इस वैलेनटाइन डे पर प्यार के बारे में आपके सारे सवालों का उत्तर गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के द्वारा।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे प्यार हो गया है, क्या संकेत होंगे?
जब आप किसी से प्यार करते हैं तो आपको उन में कुछ गलत दिखाई नहीं देता। यदि आप कोई गलती देखते भी हैं तो आप सफाई देते हैं कि यह तो बड़ी साधारण सी बात है, हर कोई ऐसा करता है।
आपको ऐसा लगता है कि आपने उनके लिए जो किया वह काफी नहीं है। आपने उनके लिए जितना भी किया हो, आप और करना चाहते हैं। वे हमेशा आपके दिमाग पर छाये रहते हैं। आप उन्हें हमेशा खुश देखना चाहते हैं। आप उनके लिए सबसे अच्छा करना चाहते हैं। आप छोटी सी बात पर भी दुखी हो जाते हैं, जब आप प्यार में होते हैं तो छोटी सी बात भी आपके लिए बहुत बड़ी बन जाती है।
मैं किसी के प्रति आकर्षित हूं, लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या मुझे उसे बताना चाहिए कि मैं कैसा महसूस करता हूं। मैं प्यार में रहना चाहता हूँ।
यदि आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, तो आप इसे बर्बाद कर देंगे। आपको किसी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि आप उनसे प्यार करते हैं। यदि वे संवेदनशील हैं, तो वे इसे महसूस कर सकते हैं। एक बार जब आप उन्हें अपनी भावनाएँ बता देते हैं, तो यह सब कुछ बदल देता है।
आपका होना ही प्यार है। आपका साँस लेना ही प्यार है। रिश्ते की गहराई यह जानने में है कि आप में पहले ही गहरा रिश्ता है और इस बारे में आराम करना है। कभी भी दूसरे को विश्वास दिलाने के लिए ऐसा नहीं कहना कि आप बहुत घनिष्ठ हैं, कभी भी अधिक अभिव्यक्ति न करें। इसलिए मुसकुराते रहें और रिश्ते में नजदीकियाँ अपने आप आने दें।
यह स्वभाविक है कि जब आप घनिष्ठता महसूस करेंगे तो आप चाहेंगे कि दूसरा साथी भी वैसा ही बर्ताव करे, आप उससे भी घनिष्ठता की उम्मीद रखेंगे। उन्हें अपना समय लेने दें। अपनी नजदीकी प्रकट करने में जल्दी न करें।
मैं यह कैसे पता लगाऊँ कि जो स्त्री मेरे दिल में है क्या वह वास्तव में मुझे 100% प्यार करती है?
मुझे इसका जवाब नहीं पता, न ही तुम्हें पता होगा। एक मौका लेकर देख लो। अगर वह आपको 90 प्रतिशत प्यार भी करती है तो यह काफी अच्छा है।
मान लो कोई आपसे यही सवाल करता है, तो आप क्या करेंगे? आप इस बात की 100 प्रतिशत गारंटी नहीं दे सकते कि आप उन्हें 100 प्रतिशत प्यार करते हैं। शायद आप इस समय ऐसा कह दें पर अगले महीने की क्या गारंटी है? मैं आपको यह कहता हूँ कि आप अपने दिमाग की भी गारंटी नहीं दे सकते। आप अपने ही दिमाग को नहीं जानते तो आप किसी ओर के दिमाग के बारे में कैसे जान सकते हैं?
जब आपका अपने मन पर नियंत्रण नहीं है तो आप किसी और के मन पर कैसे नियंत्रण कर सकते हैं?
