हम सभी पराजित, दोषी, निराश और दुखी महसूस करने के क्षणों में से गुजरते हैं। उसके बाद क्या होता है? क्या हम खुशी-खुशी वापस खड़े हो जाते हैं? या हम आधे जोश, भय और नकारात्मकता के साथ अपना दिन गुजारते हैं? अब यह सुनकर क्या हो रहा है? यदि हम यह समझ जाएं, तो हम संभवतः इस स्थिति को बदल सकते हैं।

जब हम निराश होते हैं तो हमारे मन में बहुत से नकारात्मक विचारों की बाढ़ आई होती है। और जो समझदार हैं, वे यह जानते हैं कि हम इस मन और शरीर से बहुत बड़े हैं। यह हो सकता है कि इस बारे में हम सदैव सजग न रहते हों। हम सब में अहंकार, बुद्धिमता, स्मृति और हाँ, एक अवचेतन मन भी होता है।

वास्तव में हमारे कई हिस्से, कई आयाम होते हैं और हम इन सब से मिल कर ही बनते हैं। यदि हम वैज्ञानिकों, दार्शनिकों या अपने ही बुद्धिमान पूर्वजों की बातों पर विश्वास करें तो मनुष्य पूरी सृष्टि में पाया जाने वाला सबसे जटिल और प्रतिभाशाली क्रियाशील जीव है। यह सब बातें हमारे ऊपर बहुत सारा दबाव तो नहीं डाल रहीं? चिंता मत करें, हम साधारण लोग ही हैं, है न?

अवचेतन मन क्या है?

  1. मैं कौन हूँ?
  2. हमारे अस्तित्व का एक अवचेतन पक्ष भी है।
  3. अवचेतन मन एक शक्तिशाली यंत्र है जो हमारे साथ तथा हमारे आसपास हो रही प्रत्येक घटना, प्रत्येक गतिविधि को ग्रहण करता है।
  4. हमारे भीतर अनेक छापों, संस्कारों का विशाल भंडार पड़ा हुआ है:  एक आंतरिक संवाद है जो हमारे अंदर चल रहा है, लगभग एक अच्छे व्यक्ति की तरह और एक अच्छे व्यक्ति की तरह नहीं। लेकिन क्या होता है जब आंतरिक संवाद केवल नकारात्मकता और निराशा के इर्द-गिर्द घूमता है? हम सोचते हैं कि यह दूर जा रही है जब वास्तव में नकारात्मकता अंदर जमा हो रही है। कहां ? हर जगह लेकिन विशेष रूप से अवचेतन मन में।
  5. हम वही बन जाते हैं जिसमें हम विश्वास रखते हैं: जब विचार नकारात्मक हो जाते हैं, तब जीवन भी नकारात्मक हो जाता है। हम वही बनाते हैं जो हम सोचते हैं । हम गुस्से के बारे में सोचते हैं, और हम अपने चारों ओर गुस्से की स्थितियां पैदा कर लेते हैं। हम सोचते हैं असफलता, हमें वह मिल जाती है…. आपको समझ आया ना।

अब हमने यह तो जान लिया कि हमारा अवचेतन मन हर दिन, हर पल हमारे संग रहता है। हम संवाद को कैसे बदल सकते हैं और अपने अवचेतन मन को खुशी एवं सफलता के लिए कैसे ओर मोड़ सकते हैं? हम अपने अवचेतन मन की देखभाल कैसे करें?

अपने अवचेतन मन को प्रोग्राम कैसे करें?

