परिचय : 1981 में युवा रवि शंकर देश-विदेशों में अपने योग और ध्यान के भव्य प्रचार-प्रसार के बावजूद भी कुछ अधूरा अनुभव कर रहे थे | उन्हें ये लगने लगा था कि इस सदी के लोगों को कुछ और भी चाहिए जो लोगों के लिए, ध्यान की प्रक्रिया को सहज और आसान बना सके | उन्हें इस बात का पूरा आभास हो गया था कि तनाव और अशांति से जूझ रहे, दुनिया भर के लोगों को एक ऐसी तकनीक चाहिए जो उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बना सके ! इसी प्रक्रिया की खोज में वे 1981 की शारदीय नवरात्रि में केन्गेरी नदी के किनारे 10 दिनों केमौन में गए | मौन और ध्यान साधना के फलस्वरूप उनके भीतर एक श्वांस तकनीक की प्रेरक किरण फूटी | और मार्च 1982 में कर्नाटक के भद्रावती नदी के किनारे उस प्रक्रिया को सम्पूर्ण अभिव्यक्ति और एक पहचान मिली | प्रकृति की लय से एक लय फूटी जिसे गुरुदेव ने ‘सुदर्शन क्रिया’ कहा !
क्या है सुदर्शन क्रिया : सुदर्शन क्रिया श्वांस की एक लयात्मक तकनीक है जो आपके शरीर और मन के साथ-साथ आपके अस्तित्व के कई और स्तरों को शुद्ध करती है | विज्ञान कहता है कि हमारी श्वांस में ऐसी क्षमता है कि वह शरीर के 90% विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल सकती है | आप एक नन्हे शिशु को देखें, जब वह श्वांस लेता है तो जैसे उसका पेट और छाती ही नहीं बल्कि पूरा शरीर श्वांस ले रहा हो लेकिन जब आप एक दुखी और तनावपूर्ण अवस्था से जूझ रहे व्यक्ति की श्वांस पर ध्यान देंगे तो आप पाएंगे वह व्यक्ति ऐसे श्वांस ले रहा होता है मानो उनकी श्वांस बस जैसे-तैसे चल रही हो| व्यक्ति जैसे–जैसे बड़े होते जाते हैं और व्यस्त होते जाते हैं अपने शरीर, मन और श्वांस के प्रति लापरवाह होते जाते हैं | असल में स्वस्थ और तंदुरस्त मन और शरीर का रहस्य आपकी श्वांस में है | सुदर्शन क्रिया आपको उसी रहस्य से एकलय करती है और आपको आपके शुद्धतम स्वरुप से जोड़ती है|
कैसे करते हैं सुदर्शन क्रिया : सुदर्शन क्रिया तकनीक सीखने के लिए आपको 3 से 4 दिन का एक ‘हैप्पीनेस शिविर’ करना होता है | ये शिविर गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा सुप्रशिक्षित, आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रशिक्षकों द्वारा आयोजित किया जाता है | आज कल यह शिविर ऑनलाइन भी सिखाया जाता है | आप इस शिविर को ऑनलाइन प्राणायाम ध्यान शिविर के नाम से भी खोज सकते हैं |
कौन-कौन कर सकता है सुदर्शन क्रिया : 18 वर्ष या उससे अधिक के सभी लोग इस तकनीक को सीख सकते हैं | आप गृहिणी हैं, या विद्यार्थी, नौकरीपेशा हैं या उद्योगपति, राजनेता हैं या अभिनेता ; सुदर्शन क्रिया आपके मन भावनाओं और शरीर को संतुलित रखती है | अब तक भारत सहित 156 देशों के 45 करोड़ से अधिक लोग सुदर्शन क्रिया सीख चुके हैं और ऑनलाइन या फिर अपने घर पर सुदर्शन क्रिया का नित्य अभ्यास करते हैं |
क्या कहते हैं विश्व भर के शोध :
प्राणायाम और ध्यान, हमारी प्राचीन स्वास्थ्य पद्धतियों का हिस्सा हमेशा से रहे हैं पर जब सुदर्शन क्रिया के चमत्कारिक परिणाम ने लोगों को लाइलाज बीमारियों से निपटने में एक अद्भुत भूमिका निभायी तब विश्व भर के वज्ञानिकों का ध्यान सुदर्शन क्रिया तकनीक पर गया | सुदर्शन क्रिया और उसके परिणामों पर अब तक लगभग 100 से अधिक शोध किये गए और हर शोध के परिणाम अब तक एक जैसे ही तथ्य उजागर हुए हैं |
कुछ शोध परिणाम नीचे दिए गए हैं :
- प्रतिभागियों में केवल 6 हफ्तों के सुदर्शन क्रिया के अभ्यास से उनकी Immunity Cells (प्रतिरोधक कोशिकाओं) लिंफोसाइट्स की संख्या में 33% की बढ़ोत्तरी देखी गयी
- केवल 2 हफ्तों के अभ्यास से प्रतिभागियों के तनाव संबंधी हार्मोन (Stress Hormone) सीरम कॉर्टिसोल (serum cortisol) में 56.6% की कमी दर्ज की गयी |
- केवल 1 सप्ताह के अभ्यास से प्रतिभागियों की जीवन संतुष्टि (life satisfaction rate) दर में 21% की वृद्धि आंकी गयी
- सुदर्शन क्रिया से नींद की गुणवत्ता (quality of sleep) में दोगुने के अधिक सुधार देखा जाता है |
- सुदर्शन क्रिया आपके शरीर में एंटी ओक्सिडेंट (anti-oxidant) की मात्र बढ़ा देती है जो आपको बुढ़ापे से बचाता है |
- सुदर्शन क्रिया से तनाव (stress), चिंता (anxiety) और डिप्रेशन (depression) के रोगियों में अद्भुत लाभ देखा गया है |
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30 मिनट के अभ्यास से पायें अनिद्रा और चिंता से मुक्ति
सुदर्शन क्रिया करने में आपको लगभग 25 से 30 मिनट लगते हैं | हर रोज़ 30 मिनट का अभ्यास आपको न केवल दिन भर तारो ताज़ा रखता है और आपकी ऊर्जा बनाये रखता है बल्कि चिंता और अनिद्रा से भी दूर रखता है |
शोध बताते हैं कि जो लोग नियमित सुदर्शन क्रिया करते हैं उनकी नींद की गुणवत्ता(quality of sleep) में 76.6% सुधार हुआ है और वहीं जो लोग सप्ताह में केवल एक बार सुदर्शन क्रिया का अभ्यास करते हैं उनकी नींद की गुणवत्ता (quality of sleep) में भी 64.1% का सुधार देखा गया और जो लोग मासिक एक बार सुदर्शन क्रिया कर रहे थे उनकी नींद की गुणवत्ता में 60.2% का सुधार देखा गया है | ये शोध परिणाम श्री श्री इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिसर्च द्वारा ‘अ क्रोससेक्शनल स्टडी फ्रॉमसिंगापुर’ के सन्दर्भ से साझा किये गए हैं |
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लेखिका : रत्नम सिंह , आर्ट ऑफ़ लिविंग प्रशिक्षिका
यह लेख सुदर्शन क्रिया के शोध के आंकड़ों और भानुमति नरसिम्हन जी द्वारा लिखित पुस्तक “गुरुदेव” के तथ्यों पर आधारित है |