कटिचक्रासन, योग का एक आसन है, जिसका अर्थ है कमर को घुमाना। यह कमर में अच्छे से खिंचाव लाता है और उसे लचीला तथा नरम बनाने में सहायता करता है। इसे करने में समय बहुत ही कम लगता है, किंतु इससे होने वाले लाभ अनेक हैं। अति साधारण, किंतु प्रभावशाली कटिचक्रासन का अभ्यास यदि नियमित रूप से और सही तरीके से किया जाए, तो इसमें कब्ज को ठीक करने की शक्ति भी है।

कटिचक्रासन करने की विधि

  • दोनों पाँव को साथ रखते हुए, सीधे खड़े हो जाएँ।
  • साँस भरते हुए अपने दोनों हाथों को सामने की ओर इस प्रकार से फैलाएँ कि दोनों हथेलियाँ भूमि के समानान्तर और एक दूसरे के सामने हों। 
  • यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी हथेलियों की बीच का अंतर कन्धों के बीच के अंतर जितना ही हो। 
  • अब साँस छोड़ते हुए, धीरे से अपनी कमर को दायीं ओर घुमाएँ तथा अपने दाएँ कन्धे के ऊपर से पीछे की ओर देखें। श्री श्री योग विशेषज्ञ की ओर से सुझाव: अपने दोनों पाँवों को अपने स्थान पर स्थिर रखें – इससे घुमाव अधिक प्रभावशाली हो जाता है! 
  • यह आवश्यक है कि आपकी हथेलियों के बीच का फासला निरंतर स्थिर बना रहे। 
  • क्या आपको कमर के निचले भाग में खिंचाव अनुभव हो रहा है? यह है कटिचक्रासन – अर्थात् खड़े होकर मेरुदंड को घुमाव देने वाली योग मुद्रा। 
  • साँस लेते हुए वापस मध्य में आ जाएँ। 
  • साँस छोड़ते हुए कमर से अपने बाएँ ओर घूम जाएँ तथा योगासन को बायीं ओर से दोहराएँ।
  • साँस भरते हुए वापस मध्य में आ जाएँ। 
  • इस प्रकार से आसन को कुछ बार दोहराएँ और फिर साँस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आएँ।

श्री श्री योग विशेषज्ञ के सुझाव: अपनी गतिविधियों को धीमा और शालीनतापूर्वक करें। शरीर को किसी प्रकार का झटका देने से बचें। यदि आप अपनी गतिविधि को सौम्य ढंग से, साँस के साथ सामंजस्य बिठा कर करते हैं, तो आसन से मिलने वाले लाभ श्रेष्ठतर हो जाते हैं।

कटिचक्रासन के लाभ

  • कब्ज से छुटकारा पाने में सहायक है।
  • रीढ़ की हड्डी और कमर को सुदृढ़ता एवं लचीलापन प्रदान करता है।
  • बाजुओं और टाँगों की माँसपेशियों के लिए उत्तम आसन है।
  • गर्दन तथा कन्धों की जकड़न को खोलता है और पेट तथा पीठ के निचले भाग की मांसपेशियों को दृढ़ता प्रदान करता है।
  • दिन भर बैठ कर कार्य करने वालों और गतिहीन रहने वालों के लिए लाभप्रद आसन है।

निषेध

  • गर्भावस्था अथवा हर्निया, स्लिप डिस्क की स्थिति या पिछले कुछ समय में पेट की कोई सर्जरी हुई हो, तो कटिचक्रासन न करें।
  • यदि आपको दीर्घकालीन मेरुदंड संबंधी कोई समस्या है, तो यह आसन करने से पूर्व अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें।
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कटिचक्रासन के विषय में पूछे जाने वाले कुछ सामान्य प्रश्न

