निसंदेह सदिन प्रतिदिन की भिन्न-भिन्न भूमिकाएं जीते हुए, महिलायें किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। हमारे आस-पास महिलायें ,सहृदय बेटियाँ , संवेदनशील माताएँ, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निभा रही हैं।
लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजरअंदाज करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। सदियों से ये बंधन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से अवरुद्ध करते रहे हैं।
महिलाओं का आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्तिकरण
उनको समाज में उचित व सम्मानजनक स्थिति पर पहुँचाने के लिए, आर्ट ऑफ़ लिविंग ने महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आरम्भ किये हैं जो अलग पृष्ठभूमि की महिलाओं के आत्म सम्मान, आंतरिक शक्ति और रचनात्मकता को पोषण करने के लिए ठोस आधार प्रदान करते हैं। इस तरह से महिलाएँ आज अपने कौशल, आत्मविश्वास और शिष्टता के आधार पर दुनिया की किसी भी चुनौती को संभालने में सक्षम हैं। वे आगे आ रहीं हैं और अपने परिवारों, अन्य महिलाओं और समाज के लिए शांति और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में स्थापित कर रही हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा किये जा रहे 6 महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम
- आर्थिक स्वतंत्रता
- कन्या शिक्षा
- एचआईवी / एड्स
- जेल कार्यक्रम
- नेतृत्व संवर्धन
- सामाजिक सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण पर प्रेरणा देती कहानियाँ :
तीन युवा लड़कियाँअपने दर्दनाक अतीत व दिल और दिमाग में खुदी दर्दभरी यादें लेकर श्री श्री सेवा मंदिर, गुंटूर आयीँ थीं । महोदया ‘माँ’ के संरक्षण और स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन से, आज ज्योति, तत्वमसि और श्रावणी एक जीवंत व अविनाशी उत्साह के साथ मुस्कुराती हैं। इन तीनों की जीवन कहानी जानने हेतु यहाँ क्लिक करें।
शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण
शिक्षा जीवन में प्रगति करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण के लिए शिक्षा से बेहतर तरीका क्या हो सकता है ? अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से,आर्ट ऑफ़ लिविंग ने , बालिकाओं और महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण भारत के दूरस्थ कोनों में भी समान रूप से सशक्त किया है। ज्ञान की इस नई सुबह के बारे में और जानिए !
भारत में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम
आर्ट ऑफ़ लिविंग के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत और कई अन्य देशों में महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त है और वे सामाजिक अन्याय के खिलाफ भी खड़ीं हुई हैं । इन महिलायों ने सकारात्मक परिवर्तन का सूत्रधार बनते हुए अन्य महिलाओं को भी शिक्षित व सशक्त बनाकर उनको अपनी आवाज व पहचान दिलाने में पुरजोर मेहनत की है।
आर्ट ऑफ़ लिविंग के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम एक उत्प्रेरक हैं जिन्होंने सदियों के अस्थिर प्रतिबंधो से मुक्त कर महिलाओं को योग्य मंच प्रदान करने में मदद की है जहाँ से वे स्वयं को सशक्त बनाकर भिन्न-2 क्षेत्रों में अपनी समानता को प्राप्त करने हेतु अग्रसर हैं।
पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम से संबंधित कुछ सफलता की कहानियाँ।
- सूखा प्रभावित देऊलगाँव को मिला पानी : आर्ट ऑफ़ लिविंग के 50 स्वयंसेवकों ने मिलकर गाँव के 400 परिवारों की जलापूर्ति के लिए 50 दिवसीय कार्यक्रम शुरू किया है
- प्रोजेक्ट उड़ान बना रहा है 11000 यौनकर्मियों के जीवन को आसान !! - अधिक पढ़े
महिला सशक्तिकरण का पहला कदम
श्री श्री रवि शंकर जी कहते हैं - “सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छूटकारा पाना है तो जरुरत है महिला सशक्तिकरण की।
पहले ‘मै सक्षम हूँ’ इस बात का महिलाओं ने खुद को यकीन दिलाना जरुरी है। मै एक स्त्री हूँ इस आत्मग्लानि में ना रहें। जब आप आत्मग्लानी में आते हो तब आपकी ऊर्जा, उत्साह और शक्ती कम होने लगती है। अध्यात्म का मार्ग एक ही ऐसा मार्ग है जहाँ आप आत्मग्लानि और अपराधी भाव से मुक्त हो सकती हैं। आत्मग्लानि और अपराधी भाव - इन दोनों में हम अपने मन के छोटेपन अनुभव करते हैं। जिससे आप अपनी आत्मा से और दूर जाती हैं।
खुद को दोष देना बंद कर खुद की तारीफ करना शुरू करें। तारीफ करना दैवीय गुण है, है ना?
मै स्त्री हूँ, अबला हूँ, ऐसी सोच भी कभी मन में ना लायें। ऐसी आंतरिक असमानता से कुछ भी हासिल नही होगा। आप डटकर खड़ी हो जायें, अपने अधिकार प्राप्त करने हेतु जिस क्षमता की जरुरत है वह सब आप में है।
निःसंदेह समाज में बदलाव आना भी चाहिये। लेकिन आत्मग्लानि के भाव में रहकर यह बदलाव आप नही ला सकतीं।"