नवरात्रि में उपवास करने का तरीका (navratri me upvas ke niyam)

नवरात्रि के दिनों में शरीर से विषैले तत्वों को निकालने, पाचन तंत्र को सुचारू बनाने तथा मन में सकारात्मकता बढ़ाने के लिए उपवास करना एक उत्तम उपाय है।

नवरात्रि के दिनों में उपवास करने के लाभ तो बहुत हैं किंतु हम में से बहुत से लोग उपवास के लिए सही ढंग नहीं अपनाते, जिससे शरीर का संतुलन पहले से भी अधिक अस्तव्यस्त हो जाता है।

नवरात्रि में उपवास के लिए क्या तरीका अपनाया जाए, जो हमारे शरीर और मन के अनुकूल हो, इसके लिए हम यहाँ संपूर्ण मार्गदर्शिका दे रहे हैं:

नवरात्रि के नौ दिन उपवास की योजना कैसे बनाएँ? (navratri fast rules in hindi)

प्रथम से तीसरे दिन

फल का आहार अपनाएँ। आप मीठे फल, जैसे कि सेब, केला, चीकू, पपीता, तरबूज और अंगूर इत्यादि खा सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप आँवले का जूस, लौकी का जूस, और नारियल का पानी भी पी सकते हैं।

चौथे से छटे दिन

अगले तीन दिन आप दिन में एक बार नवरात्रि का परम्परागत आहार (नीचे दिए विवरण अनुसार) ले सकते हैं और बाकी समय में फलों का जूस, छाछ तथा दूध भी पी सकते हैं।

सातवें से नौवें दिन

अंतिम तीन दिन आप पारम्परिक नवरात्रि आहार ले सकते हैं।

यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो उपवास से पहले अपने डाक्टर से परामर्श अवश्य कर लें और उतना ही करें जितना आपके लिए सुविधाजनक हो।

पारंपरिक नवरात्रि आहार

नवरात्रि उपवास के लिए पारंपरिक आहार ऐसा होता है जो हमारी जठराग्नि को शांत करता है। यह निम्नलिखित सामग्रियों में से कोई मिश्रण हो सकता है:

  • कुट्टू के आटे की रोटी, समक के चावल, उन से बना डोसा, साबूदाने से बने व्यंजन, सिंघाड़े का आटा, रामदाना (राजगीरा या चौलाई के बीज), रतालू (जिमीकंद), अरबी, उबली हुई शकरकंद, आदि।
  • घी, दूध व छाछ। यह सब शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं।
  • लौकी और कद्दू के साथ दही।
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ, जैसे कि नारियल का पानी, फलों के जूस, सब्जियों के सूप आदि। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के अतिरिक्त शरीर में पानी की कमी से हमारा बचाव करते हैं तथा व्रत में निकलने वाले विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में भी सहायता करते हैं।
  • पपीता, नाशपाती और सेब से बना सलाद।

जब आप पारंपरिक नवरात्रि भोज्य पदार्थों का सेवन कर रहे हों तो यह भी करें:

  • साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का उपयोग करें।
  • भोजन पकाने के लिए भूनने, उबालने, भाप से पकाने, और ग्रिल करने जैसी स्वास्थ्यकर विधियाँ अपनाएँ।
  • शाकाहार का दृढ़ता से पालन करें।
  • नवरात्रि के प्रथम कुछ दिन अनाजों के सेवन से बचें।
  • तले तथा भारी भोजन न खाएँ।
  • प्याज और लहसुन का सेवन न करें।
  • अधिक खाने से बचें।

जो लोग उपवास नहीं कर सकते, उनको भी मांसाहारी भोजन, शराब, प्याज, लहसुन, आदि का सेवन नहीं करना चाहिए तथा खाना पकाने में सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करना चाहिए।

उपवास कैसे तोड़ें

साँयकल या रात्रि में जब अपना व्रत तोड़ते हैं तो आप विशेष भोजन करते हैं। उस समय आप भारी भोजन करने से बचें क्योंकि वैसा भोजन न केवल हमारे पाचन तंत्र के लिए पचाना कठिन होता है अपितु उससे व्रत से होने वाली शरीर की शुद्धीकरण प्रक्रिया तथा व्रत के सकारात्मक लाभ पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। हमें लघु मात्रा में और शीघ्र पचने वाला भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

उपवास के साथ योग व ध्यान भी करें

हल्के योगासन, खिंचाव, मुड़ने तथा झुकने वाले व्यायाम व्रत की प्रक्रिया को परिष्कृत करते हैं। यह शरीर में शुद्धीकरण प्रक्रिया को गति देते हैं और आप उन्नत तथा ऊर्जावान अनुभव करते हैं।

नवरात्रि में उपवास करने के लाभ

आपको नवरात्रि में उपवास क्यों करना चाहिए?

