आपको क्या थकाता है? क्या आप थके हुए हैं? आप किस कारण से थके हुए हैं? वास्तव में आप काम कर के थक गए हैं। आप बार बार खरीदारी के लिए जा जा कर थक गए हैं। यदि आप शारीरिक श्रम का कोई कार्य अधिकता में कर लेते हो, तो भी थक जाते हो। यदि आप ज्यादा बोलते हो, वह भी आपको थका देता है। यदि आप ज्यादा सोचते रहते हो, वह भी आपकी थकान का कारण हो सकता है। आप जन्मों जन्मों से इन सब कार्यों को – मानसिक, शारीरिक, मौखिक कार्यों को करते आ रहे हो। इतना काम करने का आप पर प्रभाव क्या है? केवल दुःख और थकान!
आप इससे थकते हो। आप उससे थकते हो। बच्चे आपको थका डालते हैं। आपका जीवनसाथी आपको थका देता है। आपके मित्रगण आपको थकाते हैं। सब कुछ ही थकान देता है, है न? क्या आप वास्तव में थके हुए हैं? इस पर विचार करो।
थकान अच्छा है
थकान आनंद की परछाई है
आप प्रतिदिन थक जाते हो, है न? जब आप थक जाते हो तो आप अच्छे से सो पाते हो। यदि आप को थकान न हो तो आप ठीक से सो भी नहीं पाते, पता है न?
यदि आप थकते नहीं तो आप कभी घर वापस ही नहीं आओगे। आप केवल तभी विश्राम करोगे जब आप थके हो। संसार में हर चीज आपको थकाती है। केवल एक चीज है जो आपको थकान नहीं देती और वह है प्रेम। प्रेम आपको इसलिए नहीं थकाता क्योंकि वह अंतिम लक्ष्य है, घर है। प्रेम में थकान होना सम्भव ही नहीं है। वास्तव में, आनंद ही थकान लाता है! थकान आनंद की परछाई मात्र है। जो बात आपको कार्य करने के लिए लालायित करती है, वह है आपकी आनंद प्राप्ति की इच्छा। और जो आपको घर लौटा लाता है, वह है प्रेममयी होना।
तीन प्रकार की थकान
1. शारीरिक थकान
आप थोड़ा परिश्रम करते हो, आप थक जाते हो, और आपको अच्छी नींद आती है। यदि आपने सैर की है, आपने ट्रेडमिल पर पसीना बहाया है तो आपने कुछ ऊर्जा का ह्रास किया है, जिससे आपको थकान महसूस होती है। आप यह तो जानते ही हो कि जब आपका शरीर बहुत थका होता है, और आपको देर रात तक जागना पड़ता है तो आपके भीतर बहुत सारा तनाव एकत्रित हो जाता है।
शारीरिक थकान दूर करने के उपाय
अच्छे विश्राम से इसे दूर भगाओ
तनावग्रस्त होने का फार्मूला अलग है। वह है – करने को बहुत कुछ, समय बहुत कम और ऊर्जा न होना। इसका स्वाभाविक उपाय है, या तो काम का भार कम करो या समय की उपलब्धता बढ़ाओ। फिर भी ऐसा होना कठिन है, यदि आप थके हुए हैं तो। आप स्वयं को पुनः ऊर्जावान बनाने के लिए अधिक समय लेते हो। ऐसे में आपके पास एक ही विकल्प बचता है कि अपने ऊर्जा के स्तर को बढ़ाओ।
2. मानसिक थकान
इस प्रकार की थकान केवल और केवल सोचने, बार-बार सोचने से तथा अत्यधिक सोचने से आती है। यह आपको बुरी तरह से थका डालता है। यह आपके जीवन में होने वाली सबसे बुरी श्रेणी की थकान है।
आपकी थकान का कारण आपका मन है
शारीरिक श्रम की अपेक्षा आपका मन आपको अधिक थकाता है। यदि आप अपनी इच्छा से कुछ काम करना चाहते हैं तो निरंतर 15 घंटे तक कार्य करने के पश्चात भी आपको थकान नहीं होगी किंतु यदि आप में काम करने की इच्छा नहीं है तो मात्र 4 घंटे तक कार्य करने से भी आप बुरी तरह थक जाओगे।
आपके घर में कोई पार्टी है अथवा आप त्यौहार की सजावट करवा रहे हो और उसके लिए आपको कई दिन देर तक कार्य करना पड़े, तो भी आपको थकावट नहीं होगी। आपको अच्छा महसूस होता है। परंतु यदि आपको किसी ऐसे स्थान पर काम करना पड़े जहाँ आपकी रुचि नहीं है, तो आप चार- चार कॉफी /चाय के अंतराल ले कर भी यह कार्य बहुत थकान देने वाला है!
