इससे पहले कि हम आकर्षण के नियम और आध्यात्मिकता के परस्पर सम्बंध को समझें, आइए इन शब्दों के अर्थ को जान लें।

आकर्षण का नियम एक शक्तिशाली सिद्धांत है जो यह कहता है कि आप जिन भी विचारों को देखते हैं, आप उन्हें आकर्षित करते हैं और उन्हें पाते हैं। दूसरे शब्दों में, आपके विचार यदि सकारात्मक हैं तो आपके अनुभव भी सकारात्मक ही होंगे और ऐसा ही इसके विपरीत भी होता है। उदाहरण के लिए आपने ऐसे लोग देखे होंगे जो प्रायः हर बात के लिए चिंतित रहते हैं, उनको आप कभी भी चिंतामुक्त नहीं पाओगे क्योंकि उनकी लगभग सभी चिंताएँ वास्तविकता में परिवर्तित होती रहती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे सदैव नकारात्मक ऊर्जा को ही पोषित करते रहते हैं। इसके विपरीत जो लोग सकारात्मक सोच रखते हैं तथा चुनौतियों का सामना करने से पीछे नहीं हटते, किसी न किसी तरीके से उन चुनौतियों पर विजय पा लेते हैं और सकारात्मक तरंगें बिखेरते रहते हैं। 

दूसरी ओर, आध्यात्मिकता का अर्थ है किसी ईश्वरीय शक्ति से जुड़ना और भौतिक पदार्थों से ऊपर उठ कर अलौकिक वस्तुओं में संतुष्ट रहना। मन को सचेतन अवस्था में रखना आध्यात्मिकता को विकसित करने की एक प्रभावशाली तकनीक है; इसका केंद्रबिंदु है “वर्तमान क्षण में रहने की” मानसिक अवस्था, जिससे सजगता विकसित होती है। आध्यात्मिकता विचारों और भावनाओं के प्रति हमारी दृष्टि को केंद्रित करता है तथा बिना उनका आँकलन किए हमें भावनात्मक रूप से सुदृढ़ बनाता है।

विस्तृत चर्चा

आकर्षण का नियम कितना प्रभावशाली है?

आकर्षण का नियम हमारी जागरूकता के बिना भी कार्य करता रहता है। अचेतन रूप में भी हमारा मन वही सोचता रहता है जो हम अपने जीवन में चाहते हैं और प्रकृति/ सृष्टि उन्हीं वस्तुओं को हमारे समीप लाती रहती है। दुर्भाग्यवश, हम में से अनेक लोग अपने जीवन में नकारात्मकता को अधिक महत्त्व देते हैं, जिससे हमें और अधिक तनाव, चिंता और कष्ट मिलते हैं। किंतु जो लोग इस नियम का सही उपयोग करना जानते हैं, वे अपने जीवन में सफलता, आनंद तथा अच्छे स्वास्थ्य को ही आकर्षित करते हैं। 

तो, क्या इस नियम का मतलब केवल सकारात्मक विचारों का ही पोषण करना है?

देखो, यदि आप केवल यह सोचते हो कि सकारात्मक विचार रखना ही नियम है, तो यह सिद्धांत नहीं है। आकर्षण का सिद्धांत कहता है कि आप सकारात्मक सोच रखें और उस पर सकारात्मक अभिप्राय से ही कार्य करें; केवल तभी आपके जीवन में सकारात्मक  बातें फलीभूत होंगी। निष्क्रियता से जीवन में कभी भी आदर्श स्थिति नहीं बन सकती। 

इस नियम के सिद्धांत

दो महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं, जिन पर यह नियम काम करता है:

  • जो जैसा है, वैसा ही आकर्षित करता है

जैसा कि पहले भी बताया गया है, यह नियम कहता है कि यदि आप अच्छी तरंगें संचारित करते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम आते हैं और यही बात इसके विपरीत भी लागू होती है। उदाहरण के लिए, जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, वे स्वस्थ रहने के विषय में ही सोचते हैं। उनके कार्य भी प्रत्यक्षतः वैसे ही होंगे, वे खानपान की अच्छी आदतों और नियमित शारीरिक व्यायाम का अनुसरण करते रहेंगे और अंततः वे स्वस्थ रहने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। 

  • वर्तमान एक आशीर्वाद है

आकर्षण का नियम कहता है कि हम अत्यधिक सोच विचार करने से बचें और वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें। वर्तमान पल से डरने की अपेक्षा इस पल पर विश्वास रखें और अपने लिए आनंद का सृजन करें। कोई भी दशा तथा परिस्थिति कभी भी गलत नहीं होती, अपितु उसके प्रति हमारी प्रतिक्रिया से बहुत अंतर पड़ता है।

 इस नियम का उपयोग

यदि आपको अपने जीवन में सर्वोत्तम वस्तुएँ चाहिए तो आपको प्रकृति/ सृष्टि को इसके लिए स्पष्ट एवं बुलंद आवाज़ में इस आशय का संदेश देना होगा। जब आप ऐसे संदेश को प्रेषित करते हैं तथा इसमें विश्वास भी रखते हैं, तब आकर्षण का नियम यह सुनिश्चित करता है कि आपको वह मिले जो आप चाहते हैं। यहाँ कुछ उपाय दिये जा रहे हैं जिनका उपयोग आप चरणबद्ध तरीके से करके आकर्षण के नियम को अपने जीवन में कार्यान्वित कर सकते हैं।

