इस ब्रह्मांड में, आप कह सकते हैं कि ‘कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है’ या ‘सब कुछ महत्वपूर्ण है’। विरोधाभासी रूप से दोनों का मतलब एक ही है! यह हमारा दृष्टिकोण है जो अलग अलग होता है।

जीवन का उल्लेखनीय पहलू यह है कि केवल छोटी छोटी चीजें ही नहीं, बल्कि बड़ी चीजें भी हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती हैं। अतः एक छोटी सुई की उपयोगिता एक विमान जितनी ही है। आखिरकार, आपको अपने पहने हुए कपड़ों को सिलने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। इसी तरह, किसी भी साड़ी पहनने वाली महिला से एक छोटे से सेफ्टी पिन के उपयोग के बारे में पूछिए!

इसलिए, हमारे जीवन में चीजों का मूल्य और अर्थ उनके आकार से नहीं बल्कि उनके उपयोग से तय होता है। आयुध पूजा हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले औजारों, वस्तुओं और उपकरणों की कार्यक्षमता और प्रभावकारिता को मान्यता देती है।

आयुध पूजा क्या है?

आयुध पूजा वह दिन है जब हम उन सभी उपकरणों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जो हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करते हैं।

इसमें पिन, चाकू, कैंची और पाना जैसी छोटी वस्तुओं के साथ साथ कंप्यूटर, मशीनरी, कार और बस जैसे बड़े उपकरणों को भी ध्यान में रखा जाता है।

क्या कोई ऐतिहासिक संदर्भ है?

पुराने समय में युद्ध में उपयोग किए जाने वाले हथियारों की पूजा की जाती थी क्योंकि वे दुश्मनों को हराने का साधन थे। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में आयुध पूजा का उत्सव पार्वती देवी के अवतार, देवी चामुंडेश्वरी द्वारा राक्षस राजा महिषासुर के वध की याद में मनाया जाता है।

सम्मान और संतोष

यदि आप हर वस्तु के प्रति सम्मान से भरे हैं, तो जीवन पूर्ण है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

किसी वस्तु के मूल्य को पहचानने से वह असीम रूप से अधिक उपयोगी बन जाती है। जब हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं का सम्मान करते हैं, तो हम संतुष्टि पाते हैं। हमारा मन और अधिक प्राप्त करने की इच्छाओं और लालच के जाल में नहीं फंसता।

लेकिन, किसी वस्तु की पूजा करने का सरल कार्य इतनी पूर्ण संतुष्टि कैसे लाता है?

गुरुदेव कहते हैं कि अक्सर हम अपनी वस्तुओं के प्रति सम्मान खो देते हैं और ऐसा अनजाने में होता है। मूलतः आप जिस किसी का भी सम्मान करते हैं, वह आपसे बड़ा हो जाता है। जब आप सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के प्रति सम्मान रखते हैं, तो आप उसके साथ सामंजस्य बना लेते हैं। फिर, आपको इस ब्रह्मांड में किसी भी वस्तु को अस्वीकार या त्यागने की आवश्यकता नहीं है। स्वामित्व के प्रति सम्मान आपको लालच और ईर्ष्या से मुक्त करता है। इसलिए जीवन के हर क्षण के प्रति सम्मान रखने का कौशल विकसित करें।

आयुध पूजा यही करने की प्रक्रिया है – हमारे जीवन में वस्तुओं की उपयोगिता को पहचानने और उसका सम्मान करने की।

एक ही देवत्व

जब हम वस्तुओं का सम्मान करते हैं, तो हम अप्रत्यक्ष रूप से उस विशाल मन की पूजा करते हैं जिसने उन्हें रचा है। और हमारा मन दिव्यता के अतिरिक्त और कुछ नहीं। हवाई जहाज, कैमरा या माइक्रोफोन बनाने के लिए मन में आने वाले सभी विचार एक ही स्रोत से आते हैं, अर्थात देवी से।

नवरात्रि के आठवें दिन किए जाने वाले चंडी होम में हम यही जप करते हैं,

“या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।”

हे देवी, जो समस्त प्राणियों में बुद्धि के रूप में निवास करती हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।

इसमें संक्षेप में बताया गया है कि यह एक ही देवत्व है जो सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में प्रकट होता है। जब हम उस बुद्धि का सम्मान करते हैं, तो हम देवी का सम्मान करते हैं।

प्रत्येक उपकरण की उपयोगिता को देवत्व के ही अंग के रूप में मान्यता दी जाती है और उसका सम्मान किया जाता है। जब हम यह समझ जाते हैं कि सब कुछ ईश्वरत्व का ही एक हिस्सा है, तो मन को गहन शांति मिलती है।

इस नवरात्रि अपने पास जो कुछ भी है उसकी पूजा करके अपने मन को गहन तृप्ति और विश्राम की ओर ले जाएँ। आपके जीवन की छोटी छोटी बातें भी आपको आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठने की क्षमता रखती हैं।

आयुध पूजा कब मनाई जाती है?

आयुध पूजा नवरात्रि के नौवें दिन होती है।

आयुध पूजा पर क्या अनुष्ठान किए जाते हैं?

इस दिन सभी बड़े और छोटे यंत्रों की सफाई और पूजा की जाती है। छोटी और मध्यम आकार की चीजों को एक आसन पर रखा जाता है और फूलों से सजाया जाता है। पूजा अनुष्ठान के एक भाग के रूप में उन्हें कुमकुम भी लगाया जाता है।

(आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षक प्राजक्ति देशमुख के इनपुट्स सहित)