यह असंभव है! एक चीज जान लो – जो आपका है वह हमेशा आपका रहेगा। जो आपसे दूर हो गया वह कभी आपका था ही नहीं। अगर आप इसे जान जाते हैं तो आप शांत रहेंगे। अगर आप अंदर से शांत रहेंगे तो पूरी दुनिया आपकी है। यदि आप शांत नहीं हैं तो आप किसी को अपना बनाने की कितनी भी कोशिश कर लें वे हाथ से फिसल जाएँगे। इसलिए आत्मज्ञान आवश्यक है, यह सिर्फ अंदरूनी शक्ति ही नहीं देता बल्कि आपको ब्रहमांड का केंद्र बना देगा। आप इतने केंद्र में रहोंगे तो सब कुछ आपके पास अपने आप आएगा।
भगवद्गगीता में बहुत ही सुंदर कहा गया है, “जो उच्चतर चेतना में स्थापित हो गया है, पूर्णता उसके पास वैसे ही आएगी जैसे एक नदी समुद्र की ओर बहती है।” सभी नदियों का समुद्र की ओर बहना स्वभाविक है, वैसे ही जिसका विशाल मन विजयी हो गया, उनकी सभी इच्छाएँ बिना कुछ किये पूरी हो जाती हैं। इसलिए योग, ध्यान व आध्यात्मिक ज्ञान बहुत आवश्यक है।
एक इन्सान, जो इच्छाओं के पीछे भागता है उसके हाथ कुछ नहीं लगता। इसलिए जो आपका है वह आपको मिल कर रहेगा।
एक वास्तविक और शुद्ध रिश्ता कैसे बनाया जा सकता है?
सबसे अच्छी बात है कि रिश्ता बनाने की कोशिश मत करें, अपने आप में रहें, जैसे आप हैं वैसे ही रहें, सादे बनें और रिश्ता अपने आप विकसित होगा। जब आफ रिश्ता बनाने की कोशिश करते हैं तो आप बनावटी बन जाते हैं, तब आपका व्यवहार थोड़ा बनावटी बन जाता है, असली नहीं रहता।
कल्पना कीजिए कोई आपको प्रभावित करने की कोशिश करता है, आप इस बात को महसूस कर लेते होंगे? अगर कोई ऐसा कर रहा है तो आप क्या करते हैं? आप उस जगह से हट जाते हैं। जो आपको पसंद है वही दूसरों को भी पसंद होता है। आप किसी दूसरे इन्सान में यह गुण देखना चाहते हैं जैसे कि वह बहुत ईमानदार, खुले दिल वाला, जैसा असल में है वैसा ही, आपके बारे में पहले से ही कोई धारणा न बनाने वाला हो। ऐसा ही दूसरा इन्सान भी आपसे चाहता है। अपने बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को प्रभावित करने की ज्यादा कोशिश न करें। अच्छा यही है कि आप जैसे हैं वैसे ही रहें, क्षमाशील रहें और वर्तमान क्षण में रहें।
मुझे अपने जीवन साथी की पहचान कैसे होगी?
पहले आपको अपने जीवन को पहचानना होगा फिर जीवन साथी को। आपको अपने बारे में कुछ नहीं पता, आपको नहीं पता कि आप कौन हैं। आपका मन आपको परेशान कर देता है। एक क्षण यह कुछ चाहेगा और अगले ही क्षण कुछ और। इसलिए कहा गया है कि “आपका मन ही आपकी आजादी और बंधन के लिए जवाबदेह है, कोई और नहीं।”
मन पर निर्भर रहते हुए ही एक रिश्ता कमजोर या ताकतवर बन सकता है। यदि मन ताकतवर है तो एक रिश्ता एक उपहार की तरह हो सकता है, लेकिन यदि मन कमजोर है और नियंत्रण में नहीं है तो एक रिश्ता बंधन महसूस हो सकता है।
ज्यादा नखरेबाज न बनें और किसी आदर्श जीवनसाथी की इन्तजार न करते रहें। यदि आपको एक आदर्श जीवनसाथी मिल जाता है तो वह भी एक आदर्श साथी ही ढूंढ रहे होंगे। क्या आप आदर्श साथी हैं? एक अच्छा इन्सान देख कर शादी कर लें।अगर आपको कोई ऐसा इंसान मिल जाता है जो आपके अनुसार नहीं है, तो विश्वास कीजिए कि आप उसे बदल सकते हैं! इस बात पर विश्वास रखें और आगे बढ़ें।
जब आपका लक्ष्य निश्चित है, जब आपने कोई पसन्द या नापसंद नहीं रखी तो सब कुछ अपने आप हो जाएगा।
मैं यह कैसे पता लगाऊँ कि मुझे किसी इन्सान से गहरा प्यार है या ये केवल एक लगाव है?