  • सफलता की कल्पना करें

अपनी उपलब्धियों की छवि अपने मन में बनाने से हमें उनके अनुरूप कार्य करने तथा अपने लक्ष्य प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। आपको अपने अचेतन मन को बार बार यह कहना होगा तथा जो आपको चाहिए उस लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि उसको आप अपनी ओर आकर्षित कर सकें। इस प्रक्रिया में अपने लघु अवधि के एवम् दीर्घकालीन लक्ष्यों, दैनिक कार्य योजना तथा सफलता की परिकल्पना को अवश्य शामिल करें।

  • नकारात्मक विचारों के प्रति कठोर दृष्टिकोण न रखें

जब हम किसी वस्तु के प्रति कठोर दृष्टिकोण रखते हैं तो उससे पार पाना भी कठिन हो जाता है।अपने आप को यह कहते रहना “कि मुझे नकारात्मक विचार नहीं लाने, नहीं लाने,” हममें से अधिकांश के लिए काम नहीं करेगा। इसकी अपेक्षा समय की धारा के साथ चलते रहो और उसके कारण को समझने का प्रयास करो। उदाहरणार्थ: यदि आप अपनी परीक्षाओं में लगातार फेल होते रहे हैं, लेकिन इस बार अच्छी तैयारी की है तो आपको अभी भी फेल होने के नकारात्मक विचार आ सकते हैं और आपको अपनी क्षमता पर संशय हो सकता है। फिर भी, यदि इन विचारों को, ऐसे विचारों को संपूर्ण रूप से रोकने का प्रयास करने की अपेक्षा, अपने विश्वास और तैयारी के तर्क द्वारा रोकते हैं, तो आप लय के साथ बह रहे हो। सचेतन मनोवृत्ति के लिए बतायी गई तकनीकों में यह भी एक तकनीक है।

  • कृतज्ञ मनोभाव में रहें

यह जीवन स्वयं सबसे बड़ा आशीर्वाद है। जब आप सजग रहते हैं और अपने आशीर्वादों के प्रति कृतज्ञ रहते हैं तो आकर्षण के नियम की अभिव्यक्ति स्वतः ही होती है, क्योंकि तब आप जीवन को “यह तो सामान्य है, ऐसा तो होता ही है” मान कर नहीं चलते। जीवन में जो भी सीख हमें मिलें उनके प्रति, जिन लोगों का साथ आपके जीवन में है उनके प्रति, तथा जिस जीवन यात्रा के पथ पर आप हैं, उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखें।

उपरोक्त उपाय आपको शांतचित्त तथा सकारात्मक स्वभाव प्रदान करते हैं। वे आपको अपने जीवन की त्रुटियों की पहचान करने की क्षमता तथा उन पर कार्य कर, नकारात्मकताओं को सकारात्मकताओं में रूपांतरित करने की प्रेरणा देते हैं। 

यदि आप दोषारोपण करोगे तो दोष ही तुम्हारे पास घूम कर वापस आएँगे। यदि आप प्रशंसा बाँटते हो तो वह कई गुना बढ़ कर आपके पास आएगी। यह आकर्षण का नियम है: आप जो भी देते हो, वही आपके पास वापस आता है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

आध्यात्मिकता से सम्बंध

अध्तात्मिकता उस परमसत्ता में आपके विश्वास को दृढ़ करती है, यह आपकी सहज बुद्धि, सहज प्रकृतियों के भिन्न भिन्न पहलुओं को परस्पर जोड़ कर उनका बाह्य कारकों/ तत्त्वों से एकीकरण करती है। आध्यात्मिकता की अवधारणा आत्मा अथवा प्राण शक्ति को भौतिक शरीर की अपेक्षा एक ऊँचे धरातल पर रखती है। यह हमें ऐसा जीवन जीने को प्रेरित करती है जिसमें कोई अपेक्षाएँ न हों और हम अपने अंदर ही आनंद को पा लेते हैं। आध्यात्मिकता का अनुभव विभिन्न लोगों को भिन्न भिन्न रूप में उनके अपने अनूठे तरीके से हो सकता है। कुछ लोगों को अपने दैनिक काम काज में इसका अनुभव होता है, तो कुछ को पूजा पाठ में, और कुछ अन्य इसे ज्ञान में देखते हैं।

हर जीव आत्मा से बना है। यह आत्मा ही है जो आप में बोलती है, समझती है, वही अनुभव करती है, वही संवाद करती है, इत्यादि। सब कुछ आत्मा ही करती है। इसका सम्मान करना ही आध्यात्मिकता है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

अब हम देखते हैं कि आध्यात्मिकता के बिंदुओं को आकर्षण के नियम के साथ कैसे मिला सकते हैं।