यह सोचने से ही कि “मुझे विश्राम की आवश्यकता है”, आप बेचैन हो जाते हो। और यह सोचने से भी, किकड़ी मेहनत करनी है, आपको थका देता है। यह सोचने मात्र से कि आपने बहुत परिश्रम किया है, मन में स्वयं पर दया की भावना आ जाती है। आप कुछ भी काम न करो, बस बैठे रहो और केवल सोचते रहो। तो भी आप बुरी तरह से थक जाओगे। बहुत से लोगों में थकान और कमजोरी काम करने से नहीं, बल्कि सोचने और चिंता करने से आती है।
दौड़ते हुए मन को रोकने के 5 उपाय
- आपको कोई मानसिक परेशानी है? कुछ शारीरिक श्रम करो!
खूब व्यायाम करें, ट्रेडमिल पर दौड़ो और परिश्रम करें। आप पाएँगे कि इससे बहुत राहत मिलती है। आप यह भी अनुभव करोगे कि आपका मन कम क्रियाशील होगा क्योंकि आप शारीरिक रूप से वर्तमान पल में कार्यरत हैं। और जब शरीर थक जाएगा तो आप का विश्राम भी अच्छा होगा। - ठंडे पानी से स्नान करो अथवा बर्फ में सैर करो। आपका मन भी ठंडा हो जाएगा।
- सूर्यास्त और सूर्योदय को निहारें। मन वहीं रुक जाएगा।
- तेज संगीत सुनें।
क्या आप जानते हैं कि लोग रॉक बैंड क्यों पसंद करते हैं? रॉक संगीत और ऐसा ही और कुछ भी, सिर्फ उच्च स्वर में बज रही ध्वनियाँ और बहुत सा शोरगुल ही होता है। किंतु यह हमारी सोचने की प्रक्रिया को रोक देता है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिलती है। भारत के मंदिरों में, उन्हें मालूम था कि वहाँ सब प्रकार के लोग आएँगे। और उनमें से हर एक व्यक्ति अध्यात्म में विकसित नहीं होगा। इसलिए वहाँ आरती के समय बड़े बड़े ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं क्योंकि उनसे बहुत शोर होता है। ढोल, तुरहियों की बड़ी बड़ी नालें और अन्य वाद्य यंत्रों से निकलने वाली ध्वनियाँ हमारे मन को वर्तमान पल में ले आती हैं। यह कुछ मिनट के लिए ही सही, हमारी वैचारिक क्रियाओं को रोक देता है। आप अपनी सोच अथवा अपने छोटे से संसार, जिसमें हर समय बंधे रहते हो, से कुछ समय के लिए दूर हो जाते हो। - ध्यान और सुदर्शन क्रिया™ सबसे श्रेष्ठ उपाय हैं।
चंद मिनट के ध्यान से आपका मन, किसी साफ स्लेट की भांति निर्मल हो जाता है और आप काम के नए बोझ को उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
3. भावनात्मक थकान
भावनात्मक थकान और भी अधिक बुरी है। आप असंतोष, भय, चिंता आदि, इन सब से तो अवगत हो। किंतु क्या आप इनसे भी थकते हो? क्या आप चिंताग्रस्त रहने से भी थके हो?
