चुनौती क्या है

गांवों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं और ग्रामीणों की एक बड़ी संख्या शहरों की ओर पलायन कर रही है

कार्यनीति

एक गाँव को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कार्यात्मक दृष्टिकोण का पालन करना

प्रभाव दिखा

70,000 गांवों में

अवलोकन

2011 की जनगणना के अनुसार, 70% भारतीय गांवों में रहते हैं. जबकि इतनी जनसँख्या के बावजूद, भारतीय गाँव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, जिसके कारण भारी संख्या में ग्रामवासी शहरों कि ओर पलायन कर रहे हैं। हमारा ऐसा मानना है कि गांवों को छोड़ना उनके लिए उनकी पसंद का विषय होना चाहिए,न कि मजबूरी का। हम चाहते हैं सभी भारतीय गाँव आत्मनिर्भर बनें और ग्रामीण प्रजा गर्व, प्रतिष्ठा और आनंद के साथ जीवन जिये - गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के अनुसार एक आदर्श गाँव वह है जहाँ :

  • स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है
  • स्वच्छता बनाए रखी जाती है
  • विविधता में एकता प्राप्त की जाती है
  • मानवीय मूल्य बने रहते हैं
  • ग्रामीण नशे की लत से मुक्त हैं
  • रसायन मुक्त खेती का आचरण होता है
  • रोजी रोटी के अवसर बनाए जाते हैं
  • पर्याप्त पानी की उपलब्धता है
  • महिलाएँ सशक्त हैं

गर्व की बात यह है कि कुछ विशेष परियोजनाओं के माध्यम द्वारा जैसे कि जागरूकता का प्रचार, ध्यान कार्यक्रम, सामुदायिक-निर्माण प्रक्रियाएँ, स्वच्छता और कौशल विकास इत्यादि से उपरोक्त सभी मापदंडो को हम प्राप्त कर रहे हैं। अतीत में भी, हमने शासकीय सरकारों के द्वारा प्रस्तावित एक आदर्श गांव के मापदंडों को पूरा करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया है।

ग्रामीण विकास

 

ग्रामीण भारत का विकास

सौर बिजली लाना, शौचालय सुविधा,मजबूत स्थानीय शासन और बहुत कुछ

सामुदायिक सदस्य उनके गाँव के लिए श्रमदान कर रहे हैं

70,000+ गांव सशक्त बने हैं हमारे इन कार्यक्रमों के माध्यम से , जो कई ग्रामीण युवाओं को सेवा की पहल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

काप्सी - एक गांव का पुनर्जन्म

 

कार्यनीति

हमारी कार्यनीति इस प्रकार है:

सामुदायिक संघटन, संवेदीकरण और प्रेरणा: सामुदायिक-निर्माण और संवेदीकरण की कार्यशालाओं के माध्यम से, हम समुदाय को एक साथ लाते हैं। यह कार्यशालाएं, लोगों के बीच की बाधाओं को तोड़ने में, मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने में और विविधता में सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं साथ ही यह समुदाय के सदस्यों में अपनेपन की भावना,आत्म-जागरूकता, सचेतन और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती हैं, जो उन्हें आगे की परियोजना में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है।

स्थानीय सामुदायिक नेताओं का निर्माण: जिसमे गाँव के चुने हुए युवाओं को कर्म योग कार्यक्रम (पूर्व YLTP) में प्रशिक्षित किया जाता है, जो उनमें आत्मविश्वास, जिम्मेदारी और स्वामित्व की भावना पैदा करता है। फिर ये सशक्त युवा उनके गाँव को विकसित करने के लिए विभिन्न पहलों का नेतृत्व करते हैं।

गाँव को एक आदर्श गाँव में बदलने की आवश्यकताओं का विचार-विमर्श करना: यहाँ पर एक महत्वपूर्ण हितधारकों के समूह को आदर्श गांवों में यह प्रदर्शन करने के लिए ले जाया जाता है कि किस तरह छोटे-छोटे परिवर्तन भारी प्रभाव डाल सकते हैं। नियमित चर्चा-विमर्श करने के लिए इन समुदायों की बैठकों का आयोजन किया जाता है, जहाँ गतिविधियों और परियोजनाओं को आयोजित किया जाता है और अन्य आदर्श गाँवों की सफलता की कहानियों पर चर्चा की जाती है जो उनके गाँवों को आदर्श गाँव में बदल सकती हैं।

समुदाय की भागीदारी और स्वामित्व को सुनिश्चित करना: उपरोक्त मध्यस्थता, समुदाय को स्वामित्व लेने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करते हैं। समुदाय, श्रमदान (स्वयं सेवा) के माध्यम से अपनी भागीदारी सुनुश्चित करते हैं | पूरा गाँव स्वेच्छा से जल संरक्षण संरचना, शौचालयों का निर्माण आदि की परियोजनाओं में प्रयास डालते हैं।

हमारी कार्यनीति

सामुदायिक-निर्माण कार्यशालाएँ

जो मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देती हैं

 

सामुदायिक नेताओं का निर्माण


जो विभिन्न सेवा पहलों का नेतृत्व करते हैं

 

सामुदायिक बैठकें

यह चर्चा करने के लिए कि उन्हें क्या करना है जिससे उनका गाँव एक आदर्श बने

 

समुदाय की भागीदारी


और समस्याओं को हल करने के लिए स्वामित्व

आर्ट ऑफ़ लिविंग ने 50 मॉडल ग्राम पंचायतों (GPs) को विकसित करने के लिए ओडिशा सरकार के साथ मिलकर काम किया है। इस कार्य ने अंततः पंचायतों (GPs) में एक लौरियापल्ली गाँव को पूरी तरह से व्यसन मुक्त बनाने में मदद की और साथ ही शराबबंदी और मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।

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प्रभाव

70,000+ गाँव

भारत में पहुँचे

 

201,676 युवा

भारत में कर्म योग (YLTP) के माध्यम से प्रशिक्षित हुए

 

165,000 नि:शुल्क कार्यशालाएं

5,688,000 से अधिक लोगों को तनाव से राहत

 

213,573 युवाओं का प्रशिक्षण

कर्म योग के माध्यम से

 

110,000+ धूम्ररहित चूल्हे

बाँटे गए

 

90,200 स्वच्छता शिविर आयोजित किए

7,869,900 लोग लाभान्वित

 

45,000+ व्यक्ति

भारत के 12 राज्यों से ग्रामीण किशोर (HARA) एचआईवी / एड्स जागरूकता अभियान से लाभान्वित हुए हैं

 

 

सामाजिक पहल के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण ने कई लोगों की जान बचाई है, कई चेहरों पर मुस्कराहट लायो है और समुदायों को प्रगति का अनुभव करने में मदद की है। सेवा कार्य मानवता को सबसे आगे रखते हुए, विश्लेषण, विचारशीलता के साथ निर्धारित किया गया है |

सामाजिक पहल के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण ने कई लोगों की जान बचाई है, कई चेहरों पर मुस्कराहट लायो है और समुदायों को प्रगति का अनुभव करने में मदद की है। सेवा कार्य मानवता को सबसे आगे रखते हुए, विश्लेषण, विचारशीलता के साथ निर्धारित किया गया है |

हमसे सम्पर्क करें

info@projects.artofliving.org+91 80 67433684

 
आर्ट ओफ लिविंग अंतर्रष्ट्रीय केंद्र , 21 वां किलोमीटर , कनकपुरा रोड , उदयपुरा , बैंगलोर दक्षिण , कर्नाटक , भारत 560082