मैडम माँ से मिलिए
गुंटूर की मैडम माँ से मिलिए, वह महिला जिसने आंध्रप्रदेश के नक्सल-प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण बच्चों का जीवन बदला। एक मजबूत, मध्यम कद की महिला, आकर्षक व्यक्तित्व का परिचय देती हुई, तीन सुरम्य पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में बसे हुए “श्री श्री सेवा मंदिर” स्कूल के विशाल परिसर की ओर उद्देश्यपूर्ण रास्ता बनाती है। उसके चेहरे पर निश्चय दृढ़ता से लिखा हुआ है, फिर भी रेखाएँ कोमल हैं, असीम करुणा और प्रेम से आच्छादित, उसकी छोटी, गठीली भुजाएँ इसका संकेत देती हैं कि वे छोटे से छोटे मौके पर भी सेवा के लिए सदैव तैयार रहती हैं।
यही महिला देशभर के कई अन्य राज्यों में भी नक्सलियों को बंदूक छोड़ने और प्यार एवं साझा करने की कला सीखने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं। वास्तव में, सबसे अभेद्य क्षेत्रों में, उन लोगों के बीच जिन्हें मदद और सुधार से परे माना जाता था, मैडम माँ ने आर्ट ऑफ लिविंग का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हिंसा से प्रेम तक
उन्हीं हाथों का उपयोग करते हुए, जो कभी बंदूकें उठाते थे, वही दिमाग जिन्होंने बेरहमी से नरसंहार की साजिश रची थी, मैडम माँ ने वह पाँच गाँव विकसित किए, जहाँ उन्होंने बायोगैस संयंत्र, स्वास्थ्य केंद्र, अच्छी सड़कें और वर्षा संचयन बनाने के अलावा निवासियों को तनाव दूर करने की तकनीक और स्वस्थ रहन-सहन भी सिखाया।
स्थानीय लोगों को अहसास हुआ कि वे अब नहीं चाहते कि उनके बच्चे नवोदित नक्सली बनें। विशेषकर, जब उन्होंने इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया हो और जीवन की सुंदरता एवं सच्चे अर्थ की सराहना करने के लिए लौट आए हों। “श्री श्री सेवा मंदिर” स्कूल इसका स्वाभाविक परिणाम था। इस प्रकार, साल 2002 में, गुंटूर जिले के एक दूर के गाँव पलनाडु में सुरम्य पृष्ठभूमि के बीच एक स्कूल बनाया गया।
शुरुआत करना निश्चित रूप से आसान नहीं था। क्योंकि, मदद करने वाले मजबूत हाथों और उत्सुक दिमागों के अलावा भौतिक निर्माण के लिए पैसे की आपूर्ति के प्रबंधन की भी आवश्यकता थी। फिर भी, वह दृढ़ इच्छाशक्ति वाली महिला, मैडम माँ ने सभी बाधाओं को पार किया और जल्द ही एक साधारण संरचना तैयार की, जो युवाओं को सबसे कीमती ज्ञान प्रदान करने के लिए बड़ी पर्याप्त थी, जो उन्हें हिंसा के मार्ग से प्रेम के मार्ग पर ले जाने में सहायक सिद्ध हुई।
समग्र शिक्षा
आधुनिक प्रशिक्षण देने के अलावा, शैक्षिक प्रस्तुतियों के साथ साथ विद्यार्थियों को योग और ध्यान भी करवाया जाता है, जो प्राचीन परंपरा के साथ आधुनिक शिक्षा का उत्तम मिश्रण है। दिलचस्प बात यह है कि कुछ कक्षाएँ परिसर में बरगद और बेरी के पेड़ों के नीचे बाहर खुले में लगती हैं, जो छात्रों को प्रकृति के बीच पढ़ाई करने का मौका देती हैं।
मैडम माँ कहती हैं, “सबसे आधुनिक सहभागितापूर्ण तरीकों के साथ यह हमारे द्वारा प्रदान की जाने वाली समग्र शिक्षा का परिणाम है, जो शिक्षा के गुरुकुल प्रणाली पर आधारित, आध्यात्मिकता और सदियों पुरानी सीखने की तकनीकों का संयोजन है। इससे सीखने की प्रक्रिया आनंदमय हो जाती है, साथ ही यह युवाओं के मस्तिष्क को जीवन को संभालने के दृष्टिकोण और तरीके, दोनों से मजबूत करता है”।