भावनात्मक थकान से राहत के उपाय
मंत्रों को सुनने या भजन सुनने से भी हमारे भावनात्मक स्वास्थ्य में बहुत सुधर हो सकता है।
3 प्रकार के उपद्रवी
1. इच्छाएँ और क्रियाकलाप (सूक्ष्म स्तर पर)
इच्छा, स्वयं के प्रति सजगता तथा क्रियाशीलता, उसी ऊर्जा का रूप हैं। इन तीनों में से कोई एक ऊर्जा किसी एक समय पर प्रभुत्वशाली होती है।
जब आप में बहुत सारी इच्छाएँ होती हैं तो आप स्वयं के बारे में सजगता खो देते हो। जब इच्छा हावी होती है तो आत्मबोध अपने निम्नतम स्तर पर होगा। इसलिए विश्व भर के दार्शनिकों ने सदा त्याग तथा इच्छाओं को त्यागने पर बल दिया है। जब इच्छा हावी होती है, उसकी परिणाम तनाव और दुःख में होती है। जब क्रियाशीलता प्रबल होती है तो बेचैनी और रोग फलीभूत होते हैं। जब आत्म सजगता प्रभुत्व में होती है तो आनंद का उदय होता है।
हालांकि, कार्य आपको उतना नहीं थकाता जितना कि इच्छाएँ। जब आपके कर्म और आपकी इच्छाएँ निष्ठापूर्वक परमात्मा अथवा समाज के कल्याण की दिशा में निहित होते हैं तो आपकी चेतना का स्तर स्वतः ही ऊपर उठ जाता है और आत्मज्ञान प्राप्त होना सुनिश्चित होता है।
2. शरीर तथा वचन (उच्च स्तर पर)
आप जन्म-जन्मांतरों से अपने शरीर के साथ कार्य कर रहे हैं, और अपने वचनों, अपने शब्दों, अपने मन के साथ भी। कार्य करने के यह तीन स्थल हैं : शरीर और मन, तथा इन दोनों के मध्य में वचन।
यदि आप शारीरिक कार्य नहीं कर रहे होते तो वहीं ऊर्जा बोलने में लग रही होती है। इसलिए जो लोग बहुत बात करते हैं, वे काम कम करते हैं। और जो लोग न तो शारीरिक श्रम करते हैं और न ही ज्यादा बोलते हैं, वे पागल हो जाते हैं। आपने देखा होगा, कुछ लोग बहुत शांत होते हैं। किंतु उनके भीतर ज्वालामुखी धधक रहा होता है; एक सुप्त ज्वालामुखी! जो लोग बहुत अधिक बोलते हैं वे उन लोगों की अपेक्षा कम खतरनाक होते हैं जो बिल्कुल नहीं बोलते क्योंकि उनके मन में सदा कुछ न कुछ पक रहा होता है।
क्या आपने ध्यान दिया है कि जब आप बहुत अधिक बोलते हो, वह भी अनावश्यक रूप से, तो क्या होता है? आपको बहुत असहज महसूस होती है। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम इस तथ्य को जानते हैं और इसे अनुभव भी कर चुके हैं। बहुत से लोग तो जीवनभर ऐसा करते रहते हैं और उन्हें आभास भी नहीं होता कि उनको कितना बुरा महसूस कर रहे होते हैं। संसार में अधिकतम दुःखों का कारण हमारे वाणी हैं। यदि लोग मौन में रहते हैं तो दुनिया से 90% समस्याओं का अंत स्वतः ही हो जाती।
वर्षों से आप यही करते आ रहे हो, इन्ही तीन क्षेत्रों, क्रियाशीलता की चपेट में रहते हुए। इससे आप कहीं नहीं पहुँचे है, कोई लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है। यह केवल आपको ऊर्जाहीन बना देता है और आप बहुत थक चुके हैं।
