संस्कृत के शब्द ‘नट’ का अर्थ होता है ‘नर्तक’ और राजा का अर्थ है ‘सम्राट’। भगवान शिव का एक और नाम नटराज भी है, जिसका अर्थ है नृत्य के राजा। इस संसार की रचना तथा इसका विध्वंस ही उनके इस लौकिक नृत्य का रूप है।

नटराजासन करने की विधि

  1. पीठ के बल लेट कर दोनों हाथों को फैला लें। हथेली फर्श की ओर रखें और कंधों के समानांतर सीधा रखें। पैरों को मोड़ते हुए एड़ी के पास लाएँ। घुटने आसमान की ओर रखें और गहरी साँस लें। तलवे पूरी तरह जमीन को छूते हुए।
  2. साँस छोड़ते हुए घुटनों को दाईं तरफ झुकाएँ और अपनी बाईं तरफ देखें।
  3. साँस लेते रहें और हर साँस के साथ अपने घुटनों और कंधों को जमीन की ओर लाने की कोशिश करें।
  4. ध्यान रखें कि कंधे फर्श को छूते रहें। इस अवस्था में अक्सर कंधे फर्श से ऊपर उठ जाते हैं, इसका ध्यान रखें।
  5. जांघों, कमर, हाथ, गर्दन, पेट और पीठ में खिंचाव महसूस करें। प्रत्येक साँस छोड़ते हुए आसन में विश्राम करें।
  6. साँस लें और घुटनों को उठाएँ, ऊपर देखें और साँस छोड़ते हुए घुटनों को बाईं तरफ झुकाएँ और दाईं तरफ देखें। इसी अवस्था में रुकें और साँस लेते रहें।
  7. धीरे धीरे सिर और घुटने को सीधा कर लें। पैरों को फर्श पर सीधा फैला लें।
  8. इस आसन को विपरीत दिशा में भी दोहराएँ।

आसन की अवधि/ दोहराव :

आरंभ में नटराजासन को एक मिनट की अवधि के लिए करें और फिर धीरे धीरे, जैसे जैसे आपको यह सुविधाजनक लगने लगे, इसका समय बढ़ाते जाएँ। इस आसन को दायें से बाएँ, अदला बदली करते हुए तीन बार दोहराएँ।

नटराज आसन के लाभ

  • नटराज आसन को दृढ़ता और पूरी सजगता के साथ पूरी शालीनता से इस प्रकार करें, जैसे आप नृत्य कर रहे हों।
  • यह आसन आपकी एकाग्रता तथा संतुलित रहने की शक्ति को सुदृढ़ करता है। टाँगों के खिंचाव तथा पीठ को घुमाने से जो चाप बनती है, वह बैठने/ खड़े होने की गलत मुद्राओं और दीर्घ अवधि तक बैठे रहने के कारण मेरुदण्ड के अस्थिखंडों पर पड़ने वाले तनाव तथा संरेखण के विकारों को ठीक करने में सहायता करती है। यह कूल्हों और टाँगों की माँसपेशियों को लचीला बनाता है तथा छाती की माँसपेशियों को भी उत्तेजित करता है।

निषेध

यदि आपकी मेरुदण्ड में कोई चोट लगी हो, तो यह आसन न करें।

सभी योगासन
पिछला योगासन: हलासन
अगला योगासन: विष्णु आसन

    Wait!

    Don't leave without a smile

    Talk to our experts and learn more about Sudarshan Kriya

    Reverse lifestyle diseases | Reduce stress & anxiety | Raise the ‘prana’ (subtle life force) level to be happy | Boost immunity


    *
    *
    *
    *
    *