स्कूल खेल शिक्षा को भी प्रमुख महत्व देता है और विजिटिंग फैकल्टी होने के नाते यह बात श्री वी.किशोर, खेल निदेशक, एन.यू द्वारा भरपूर ढंग से वहन की गई है। यह बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है कि स्कूल के लिए मैडम माँ का अगला सपना वैदिक ज्ञान अनुभाग के साथ में एक खेल का मैदान है। “एक बीस-दिवसीय खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हमने 15 विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी भेजा है”, वह मुस्कुराती हुई कहती हैं। उनका दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपने स्कूल से विश्व स्तरीय एथलीट और खिलाड़ी तैयार करना है।
विकास और प्रशंसा
पिछले दशक में, स्कूल ने वास्तव में एक लंबा सफर तय किया है। जो छात्रों का नामांकन करने के लिए जुबानी तौर पर शुरू हुआ था; वर्तमान संख्या 250 से अधिक है। स्कूल में आठवीं कक्षा तक कक्षाएँ हैं, 60 से अधिक छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा के साथ, जो संयोगवश अनाथ थे, छोड़ दिए गए थे या पुलिस द्वारा सौंपे गए थे।
बच्चे विविध पृष्ठभूमि से आते हैं; उन लोगों से लेकर, जिन्हें बाल विवाह से बचाया गया था, उन लोगों तक, जो शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। कुछ छात्र शिक्षा क्षेत्र के प्रतिष्ठित महाकक्ष में कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बनकर अपना पारिवारिक इतिहास बना रहे हैं।
संभावित विचलनकर्ताओं पर नजर रखने और सुधार करने के उनके दबाव को कम करते हुए, जिला कलेक्टर, स्थानीय विधायक, आइ.ए.एस. अफसर और प्रशासनिक निकाय की ओर से खूब प्रशंसाएँ हुई हैं, जो अब आने वाली पीढ़ी को राह पर देख रहे हैं। अच्छे काम को देखते हुए, कई माता-पिता ने अपने बच्चों को “श्री श्री सेवा मंदिर” में स्थानांतरित कर दिया है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इस स्कूल को गुंटूर जिले और साथ ही राज्य का भी सर्वश्रेष्ठ स्कूल चुना गया है।
इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उनके सराहनीय कार्य को मान्यता देते हुए, मैडम माँ को हाल ही में शिक्षा के ग्रामीण सेवा क्षेत्र में नागार्जुन विश्वविद्यालय द्वारा सर्वोत्तम सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एक आध्यात्मिक गुरु से प्रेरित
इस तरह, मैडम माँ ने तुरंत यह भी कहा कि यह सब उनके आध्यात्मिक गुरु, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी, की प्रेरणा के बिना संभव नहीं होता, जिन्होंने उन्हें बदलाव लाने का रास्ता दिखाया, जीवन परिवर्तित करने का – निडरतापूर्वक, अटूट, अपनी मुस्कान खोए बिना। और हर मौके पर वह निश्चित रूप से मुस्कुराती हैं, इसलिए नहीं कि उनके पास हमेशा मुस्कुराने के लिए बहुत कुछ है, बल्कि इसलिए क्योंकि यह उनका दूसरा स्वभाव बन गया है और वह सबसे बेशकीमती शिक्षाओं में से एक है, जो उन्होंने गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी से सीखी है।
मैडम माँ कहती हैं “जब मैं यहाँ आई थी,तब इन युवाओं के मन पर तीव्र नकारात्मकता, भय, क्रोध का प्रभाव था, सोचने एवं समझने के नए और अलग तरीकों को अपनाने की संभावना को बाधित किया हुआ था। वह सुदर्शन क्रिया, ध्यान, और समग्र शिक्षा ही है, जिन्होंने सीखने को रोचक बना दिया, कई नकारात्मक धारणाओं को मिटाने में मदद की, उनके मन और आत्मा को आनंद से भरपूर और तनाव से मुक्त एक नए, अर्थपूर्ण जीवन के लिए आजाद किया”।
वास्तव में, एक सर्वांगीण शिक्षा उनके पास गर्व करने का हर कारण है। आखिरकार, उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षाओं की दृढ़ नींव पर ईंट दर ईंट जोड़कर इसे बनाया है।