और काली मिर्च पड़ी हो, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। 
  6. फल – जैसे पपीता और सेब। खट्टे फलों का सेवन न करें। 
  7. ताजा भोजन खाने से रक्त का प्रवाह बहतर होता है और एंजाइम बढ़ते हैं। फ्रोजेन, कैन का खाना और पैक किया हुआ खाना खाने से बचें। 
  8. तुलसी – यह एक जड़ीबूटी है। शहद और अदरक के साथ तुलसी के पत्तों के काढ़े से सर्दी खाँसी ठीक होती है। चाय पत्ती के साथ इसके पत्ते उबालने से जो काढ़ा बनता है, सर्दी से बचाव किया जा सकता है। यदि किसी को बुखार हो तो तुलसी के पत्ते पीसी हुई इलाइची के साथ आधा लीटर पानी में उबालें। इसमें दूध और गुड़ मिलाएँ और पानी जब पीने लायक तापमान पर आ जाए तो इसका सेवन करें।

7. पानी से उपचार करें!

क्या आप जानते हैं कि पानी जैसा साधारण पदार्थ भी जीवनदायी हो सकता है? जब आपको सर्दी हो तो पानी एक अद्भुत पेय का काम भी करता है और भाप का भी। 

सर्दी का सर्वोत्तम उपायों में से एक है गुनगुने पानी में जीरा डाल के पीना। यह पेय श्वसन प्रणाली से बलगम को खींच के बाहर निकाल देता है। जब आपको सर्दी हो तो एक दो दिन के लिए पानी ज्यादा पिएँ और भोजन थोड़ा कम खाएँ, आप स्वयं ही अंतर महसूस करेंगे!

भाप की सिकाई बहुत लाभदायक होती है। किसी बर्तन में या वेपोराइज़र में पानी लें और उसमें एक चुटकी कपूर या नीलगिरी के तेल की दो या तीन बूँदें डाल दें। पानी को उबालें और उसमें से निकल रही भाप को नाक से अंदर लें। ऐसा एक या दो मिनट तक करें और कुछ मिनट बाद दोहराएँ। आप इसे दिन में पाँच से दस मिनट कर सकते हैं। अपने सर को एक तौलिए से ढक लें जिससे गर्माहट बनी रहे। और इससे आपको राहत महसूस होगी। 

दिन भर में दो से तीन लीटर पानी पिएँ। यह बीमारियों को दूर रखने का सबसे अच्छा उपचार है।

यदि आप पुरुष हैं तो 3 लीटर पानी और महिला हैं तो 2.2 लीटर पानी दिन भर में पर्याप्त है। इस सरल उपाय से आप बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे। 

8. सर्दी के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाई

जिस तरह हम सर्दी होने पर कुछ प्रकार के भोजन का सेवन करते हैं, उसी तरह कुछ औषधियाँ भी हैं। दोनों में अंतर केवल इतना है कि यह आयुर्वेदिक दवाई के नाम से मिलती है, इन में पैराबेन नहीं होता और इनके कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। हरिद्र खंड, अमृथ और यष्टि मधु डब्बे पर दी विधि के अनुसार ली जा सकती हैं या फिर चिकित्सक की सलाह के बाद। 

एक ग्लास पानी में चार से पाँच बूँद शक्ति ड्राप्स डाल कर इसका सेवन करने से भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होती है।

रवीश कथुरिया द्वारा लिखित
भारती हरीश, सहज समाधि ध्यान शिक्षक एवं डॉ शिक्षा ठाकुर, आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा प्राप्त निविष्टियों पर आधारित।

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