ज्ञान के लेख (Wisdom)

पढ़ाई करते वक्त दिमाग़ बहुत भागता है, क्या करें? 

प्रश्न : पढ़ाई करते वक्त दिमाग़ बहुत भागता है, क्या करें? 

गुरुदेव:   देखो सभी पढ़ाई में, सभी सब्जेक्ट में मन भागता हो तो कुछ गड़बड़ है। मगर एक आध सब्जेक्ट में मन भागता हो तो उसके लिए उपाय ढूँढ लेंगे। आँ। हिस्ट्री आपको पसंद नहीं है, तो हिस्ट्री पढ़ते वक्त मन भागता है, या मैथेमेटिक्स पढ़ते वक्त मन भागता हो तो तब क्या करना चाहिए, अपनी कहानी बनानी चाहिए उसमें।

कहानी बना के याद रखें चीज़ें 

उसको याद करने के लिए कहानी अपना ही रचा लो। मान लो कुछ नम्बर तुमको याद रखना हो तो यह कहना चाहिए तीन लोग गए, छः सेब ख़रीदने, दस किलोमीटर तक, और वापस आए तो वो क्या छः सेब बीस हो गया। तीन आदमी गए छः सेब ख़रीदने दस किलोमीटर दूरी में वापस आए तो बीस हो गया। तो यह कहानी बैठ जाएगी फिर। तो क्या हुआ तीन, छः, एक, शून्य, दो, और शून्य, इतना लम्बा नम्बर। तो यह कहानी की, कहानी से तुम नम्बर जोड़ लोगे तो नम्बर याद रह जाएगा। ठीक है न। हमारे संस्कृति में यह बहुत पुरानी बात थी। नम्बर्ज़, ये संख्या को बताने के लिए हमेशा नाम से बोलते थे। गणेशराम षडानन, गणेशराम षडानन : गणेश - एक है, राम - तीन हैं, एक तीन छः को कहने के लिए वो लोग कहते थे गणेशराम षडानन। 

 उल्टा कहते थे इसको, ऐसे : छः तीन और एक हो गणेशराम षडानन, ऐसे उल्टा पढ़ना पड़ता था। वेदराम, माने वेद -चार, और तीन। चौंतिस को क्या बोलते थे, वेद राम। चौंतीस को। इस तरह से पद्धति रही,परम्परा रही,वो  सब हम लोग भूल भाल गए।

अंग्रेज हमसे हमारी पद्धतियाँ छीन ले गए 

देश आज़ाद होने से पहले, यहीं पर, दक्षिण भारत के मद्रास चुनाव क्षेत्र में क़रीब एक लाख वैदिकीय शस्त्र चिकित्सा करने वाले मेडिकल कॉलेज रहे। एक लाख ! अंग्रेजों को यहाँ, अंग्रेजों के यहाँ आने से पूर्व, जब अंग्रेज़ आए सबसे पहले इन्होंने ये सारे मेडिकल कॉलेज को बंद करवाया।आपको पता है कि नहीं पता? कितने लोगों को नहीं पता?  नहीं पता ! तो ये बहुत इंट्रेस्टिंग बात है। क्या यहाँ पर एक सिपाही आया था, घाव हो गया उसका  नाक, मैसूर में, नाक काट के यहाँ क्या कहते हैं, कोई हार जाता है तो नाक काट के भेजते हैं न,  अपना है न, तो नाक काट के उसको भेज दिया, सिपाही को, अंग्रेज़। और शहर के बाहर एक वैद्य देखा था किसी का नाक लटका हुआ भाग रहा है। 

उसको बुला के, अपना तो मानवता हिंदुस्तान में रही, उसको पूरा अच्छे से प्लास्टिक सर्जरी कराया, हमारे वैद्यों ने, भारत  के वैद्यों ने। तब वो जो कर्नल, मेजर, जो भी था ये सोल्जर, जो भी था, मिलिटरी का आदमी, वो इंग्लैंड गया, वहाँ उसने बताया कि आप लोग क्या यहाँ मेडिकल डॉक्टर्स हो, हिंदुस्तान में जा के सीखो, देखो दो दिन में मेरा नाक ठीक कर दिया। प्लास्टिक सर्जरी करी, एक निशान भी नहीं है। तुम लोगों को मेडिकल साईंस आती नहीं, तुम लोग वहाँ जा के सीखो। यह बात हुई। तो मैक़ाले यहाँ आया, पूरा ट्रैवल किया हिंदुस्तान में घूम फिर के वो देखा, एक गरीब नहीं मिल रहे हैं हिंदुस्तान में। एक शोषित व्यक्ति नहीं मिल रहे हैं।बोला यहाँ कि जो संस्कृति है, ऐसी संस्कृति के रहते हम इस पर राज्य नहीं कर सकते।

पहले यह संस्कृति को तबाह करो। तो क्या करा, मेडिकल कॉलेजेज़ को सबसे पहले बंद करवाया।आयुर्वेद के, आयुर्वेद और सिद्ध औषधियाँ, सिद्ध सिस्टम भी चलता था, इन सब कोलेजों को बंद करवा दो। फिर यहाँ की जो अर्किटेक्ट बड़े मशहूर थे, इतने अच्छे बना रहे थे, और उस जाति के लोगों को कह दिया कि इस जाति के लोग, विश्वकर्मा वर्ग के लोगों को, प्लानिंग नहीं बनाना, इनसे एक ईंट भी नहीं उठना चाहिए, इनसे  अर्किटेक्ट उनका बंद करवा दिया। फिर नेकारों को ले के यह बोला, नेकार जितने, जिस जात के लोग वो करते थे, वो दूसरे जात के लोगों को तो नहीं सिखाते थे, अपनी जात में रहता था वो काम। 


तो हमारी सारी बिल्डिंग्स होना बंद हो गया। तभी तो दिल्ली में अभी का जो पार्लियामेंट हाउस, राष्ट्रपति हाउस, ये सब इन लोगों ने बनवाया। नहीं तो हमारे देश का जो अर्किटेक्टस होते हैं, कितनी बढ़िया बढ़िया बिल्डिंग्स बनाई हैं। दक्षिण भारत में बहुत सारे ऐसे मंदिर हैं, जैसे खजुराहो है, पुरी है, जगन्नाथ मंदिर है इस तरह से बहुत बढ़िया-बढ़िया ये लोग बनाते थे। मगर इन सब को इन लोगों ने ख़त्म करवा दिया।

संकलन एवं संपादन : रत्नम सिंह

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी की ज्ञान वार्ता पर आधारित 

    नए ज्ञान पत्र और वीडियो के लिए सब्स्क्राइब कीजिये

    गुरुदेव से जुड़ें

    दि श्री श्री ऐप

    गुरुदेव के ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर और लाइव वार्ता से ज्ञान प्राप्त करें ।

    आई.फोन | एंड्राइड

    क्या आप एक तनावमुक्त और स्वस्थ जीवन की खोज में हैं ?