  1. किसी भी नकारात्मक विचार को आगे बढ़ने से रोकें। बस इसे वहीं रोक दें और इसे एक सुखद सकारात्मक सोच में बदल दें। हाँ, मुझे पता है कि यह मुश्किल है लेकिन आप अभ्यास और धैर्य के साथ इसे कर सकते हैं। प्राचीन भारत में, यह माना जाता था कि हर जगह देवता लोगों की इच्छाएँ पूरी करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं । इसलिए यदि आप कहते हैं कि मेरा वास्तव में एक कठिन दिन होने वाला है – ध्यान रहे ! पास में एक देवदूत हो सकता है जो आपकी इच्छा को पूरा करने के लिए बहुत खुश हो!
  2. केवल सकारात्मक और अच्छा सोचें। कभी-कभी यह संभव नहीं होता। तब, केवल विश्राम करें। यदि नकारात्मक विचार आएं तो उन्हें आने दें। अपने आप को ढ़क लें और अपना ध्यान उस सर्वोच्च शक्ति में तथा स्वयं में विश्वास रखते हुए केवल सकारात्मक तरंगें ही उत्सर्जित करें।
  3. अपने दिन की शुरुआत एक सकारात्मक तरीके से करें।‌ हर सुबह अपने हाथों को देखें और स्वयं को कहें : इन हाथों द्वारा आज कुछ अद्भुत कार्य होने वाला है।
  4. प्रत्येक रात्रि को सोने से पहले दस मिनट तक ध्यान करें और धन्यभागी हो जाएँ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका दिन कैसा बीता, आपके सामने कौन सी चुनौतियाँ थीं या कौन सी असफलताएँ। बस धन्यवाद करें और प्रसन्न रहें। आपके पास वर्तमान क्षण में बहुत कुछ चल रहा है, यहां और अभी आपके लिए बहुत कुछ है।
  5. नियमित ध्यान करें। हां, आपने सही समझा। हमारा अवचेतन मन हमारी भावनाओं, अनुभवों और विचारों का भंडार है और, हम सब मनुष्य हैं। घटनाएं और लोग हम में अपना छाप छोड़ेंगे। यह स्वाभाविक है। एक विशेष विषहरण के रूप में अपने अवचेतन मन के लिए ध्यान का प्रयोग करें। ध्यान और भी बहुत कुछ करता है। जान लें कि यह बहुत अच्छा करता है और आपका अवचेतन मन आपके ध्यान के अभ्यास को पसंद करेगा।
  6. अच्छी नींद लें। अपर्याप्त नींद शरीर तथा मन पर दबाव डालती है जिससे लोगों को अपने सर्वोत्तम स्तर पर कार्य करने में बाधा आ सकती है, जब वे बहुत थके हुए होते हैं। थका हुआ मन चिड़चिड़ाहट, क्रोध और नकारात्मकता के प्रति अति संवेदनशील होता है। थका हुआ शरीर कार्यरत रहने के लिए अपने रिज़र्व भंडार का उपयोग कर उन्हें कम करता है। इसलिए नित्यप्रति 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें जिससे जीवन में सदैव सकारात्मक स्थिति और ऊर्जा बनी रहे।
  7. बड़ा सोचें। जीवन से भी बड़ा सपना देखें। और, जान लें कि एक अच्छे नीयत के साथ लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना अब तक की सबसे अच्छी बात है। यह आपके भीतर  उद्देश्य की भावना उत्पन्न करता है, चुनौतियों पर विजय पाने के लिए शक्ति प्रदान करता है तथा आपके मन को जीवन की छोटी छोटी समस्याओं से ऊपर उठा देता है।
  8. आत्मविश्वास रखें। ब्रह्मांड से आप जो चाहते हैं उसके लिए पूछें और संकोच न करें। यदि आप प्रश्न पूछने में हिचकिचाते हैं या इसे प्राप्त करने के बारे में अनिश्चित हैं तो ब्रह्मांड आपकी ऊर्जा को प्रतिबिंबित कर लेगा। और, शायद ब्रह्मांड आपको वह देने के बारे में निश्चित नहीं होगा जो आप चाहते हैं। यह एक सुंदर विचार नहीं है, है ना?
  9. कड़ी मेहनत करें। आप पहले ही अपनी चाह के बारे में पूछ चुके हैं। अब उसके लिए काम करें। यह मत सोचें, कोई चमत्कार होगा और बिना परिश्रम के कोई प्रिय वस्तु आपके सामने रख दी जाएगी। अपने सपनों, अपनी इच्छाओं, अपनी आवश्यताओं के लिए परिश्रम करना ही होगा।
  10. और अंत में, विश्वास रखें। आपने विश्वासपूर्वक अपनी इच्छा बता दी है, उसके लिए कठोर परिश्रम भी किया है, अब समर्पण कर दें। प्रसन्न रहें और विश्वास रखें कि जो होगा, आपके लिए सर्वश्रेष्ठ ही होगा।

और, विश्राम करें। आप जैसे हैं वैसे ही परिपूर्ण हैं। अभ्यास आपको और भी परिपूर्ण बनाता है।  इतने वर्षों से चले आ रहे संस्कारों को बदलना या भीतर चल रहे नकारात्मक संवाद को अचानक रोकना आसान नहीं हो सकता है। धीरज रखें, विश्राम में रहें और भरोसा रखें। आपके अवचेतन मन की शक्ति आपके अपने हाथों में है। यह यात्रा तो अब प्रारंभ हुई है।

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता और डॉ. प्रेमा सेशाद्री, प्रशिक्षक, आर्ट ऑफ लिविंग के तथ्य पर आधारित।

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