  1. आकर्षण का नियम दृढ़ता से समझाता है कि आप सजगतापूर्वक सृष्टि में सकारात्मक संदेश दो ताकि आपको सकारात्मक परिणाम मिलें। आध्यात्मिकता आपके भावनात्मक कल्याण में भी विश्वास जगाती है तथा आशा और उत्साह के साथ आगे बढ़ने में भी। इस प्रकार दोनों अवधारणाओं (आकर्षण का नियम और आध्यात्मिकता) के केंद्र में जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ही है।
  2. आकर्षण का नियम यह दर्शाता है कि जैसी ऊर्जा की तरंगें हम दुनिया में प्रेषित करते हैं, वैसी ही ऊर्जा हमारे दैनिक जीवन में प्रतिबिंबित होती हैं। हमारे रिश्ते और सामाजिक सम्बंध उन्हीं लोगों से बने होते हैं जैसे लोगों को हम आकर्षित करते रहते हैं और वे सब भी अधिकतर हमारे जैसे ही होते हैं। आध्यात्मिकता हमें सचेत कर के हमारे सोचने समझने की क्षमता में सुधार करती है, जो हमें उन्हीं लोगों के निकट लाती है जो आध्यात्मिकता में विश्वास रखते हैं। इसलिए आप देखोगे कि बहुत सारे लोग आध्यात्मिक समूहों और गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं, क्योंकि यह सीधे आत्मा से संपर्क कराते हैं। 
  3. आकर्षण का सिद्धांत और आध्यात्मिकता, दोनों ही सचेतन मन, अच्छे स्वास्थ्य तथा ध्यान साधना को बढ़ावा देते हैं। जैसे ही आपका ध्यान अपने भीतर आत्मा और प्राण शक्ति पर केंद्रित होता है, आपको अपने  जीवन में विपुलता का, प्रचुरता का अनुभव होने लगता है। इस अवस्था में आप अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं तथा अपने वर्तमान को प्यार और कृतज्ञ भाव से स्वीकार कर लेते हैं।  
  4. आकर्षण का सिद्धांत और आध्यात्मिकता, दोनों ही हमें अपने तनाव तथा चिंताओं का बेहतर प्रकार से प्रबंधन करने में सहायता करते हैं। हम अपनी परिस्थितियों पर बिना किसी पूर्वाग्रह के दृष्टिपात करते हैं तथा समस्याओं के समाधान का मार्ग ढूँढ लेते हैं।
  5. आकर्षण का नियम तथा आध्यात्मिकता, दोनों ही जीवन के नकारात्मक पहलुओं को अधिक महत्त्व न देने और यह विश्वास करने, कि जीवन में अच्छा ही होगा, पर जोर देते हैं। इससे हमें परिस्थितियों को अपने अनुरूप ढालने की ऊर्जा मिलती है जिसके परिणाम भी सार्थक आते हैं।

 एक ही सिक्के के दो पहलू

जहाँ आकर्षण का नियम अभिव्यक्ति की भावना को प्रदर्शित करता है, वहीं आध्यात्मिकता उसी बात को एक दूसरे तरीके से प्रतिध्वनित करती है। दोनों ही तरीकों में आप एक नए यथार्थ को देखते हैं, अधिक जोखिम उठा पाते हैं, और अपने उद्देश्यों में सफल हो जाते हैं। और यह सब कुछ भी बिना किसी प्रकार की कुंठा, तनाव अथवा चिंता के होता है। आप अधिक ऊर्जावान, केंद्रित और उद्देश्यपूर्ण दिखाई देते हैं। 

आकर्षण के नियम और आध्यात्मिकता को यदि व्यापक दृष्टिकोण से न देखा जाए तो इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं। इनमें से एक के कारण आप अपने जीवन में नकारात्मक परिणामों के लिए स्वयं को दोषी मान सकते हैं, (चाहे उन पर आपका कोई नियंत्रण न हो, तब भी) और दूसरा आपको दूसरों की कार्यशैली तथा विचारों की उपेक्षा कर, हठधर्मिता और अकेले पड़ने की ओर धकेल सकता है। आपको सदैव यह स्मरण रखना है कि प्रत्येक व्यक्ति आपकी तरह ही है जो अपने जीवन का उद्देश्य पाने में लगा है और उसे अपने तरीके से ढूँढ रहा है। आप जितना अंतर्मुखी होते जाते हो, करुणामयी और दूसरों की सहायता करने को तत्पर रहते हो, उतने ही ज्ञानवान आप होते चले जाते हो। 

ज्ञान, जो  प्रेम और प्रज्ञा को बांधता है, आत्मा का उत्थान  करता है, वही आध्यात्मिकता है। ज्ञान जो आपके दृष्टिकोण को विस्तृत तथा हृदय को विशाल बनाता है, वही आध्यात्मिकता है।

– गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

यदि आप अपने जीवन में सकारात्मकता देखना चाहते हैं और अपने भावनात्मक स्वास्थ्य में रुचि रखते हैं, तो हमारे “वेलनेस प्रोग्राम” में अभी भाग लें और अपने जीवन में परिवर्तन होते हुए देखें।

World Meditation Day

● Live with Gurudev Sri Sri Ravi Shankar

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