मधुमेह क्या है? (Diabetes in Hindi
मधुमेह एक बहुघटकीय विकार है जो अधिकतर लोगों में व्यायाम न करने, खानपान की अनुचित आदतों आदि से उत्पन्न होता है। आधुनिक जीवनशैली से होने वाला तनाव इस समस्या को और विकट बनाता है। यह सब पक्ष केवल एक चीज की ओर इशारा करते हैं, और वह है हमारी जीवनशैली। इसलिए इसका चिकित्सीय उपचार करने के साथ साथ जीवनशैली पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसा द्रुतगामी जीवन हम जी रहे हैं, उसे ध्यान में रखते हुए जीवनशैली को सुधारने के लिए पर्याप्त समय निकालना और यहाँ तक कि उसके लिए उचित स्थान मिलना भी स्वयं में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस संदर्भ में, अपनी नित्य दिनचर्या में प्राणायाम, योग व ध्यान, जिन्हें सुविधा के लिए हम सामूहिक रूप से ‘योगिक अभ्यास’ कह सकते हैं, को सम्मिलित करना सही दिशा में कदम बढ़ाना है। इसके साथ साथ दैनिक सैर के महत्व को कम आंकना भी ठीक नहीं होगा। इसलिए हम नियमित सैर के साथ योगिक अभ्यास को अपनी दिनचर्या में मिलाकर मधुमेह पर विजय पा सकते हैं।
अच्छे परिणाम पाने के लिए हमें योगिक अभ्यास नियमित रूप से और प्रतिबद्धता के साथ करने होंगे। जहाँ तक संभव हो, इसके लिए एक निश्चित दैनिक समयसारिणी अपनाएँ। यह सुबह या शाम हो सकता है, इसके लिए एक निश्चित समय नियत कर लें और अनुशासित होकर उसका अनुसरण करें। इससे होने वाले परिणाम देख कर आप स्वयं दंग रह जाएँगे।
मधुमेह दो प्रकार की होती है:
- टाइप 1 – जिसमें इन्सुलिन का निर्माण बिल्कुल नहीं होता है।
- टाइप 2 – जिसमें पैंक्रियास पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण नहीं करता है।
बहुत से लोगों में मधुमेह के प्रारंभिक चरणों में इसकी अनदेखी भी हो जाती है, विशेषतया तब जब इसके कोई लक्षण प्रकट नहीं होते।
मधुमेह के लिए विशेष योगासन
1. कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama in Hindi)

कपालभाती करने की विधि सीखें।
कपालभाती श्वास की तकनीक हमारे स्नायुतंत्र को ऊर्जावान बनाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण करता है। यह मधुमेह पीड़ितों के लिए अति लाभकारी प्राणायाम है क्योंकि यह उदरीय क्षेत्र के अंगों को उत्तेजित करता है। इस प्राणायाम से रक्त संचार में सुधार होता है और यह मानसिक स्थिति को भी ऊपर उठाता है।
2. सुप्त मत्स्येन्द्रासन

लेट कर शरीर को रीढ़ को घुमाव देने वाला यह आसन हमारे आंतरिक अंगों की मालिश (अंग मर्दन) करता है और पाचन क्रिया में सुधार लाता है। यह आसन उदरीय क्षेत्र के अंगों पर दबाव डालता है, इसलिए यह मधुमेह पीड़ितों के लिए अति लाभकारी योगासन है।
3. धनुरासन (Dhanurasana in Hindi)

धनुरासन करने की विधि सीखें।
धनुरासन पैंक्रियास को सुदृढ़ बनाती है और उसे नियंत्रित करती है। इसलिए मधुमेह के लिए इस आसन की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। यह योगासन पेट की माँसपेशियों को सुदृढ़ करता है तथा तनाव व थकान दूर करने के लिए उत्तम है।
4. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana in Hindi)

पश्चिमोत्तानासन के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
दोनों टाँगों पर खड़े होकर आगे की ओर झुकने वाला यह आसन पेट तथा श्रोणि क्षेत्र के अंगों की मालिश करके उन्हें लचीला बनाता है, जो मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद है। यह योगासन शरीर में प्राणशक्ति को संतुलित करने में सहायक है तथा यह मन को भी शांत करता है।
5. अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana in Hindi)

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने की विधि सीखें।
बैठ कर रीढ़ की हड्डी को घुमाव देने वाला यह आसन पेट के अंगों का अंग मर्दन करता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन के प्रवाह में वृद्धि करता है तथा मेरुदंड को लचीला बनाता है। यह मन को शांत करने और रीढ़ की हड्डी में रक्त प्रवाह को सुचारू बनाने में भी सहायक है।
6. शवासन (Shavasana in Hindi)

शवासन से होने वाले लाभों के विषय में पढ़ें।
शवासन, जो सभी योगासनों के अंत में किया जाने वाला विश्राम का आसन है, शरीर को गहन ध्यानस्थ स्थिति में ले जा कर उसे विश्राम देने और फिर से युवा बनाने में सहायक है।
मधुमेह के लिए योग के लाभ
योग सबके लिए लाभकारी है – यदि इसका उचित प्रशिक्षण लेकर नियमित अभ्यास किया जाए तो। योग का नियमित अभ्यास निम्न तरीकों से शरीर को लाभान्वित करता :
- यह पाचन क्रिया, रक्त संचार तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारता है।
- यह स्नायुतंत्र के अंगों तथा एंडोक्राइन (अंतः स्त्रावी) ग्रंथियों की क्रियाशीलता बढ़ाते हैं।
- यह अनेक दीर्घकालिक रोगों को रोकने तथा उनमें राहत प्रदान करने में सहायता करते हैं।
- शरीर व्यापक रूप से अधिक स्वस्थ तथा ऊर्जावान अनुभव करता है।
श्री श्री योग आरंभ से लेकर अंत तक, हर आसन के प्रत्येक बिंदु पर तथा श्वसन क्रिया पर उचित ध्यान देता है। इसलिए, निजी अभ्यास आरम्भ करने से पूर्व, इनका सही प्रशिक्षण आवश्यक है। उपरोक्त आसन तथा प्राणायाम मधुमेह के लिए उपयोगी हैं। उनका अभ्यास करने से पहले योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में उन्हें अवश्य सीखना चाहिए।