समय इसका जवाब देगा। हमेशा याद रखना पड़ेगा कि प्यार में त्याग की भावना होती है। यदि आप प्यार के नाम पर आसक्ति या लगाव में आ जाते हैं तो आपको कष्ट होगा। पर सच्चे प्यार में त्याग से संतुष्टि मिलती है। प्यार में त्याग और संतुष्टि मिलती है जबकि लगाव और बेचैनी केवल कष्ट ही लाते हैं।
हमें यह कैसे पता चलेगा कि कोई हमें सच्चा प्यार करता है या नहीं?
आपको जिन से भी प्यार मिलता है, केवल इतना जान लें कि ये ईश्वर से मिला है। आपको एक शक्तिशाली उर्जा से प्यार मिल रहा है। आपका प्यार भी उसी उर्जा के लिए है; आपको यह प्यार चाहे इस इन्सान से मिले या उस इन्सान से। बस इतना जान लो और विश्राम करो।
कोई इन्सान सच्चा है या झूठा, सही है या गलत, मन के इस जंजाल में नहीं पड़ना है।
यदि सूर्य की रोशनी खिड़की से आ रही है तो यह जान लेना चाहिए कि रोशनी सूर्य से आ रही है, खिड़की से नहीं। इतना समझ लो और विश्राम करो।
एक अच्छा जीवनसाथी बनने के लिए क्या करना चाहिए?
आप इसका प्रयोग कर सकते हैं – आप जिसे भी अपना जीवन साथी चुन लेते हैं, आपको उनके जीवन के प्रति देने में कुछ योगदान करने की भावना होनी चाहिए और कुछ भी माँग नहीं होनी चाहिए। जैसे ही आप कोई माँग करना शुरु कर देते हैं, आपकी हालत दयनीय हो जाती है। आप उन्हें अपनी सेवा व प्यार से जीत सकते हैं।
मुझे प्रतिबद्धता से डर लगता है, मैं इससे कैसे बाहर आऊँ?
यदि कोई आपसे कहे कि “मैं कल आपको सिनेमा दिखाने जाऊँगा” और आप सिनेमाघर में उसका इन्तजार करते हैं और वे नहीं आते, आपको कैसा लगता है? आप अपने आप को सामने वाले की जगह रख कर देखें, तब आपको यह पता चलेगा कि वायदे पर टिकना कितना जरुरी है।
एक वायदा तभी महसूस किया जा सकता है जब यह सुविधा से बाहर हो। जो आसान है वह वायदा नहीं है। अकसर जो सुविधाजनक होता है उससे आराम नहीं मिलता बल्कि आराम का भ्रम मिलता है। यह भी है कि अगर आप वायदे पर बहुत अधिक अड़े हुए हैं और यह आपके लिए बहुत मुश्किल हो रहा है तो आप निबाह नहीं पाएंगे और निराशा महसूस करेंगे। बुद्धिमानी यह है कि वायदे और सुविधा में संतुलन बना कर रखें।
क्या दो रिश्ते रखना गलत है? क्या रिश्ते में शारीरिक संबंध जरूरी है?
सुनिए, क्या आप अपने हमसफर, प्रेमी, प्रेमिका के दो रिश्ते देखना पसंद करेंगे? पहले आप यहै जवाब दें, जो आप कर रहे हैं, अगर कोई आपके साथ ऐसा करे तो आपको पसंद आएगा? क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? आपका मन कहेगा नहीं, है न? एक रिश्ते में ईमानदार होना अच्छा है। एक ही समय पर दो लोगों को दुख देना ठीक नहीं है।
क्या आप किसी को अपने प्यार में पड़ने और रहने के लिए कह सकते हैं?
किसी ने भगवान से प्रश्न पूछा। पहले उसने कहा “भगवान, क्या आप यूरोप से उत्तर अमेरिका तक सड़क बना सकते हैं?”
भगवान ने कहा, “यह बहुत मुश्किल है।”
तब उसने कहा, “ठीक, अगर ऐसा मुश्किल है, क्या आप किसी को मुझसे प्यार करने और करते रहने को कह सकते हैं?”
इस पर भगवान ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें पहले वाला वरदान प्रदान करूँगा, उसकी संभावना ज्यादा लग रही है। यह बताओ तुम पुल कितनी जल्दी बनवाना चाहते हो?”