रंगों, रीति रिवाजों, गाने बजाने तथा नृत्य जैसी पारंपरिक कृत्यों से भरपूर, नवरात्रि का पर्व हमारे लिए विश्राम करने, अंतर्मुखी होने तथा स्वयं को फिर से ऊर्जावान बनाने का समय भी है। नवरात्रि में उपवास करने से परम आनंद तथा आनंदोल्लास की दिशा में हमारी अंतर्यात्रा सुगम हो जाती है। इससे मन की बेचैनी कम होती है और सजगता तथा प्रसन्नता बढ़ती है।

उपवास का विज्ञान

हम ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि शरीर को शुद्ध करने के लिए उपवास करते हैं।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

आयुर्वेद के अनुसार उपवास करने से जठराग्नि अधिक वेग से पुनः प्रज्वलित हो उठती है। यह बढ़ी हुई पाचन ऊर्जा शरीर के विषैले तत्वों को जला डालती है। जब शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं तो शारीरिक निरुत्साहता तथा आलस्य भी दूर होता है। शरीर का कण कण, सभी कोशिकाएँ पुनर्जीवित हो उठती हैं।  इसलिए, उपवास करना शरीर शुद्धि के लिए एक प्रभावशाली उपचार है। जब शरीर शुद्ध हो तो मन अधिक शांत हो जाता है क्योंकि शरीर और मन में गहरा संबंध है।

जैसे जैसे उपवास से जठराग्नि पुनः प्रज्वलित होती है, हमारे मानसिक तनाव में कमी आती है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

आमतौर पर, हममें से ज्यादातर लोग भूख लगने का इंतजार नहीं करते। भूख वह तरीका है जिससे हमारा शरीर संकेत देता है कि वह भोजन पचाने के लिए तैयार है। भूख लगने से पहले ही भोजन करने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तनाव और कमजोर प्रतिरक्षा होती है। चूंकि उपवास पाचन अग्नि को फिर से प्रज्वलित करता है, यह तनाव दूर करने और प्रतिरक्षा का निर्माण करने में मदद करता है।

नवराती उपवास के साथ साथ गहरे ध्यान में उतरें

नवरात्रि का समय स्वयं के संग होने, ध्यान करने तथा सृष्टि के स्रोत से जुड़ने का अवसर होता है। उपवास करने से व्याकुलता कम होती है तो मन के लिए अंतर्मुखी होकर ध्यान में उतरना सुगम हो जाता है। तथापि, सुनिश्चित करें कि आप स्वयं को ऊर्जावान रखने के लिए उपयुक्त मात्रा में ताजे फलों तथा सात्विक भोजन का सेवन कर रहे हैं।

सत्व खिलने से होने वाले लाभ प्राप्त करें

उपवास के साथ ध्यान करने से सत्त्व, अर्थात् हमारे भीतर विश्रांति और सकारात्मकता की गुणवत्ता में आशातीत वृद्धि होती है। सत्व बढ़ने से हमारा मन अधिक सजग तथा सतर्क हो जाता है। परिणाम स्वरूप, हमारे आशय और प्रार्थनाएँ अधिक सशक्त हो जाती हैं। सत्त्व बढ़ने और खिलने से हमारा शरीर हल्का तथा अधिक ऊर्जावान हो जाता है। हमारी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। इसके परिणाम स्वरूप हमारी मनोकामनाएँ फलीभूत होने लगती हैं और कार्य सुगमता से संपन्न होने लगते हैं।

समूचे विश्व में और सभी धर्मों में उपवास के संग ध्यान करने की परम्परा है क्योंकि जब आप उपवास करते हैं तो आपके शरीर का शुद्धीकरण होता है और आपकी प्रार्थनाएँ अधिक प्रामाणिक और गहरी होती हैं।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

नोट: कुछ विशेष शारीरिक गठन वाले तथा स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए। इसलिए यह आवश्यक है कि उपवास करने से पहले आप किसी योग्य आयुर्वेदिक चितिस्कक से परामर्श कर लें। यह भी ध्यान रखें कि उतना ही उपवास करें जितना आपकी शारीरिक क्षमता के अनुसार सुविधाजनक हो।