अच्छे संबंध कैसे पाएँ? (Ideal Relationships in Hindi)
यदि आप नाव चलाना जानते हैं तो आप कोई भी नाव चला सकते हैं। परंतु अगर नहीं आती, तो नाव बदलने से कुछ नहीं होगा। उसी प्रकार, रिश्ते बदलने से उपाय नहीं निकलेगा। आप स्वयं को फिर उसी परिस्थिति में पाएँगे। यह इसलिए क्योंकि किसी भी संबंध में सबसे महत्वपूर्ण है अपनी भावनाओं को, अपने मन को समझना, स्थिर रहने की क्षमता और एक विशाल दृष्टिकोण रखना। और इसके लिए ज्ञान अतिआवश्यक है क्योंकि ज्ञान ही आपको बल, स्थिरता और विशाल दृष्टिकोण देता है।
अधिकतर हम रिश्तों में उत्तम स्वस्थ सम्बन्ध प्राप्त करने के लिए बाहर देखते हैं; बहुत कम ऐसे होते हैं जो अपने भीतर देखते हैं, उस स्थान को देखते हैं जहाँ से आप एक दूसरे के साथ संबंध बनाते हैं। अच्छे संबंध बनाने के लिए आपको पहले भीतर झांकना होगा, और देखना होगा कि स्वयं से आपका संबंध कैसा है। अपने अंदर झाँकें।
स्वस्थ संबंध कैसे बनाएं और सही दिशा में कैसे आगे बढ़ें, इसके बारे में यहां कुछ रहस्य दिए गए हैं।
संबंधों को सुधारने के लिए 6 उपाय (Healthy Relationships in Hindi)
1. नियंत्रण को त्याग दें
बहुत से लोग नियंत्रण को त्याग नहीं पाते। इससे उन्हें चिंता व घबराहट होती है और इससे संबंधों में दरार आती है।
जागें और देखें – क्या सच में आप नियंत्रण में हैं? आप किस वस्तु को नियंत्रित कर रहे हैं? शायद केवल अपनी जागरुकावस्था के छोटे से भाग को!
- आप नींद और सपनों को नियंत्रित नहीं कर सकते।
- आप मन में आने वाले विचारों को और उठ रही भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते।
उसी प्रकार से, क्या आपको लगता है कि आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को या इस संसार को नियंत्रित कर सकते हैं? जब आप जीवन को इस दृष्टिकोण से देखेंगे तो आपको नियंत्रण खोने का भय नहीं सताएगा, क्योंकि आपके पास नियंत्रण है ही नहीं!
2. आदर भाव रखें
आप जिस के प्रति श्रद्धा रखते हैं, वह विशाल हो जाता है। जब आप संबंधों में आदर का भाव रखते हैं तो आपकी चेतना विस्तृत होती है। तब छोटी छोटी बातें भी आपको विशाल और महत्वपूर्ण लगती हैं। हर छोटे से छोटा जीव उन्नत व सर्वश्रेष्ठ लगता है। रिश्तों में आदर ही उनके बचाव का माध्यम है।
कई बार आपको उन सभी वस्तुओं के प्रति आदर नहीं होता जो आपकी अपनी हैं, और यह आदर भाव जाने अनजाने में लुप्त हो जाता है। अपने स्वामित्व के प्रति आदर होने से आपको लालच, ईर्ष्या व काम वासना से मुक्ति मिलती है। जीवन के हर क्षण के प्रति आदर रखने की कला को हमें उजागर करना चाहिए।
3. एक लक्ष्य की ओर बढ़ें
जब दो रेखाएँ समानांतर होती हैं, तो वे अनंत तक साथ चल सकती हैं। परंतु जब वही रेखाएँ एक दूसरे की ओर मुड़ जाती हैं, तो वे आपस में मिलती हैं और फिर एक दूसरे से दूर चली जाती हैं। यह संबंधों के लिए भी सत्य है। जब दोनों व्यक्तियों का लक्ष्य एक होता है, तो उनका संबंध दीर्घकाल तक चलता है और सद्भाव लाता है। पर जब वे दोनों एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं, एक दूसरे में कमियाँ निकालते रहते हैं, तो प्रेम और घृणा होती है; वे झगड़ा करते हैं।
4. टकराव से बचें
जब आपका वातावरण सामंजस्यपूर्ण होता है, तो आपका मन टकराव करने के कारण खोजता है। कई बार छोटी बातें भी बड़े झगड़े करने के लिए पर्याप्त हैं। क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है?
जब आपका जीवन ही दाव पर हो, तब कोई यह नहीं कहता कि मुझे कोई प्रेम नहीं करता। परंतु जब आप सुरक्षित होते हैं, तब आप चाहते हैं कि लोग आपकी ओर ध्यान दें। कई लोग इसी चाह में झगड़े शुरू करते हैं, जिससे उनकी ओर ध्यान आकर्षित हो। तो स्वयं से पूछें – क्या आप हर परिस्थिति में शांति खोजते हैं या आप आपस के अंतर को और विस्तार करने की चेष्टा करते हैं और हमेशा सही साबित होना चाहते हैं?
5. यह जान लें कि आपके पास अत्यधिक प्रेम है
आपको यह एहसास होना चाहिए कि आपको जितना प्रेम मिल रहा है आप उसके योग्य नहीं हैं। यह सोच लें कि आपको अपनी योग्यता से कई अधिक प्रेम प्राप्त हो रहा है। अगर आप इस विनम्रता के भाव से कार्य करेंगे, तो आप जीवन को एक विशाल दृष्टिकोण से देख पाएँगे।आप अतीत की बातों पर अटके नहीं रहेंगे, वर्तमान क्षण में रहेंगे, दूसरों के मंतव्यों का आदर करेंगे, दूसरों की परेशानियों को समझ पाएँगे और आपके भीतर से एक विशालता दृष्टि गोचर होगी।
अगर आप इस बात को अपने मन में रखेंगे कि मैं इतना प्रेम प्राप्त करने के योग्य नहीं हूँ, आप प्रेम की मांग नहीं करेंगे। और जब आप प्रेम की मांग नहीं करेंगे तो आपके जीवन में प्रेम की कभी कमी नहीं होगी।
6. दूसरे व्यक्ति को “देने” की स्वतंत्रता दें
रिश्तों में समझौते करने पड़ते हैं; एक दूसरे को कुछ देने के भाव से रहिए। परंतु दूसरे व्यक्ति को स्वतंत्रता दें। इसमें थोड़ा कौशल होता है – कि आप इस प्रकार से दूसरे व्यक्ति को देने का अवसर प्रदान करें, परंतु बिना माँग जताए। अगर आप प्रेम की माँग करेंगे, तो वह रिश्ता लंबे समय नहीं चलेगा। मांगने और दोष डालने से प्रेम नष्ट होता है।