कटिचक्रासन के लाभ: कब्ज से राहत देने में सहायक है। रीढ़ की हड्डी और कमर को सुदृढ़ और लचीला बनाता है। बाजुओं और टाँगों की माँसपेशियों को दृढ़ता प्रदान करता है। पेट तथा पीठ के निचले भाग की माँसपेशियों को सशक्त बनाता है। बैठे बैठे काम करने वालों और गतिहीन दिनचर्या वालों के लिए अति लाभकारी है।
दोनों पाँव को साथ रखते हुए, सीधे खड़े हो जाएँ। साँस भरते हुए, अपने दोनों हाथों को सामने की ओर इस प्रकार से फैलाएँ कि दोनों हथेलियाँ भूमि के समानान्तर और एक दूसरे के सामने हों। सुनिश्चित करें कि आपकी हथेलियों के बीच का अंतर कन्धों के बीच के अंतर जितना ही हो। साँस छोड़ें। धीरे से अपनी कमर को दायीं ओर घुमाएँ तथा अपने दाएँ कन्धे के ऊपर से पीछे की ओर देखें। श्री श्री योग विशेषज्ञ की ओर से सुझाव: अपने दोनों पाँवों को अपने स्थान पर स्थिर रखें – इससे घुमाव अधिक प्रभावशाली हो जाता है! आपकी हथेलियों के बीच का फासला निरंतर स्थिर बना रहे। अपनी कमर के निचले भाग में खिंचाव का अनुभव करें। साँस लेते हुए वापस मध्य में आ जाएँ। साँस छोड़ते हुए कमर से अपने बाएँ ओर घूम जाएँ तथा योगासन को बायीं ओर से दोहराएँ। साँस भरते हुए वापस मध्य में आ जाएँ। इस प्रकार से आसन को दोनों ओर से दोहराएँ और फिर साँस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आएँ।
कटिचक्रासन में ‘कटि’ का अर्थ है कमर और चक्र का अर्थ है गोलाकार परिक्रमण। कटिचक्रासन अर्थात्‌ कमर से गोलाकार चक्र।
श्री श्री योग विशेषज्ञ के सुझाव: हथेलियाँ एक दूसरे के सामने, जमीन के समानांतर होनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपकी हथेलियों के बीच की दूरी, दोनों कंधों के बीच की दूरी के समान हो। दोनों हथेलियों के बीच की दूरी स्थिर रखें। साँस छोड़ें। अब कमर से शरीर को दायीं ओर घुमाते हुए अपने दायें कंधे के ऊपर से पीछे देखें। अपने पाँव को एक स्थान पर टिकाए रखें – इससे उत्कृष्ट घुमाव मिलेगा!
यदि आपको इनमें से कोई समस्या है, तो अर्द्ध चक्रासन न करें:
. कूल्हे अथवा रीढ़ की चोट या कोई समस्या
. वर्टिगो/ चक्कर आना
. उच्च रक्तचाप और मस्तिष्क संबंधी कोई समस्या
. पेप्टिक या आँतों का अल्सर
. गर्भावस्था
रीढ़ की हड्डी को घुमाव देने (कटि चक्रासन) से होने वाले लाभ: पीठ की मुद्रा संबंधी समस्याओं को ठीक करता है। कब्ज से मुक्ति पाने में सहायक है। रीढ़ की हड्डी और कमर को सुदृढ़ और लचीला बनाता है। बाजुओं और टाँगों की मांसपेशियों को दृढ़ता प्रदान करता है। पेट तथा पीठ के निचले भाग की माँसपेशियों को सशक्त बनाता है। बैठे बैठे काम करने वालों और गतिहीन दिनचर्या वालों के लिए लाभकारी है।
योगाभ्यास करते समय उन सभी आसनों में, जिनमें दोनों ओर से आसन करना होता है, सदैव दायीं ओर से आरंभ करना चाहिए।
रीढ़ की हड्डी में घुमाव (कटि चक्रासन) के लाभ: पीठ, रीढ़ और माँसपेशियों में मुद्रा से संबंधित समस्याओं/ विकारों को ठीक करता है। कब्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है। रीढ़ की हड्डी और कमर को सुदृढ़ और लचीला बनाता है। बाजुओं और टाँगों की माँसपेशियों को दृढ़ता प्रदान करता है, पेट तथा पीठ के निचले भाग की माँसपेशियों को सशक्त बनाता है, बैठे बैठे काम करने वालों और गतिहीन दिनचर्या वालों के लिए लाभकारी है।
घुमाव देने से हमारे कटि मेरुदंड क्षेत्र तथा उदरीय क्षेत्र की माँसपेशियों उत्तेजित होती हैं। इससे उस क्षेत्र के रक्त प्रवाह में सुधार होता है। यह रीढ़ की हड्डी के मणकों में सिंचन को बढ़ाता है।

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