3. महत्वकांक्षा या आलस्य
यदि आपकी कोई महत्वकांक्षा या आप आलसी हैं तो आप विश्राम नहीं कर सकते। यह दोनों गहरे विश्राम के विरोधी हैं। एक आलसी व्यक्ति रात में करवटें बदलता रहेगा और बेचैन रहेगा जबकि महत्वाकांक्षी व्यक्ति अंदर ही अंदर सुलगता रहेगा।
ऊर्जा बढ़ाने वाले 3 उपाय
1. गहरा विश्राम
ध्यान करो – गहरे विश्राम का मूल मंत्र है साधना। आप दिन भर कुछ न कुछ करते हैं जो आपको बहुत थका देता है। अब कुछ देर आराम से बैठो और स्वयं के साथ रहो। थोड़ा ध्यान करो। जब आप ध्यान करते हो तो अपने सामने एक नया संसार देखनाशुरू करेंगे। ध्यान में आपको गहरा विश्राम मिलता है।
संतुष्टि – जब आप संतुष्ट होते हैं तो उस अवस्था में आपको गहरा विश्राम मिलता है और ऐसा विश्राम आनंद का स्रोत होता है। आनंद के पीछे दौड़ने से आप थक जाते हैं। किंतु जब आप स्वयं के साथ रहते हो, जब विश्राम करते हो, तो आपको ऊर्जा मिलती है और यह अपने साथ शक्ति, प्रसन्नता और आनंद ले कर आती है। इसलिए बार बार, संतुष्ट हो जाओ।
जैसे हो वैसे बने रहो – जब आपको कुछ ऐसा करना पड़े जो आप नहीं कर सकते, तो आप विश्राम नहीं कर सकते। इसी प्रकार यदि आपको ऐसे बन कर रहना पड़े जैसे आप हो नहीं, तो तब भी आपको विश्राम नहीं मिल सकता। आपको वह नहीं करना है जो आप नहीं कर सकते। आपको कभी भी ऐसा कुछ देने के लिए नहीं कहा जाएगा जो आप नहीं दे सकते। जो काम आप नहीं कर सकते उसके लिए आपसे अपेक्षा भी नहीं की जाती। और कोई भी आपसे वैसा बनने की आशा नहीं करता जैसे आप नहीं हो। यह बोध ही आपको गहरा विश्राम दिला सकता है।
जाने दो – विश्राम करने का एक स्थान है और वह स्थान है ईश्वर, समर्पण और प्रेम। और आप तब तक विश्राम नहीं कर सकते जब तक आप सच में थक न जाएँ, जब तक आप हर वस्तु से ऊब न जाएँ। तब आप सब कुछ त्याग देते हो। इसी को समर्पण कहते हैं।
यदि थोड़ा सा भी आभास होने लगे कि ईश्वर तुम्हारे साथ है, तो यह अनुभूति गहरा विश्राम देती है। और प्रार्थना, प्रेम और ध्यान, यह सब गहरे विश्राम के ही रूप हैं।
2. श्वास पर ध्यान दो
आपकी साँसें आपकी भावनाओं से जुड़ी हैं। प्रत्येक भावना के लिए आपकी साँस में एक अलग लय होती है। परंतु प्रायः हम अपनी साँसों पर ध्यान ही नहीं देते। हमारी भावनाओं, हम कैसा महसूस करते हैं और हमारी साँसों की लय के बीच गहरा संबंध है। हम कभी इस पर भी दृष्टि नहीं डालते कि हमारे प्रत्येक विचार, हमारे मस्तिष्क में हर एक चिंता के लिए हमारी साँस में एक विशेष लय होता है। अतः यदि हम अपने साँसों की लय में परिवर्तन कर दें तो हमारी चिंताएँ भी थम जाएँगी। क्या आप इस रहस्य से अवगत हो?
