एकपाद राजकपोतासन , योग का एक आसन है जो मध्यम स्तर के योग साधकों के लिए उपयुक्त है। यह कूल्हे की माँसपेशियों में लचक बढ़ाने में और साईटिका के कारण होने वाले दर्द से निवारण में सहायक है। 

इस आसन में बैठने से पहले शरीर में गर्माहट लाने वाले कुछ साधारण आसन करने से शरीर में खिंचाव लाना आसान व सरल हो जाता है।

प्रारंभिक आसन

एकपाद राजकपोतासन करने की विधि

  1. ताड़ासन में सीधे और लम्बे खड़े हों।
  2. बाएँ पैर को दायें पैर से दो से तीन फीट पीछे लायें और पिरामिड की मुद्रा में आ जाएं।
  3. अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे उल्टे, प्रार्थना की स्थिति में रखें।
  4. अपने कूल्हों को सामने की ओर रखते हुए, साँस छोड़ें; कूल्हों से टिका हुआ, दाहिने पैर के ऊपर आगे झुकें।
  5. जैसे ही आप साँस लेते हैं, अपनी रीढ़ को लंबा करें और साँस  छोड़ते हुए अपने धड़ को जांघ की ओर लायें।
  6. आराम करें और इस स्थिति में तीन से पांच लंबी साँस लें।
  7. आसन को धीरे से छोड़ें और ताड़ासन में वापस आ जाएँ।
  8. दूसरे पैर से दोहराएँ।

आरम्भिक अभ्यर्थियों के लिए एकपाद राजकपोतासन

यदि आप योग के आरम्भिक स्तर पर हैं तो एक-पाद राजा कपोटासन करने के लिए शरीर को सहारा देने में किसी कंबल अथवा कुशन को जंघाओं के बीच में रखना सहायक होगा। समय के साथ व अभ्यास करते करते आप इस आसन के साथ सुखद हो जाएँगे तथा आसन को सामान्य रूप में इन सहारों के  बिना करने में निपुण हो जाएँगे।

एकपाद राजकपोतासन के लाभ 

एकपाद राजकपोतासन के अनेक लाभ हैं:

  • शरीर के पूरे  निचले भाग में खिंचाव देता है।
  • पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।
  • पीठ को सुदृढ़ बनाता है।
  • शरीर की मुद्रा को बेहतर बनाता है।
  • शरीर में साईटिका की पीड़ा का निवारण करने में सहायक है।
  • नितम्बों को खोलने में सहायक है तथा इस क्षेत्र को और अधिक लचीला बनाता है। 
  • शरीर को तनाव तथा व्यग्रता से मुक्त करता है। 
  • छाती के क्षेत्र को पुष्ट करता है जिससे आप अधिक ऊर्जावान व आत्मविश्वासी महसूस करते हैं।

निषेध

निम्नवर्णित अवस्थाओं में कुछ लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए:

  • एड़ी अथवा घुटने की चोटग्रस्त व्यक्तियों को
  • गर्भवती महिलाएँ 
  • दुर्बल पाचन तंत्र वाले व्यक्ति 
  • कूल्हे तथा जाँघों के बीच चोटग्रस्त व्यक्ति 

अनुवर्ती आसन

इस आसन के उपरांत आप निम्नलिखित आसन कर सकते हैं:

सभी योगासन
पिछला योगासन: मार्जरी आसन
अगला योगासन: शिशु आसन

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