यह एक रहस्य है, परंतु आप इसे अपने घर में सबके साथ साझा करें। आपकी चिंताएँ आपकी साँसों से जुड़ी हुई हैं। कई बार आप सीधे तौर पर अपनी भावनाओं या विचारों से मुक्त नहीं हो सकते। परंतु अपनी साँसों द्वारा आप ऐसा कर सकते हैं। यदि आप किसी ड्रामा अथवा नाटक मंडली का हिस्सा हैं तो वहाँ आपको किसी अलग, विशिष्ट ढंग से साँस लेने को कहा जाता है। जब आपको कुछ विशेष भावनाओं को अभिव्यक्त करना हो, आपको क्रोध दिखाना हो, तो आपको तेज साँसें लेनी होती हैं। तभी आप क्रोध को अभिव्यक्त कर पाओगे। इसी प्रकार जब आप एकदम शांत अनुभव करते हो तो अंदर आती साँस बिल्कुल धीमी और सूक्ष्म होती है। और बाहर जाती साँस का तो आभास भी नहीं होता। जब आप निराश होते हो तो आपकी बाहर जाती साँसें स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं परंतु आपको पता भी नहीं चलता कि आपने साँस अंदर कब ली! कुछ प्राणायाम कर के आप अपनी साँसों की लय को, उसके पैटर्न को परिवर्तित कर सकते हैं।
सुदर्शन क्रिया™ इन बंधनों से मुक्त होने का सर्वोत्तम उपाय है। इसके पूर्ववर्ती अभ्यास के रूप में आप कुछ सरल श्वसन अभ्यास कर सकते हैं : जैसे कि शीतकारी प्राणायाम और भस्त्रिका प्राणायाम।
3. प्राण शक्ति को बढ़ाओ
प्राण जीवन ऊर्जा है। जब प्राण शक्ति कम होती है तो आप उदास महसूस करते हो। जब प्राण का स्तर सामान्य होता है तो आप सामान्य अनुभव करते हो। और जब प्राण उच्च स्तर पर हों तो आप उत्साहपूर्ण महसूस करते हो। और जब प्राण शक्ति बहुत ऊँचे स्तर पर होती है तो आप ऊर्जावान और आनन्दित महसूस करते हो। योग का अभ्यास करते हुए, ध्यान करते हुए हमारे केंद्रीय चैनल में प्राण शक्ति का प्रवाह निर्बाध रूप से चलता है जिससे जीवन में सब कुछ प्राप्त होने लगता है। थोड़ा बहुत विष हरण/ ताजे फल या फलों के जूस का सेवन तथा साथ में प्राणायाम, दोनों मिल कर अद्भुत परिणाम देंगे।
हमने क्या सीखा
अपने मन को वर्तमान पल में रहने के लिए प्रशिक्षित करें। जो तनाव आप बिना कारण उठाए फिरते हो, उसे त्याग दो। हमारी मुस्कान इस संसार और उससे भी अधिक मूल्यवान है! कोई भी कार्य तनाव देने वाला नहीं होता। अपने शरीर, मन और भावनाओं को नियंत्रित रखने में हमारी अज्ञानता ही उसको तनावपूर्ण बनाती है। आपको तनाव और चिंता पालने की कोई आवश्यकता नहीं है।
जब आपका उत्साह कम होने लगे तो यह संकेत है कि आप थके हुए हैं और आपको विश्राम की आवश्यकता है। इसलिए, आवश्यक है कि थोड़े थोड़े अंतराल पर इस दौड़भाग को रोक कर, समय निकाल कर अपने साथ रहें और विश्राम करें। यही ज्ञान है और यही आध्यात्मिकता है। सच्ची साधना का अर्थ ही है शांत, संतुष्ट तथा विश्राम में रहना। इसके अतिरिक्त एक, दो या तीन दिन के लिए किसी रिसोर्ट जाओ। वहाँ मौन, ध्यान, योग, प्राणायाम का अभ्यास तथा तरल आहार लेने से बहुत लाभ होगा।
अपनी साँसों पर ध्यान दो। अधिक शक्ति और ऊर्जा के लिए सबसे शक्तिशाली प्राणायाम – सुदर्शन क्रिया™ सीखें।