‘खुशहाल विवाह’ सभी की इच्छा सूचि में होते है, पर क्या वे सचमुच खुश और आनंदित रहते हैं?
आपकी शादी को चाहे बरसों हो गए हों या अभी अभी शादी की हो, यहाँ खुशहाल वैवाहिक जीवन के 10 व्यवहारिक नुस्खे हैं जो आपके जीवन को खुशी से जीने में सहायता करेंगे।
1. याद रखें कि विवाह एक साथ जीवन जीने का संकल्प है
विवाह धैर्य, त्याग, एक-दूसरे की देखभाल और साझेदारी का एक पवित्र बंधन है। हमारे पूर्वज सप्तपदी के बारे में बोलते थे, जिस में शादी की सात प्रतिज्ञाएं ली जाती हैं। एक सुखी विवाह की पहचान प्रतिबद्धता, सहयोग, करुणा, परवाह और अहंकार की कमी में निहित होती है। यदि आप एक दूसरे को अँगुली दिखायेंगे तो यह एक बंधन लगेगा, यदि आप कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे तो यह एक सहारा बनेगा। इसलिए, एक-दूसरे का सहारा बनें, सच्चे साथी बनें और मिलकर जीवन की यात्रा आगे बढ़ाएं।
आपका रिश्ता एक ताकत है या कमजोरी ?
कोई भी रिश्ता हमें शक्ति भी दे सकते हैं और कमजोरी भी; यह हमारे मन पर निर्भर करता है। यदि मन मजबूत है तो रिश्ते हमारे लिए एक उपहार हैं पर यदि मन कमजोर है और हमारे नियंत्रण में नहीं है तो रिश्ते एक बंधन लगते हैं
2. मांग करने के बजाय एक-दूसरे के लिए उपलब्ध रहें।
शादी में दूसरे साथी को अपने शरीर का हिस्सा समझना चाहिए – जैसे आपकी बाजू या टांग। ये दो शरीर, एक मन, एक आत्मा है। इसलिए आपके जीवनसाथी की जो इच्छा हो, उसे आप अपनी इच्छा बना लें। आपके जीवनसाथी को जो भोजन पसंद हो उसे अपनी पसंद मान लें। टकराव तब होता है जब आपकी पसंद भिन्न – भिन्न हो। आपको यह कहना शुरु करना चाहिए कि आपकी पसंद मेरी पसंद, आपकी खुशी मेरी खुशी। यह उम्मीद रखने की जगह, कि दूसरा साथी आपके लिए क्या कर सकता है, आपको यह पूछना चाहिए कि मैं आपके लिए क्या कर सकता / सकती हूँ।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है:
- जब हम रिश्ते को इस तरह आगे बढ़ाऐंगे कि तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो या सकती हो, तो दोनों साथी दुःखी हो जाते हैं।
- एक खुशहाल शादी में पति पत्नी यह संकल्प लेते हैं कि मैं यहाँ तुम्हारे लिए हूँ चाहे कुछ भी हो, अच्छा समय या बुरा समय। जीवन में कभी निराशा आती है और कभी सफलता मिलती है। हर परिस्थिति में मैं तुम्हारे साथ हूँ।
3. अधिकार की भावना न रखें
चाहे शादी से पहले या बाद में, यदि आप अधिकार की भावना रखेंगे, तो दूसरा इन्सान भाग जाएगा। किसी दूसरे पर मालिकाना हक रखना या उस पर हक जताना समझदारी नहीं है।
यदि आप अधिकार की भावना रखेंगे तो नकारात्मक विचारों की श्रृंखला को बढ़ावा मिलेगा।
4. दूसरे इंसान को आपको खुश रखने का बोझ न दें!
अक्सर आप खुश रहना, संतुष्ट रहना और मीठी – मीठी बातें सुनना पसंद करते हैं, इसलिए आप परेशान रहते हैं, उदास चेहरा बना कर रखते हैं – जिसे खुश करना मुश्किल हो। प्रेमी अक्सर ऐसा करते हैं। वे अपनी बहुत सी ऊर्जा दूसरे इंसान को खुश करने में लगा देते हैं। और उस क्षण खुशी और उत्सव का माहौल कम हो जाता है। जो लोग चेहरा लटका कर रखते हैं और चाहते हैं कि दूसरे उन्हें खुश रखें तब दूसरे अक्सर उन्हें छोड़कर चले जाते हैं।
सुझाव: कभी कभी अपनी नाराजगी दिखाना ठीक है पर ऐसा बार बार करना आपके लिए व आपके प्रियजनों के लिए महंगा पड़ सकता है।
यदि आप उदास महसूस कर रहे हैं, तो खुद को खुश करें और संतुष्ट करें।
दूसरों से मनाने की आवश्यकता महसूस करना आंतरिक असंतोष का संकेत है।
यदि आप केवल ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, तो बदले में आपको केवल तनाव ही मिलेगा।
5. बोलने से पहले सोचें
एक लोकोक्ति है जिसमें कहा गया है कि शब्दों से ही अलगाव शुरु होता है, शब्दों के प्रयोग से ही हंसी मजाक होता है। शब्दों के प्रयोग से ही इन्सान धनवान बनता है। इसलिए, शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर करना चाहिए। आमतौर पर, जब कोई गलतफ़हमी हो जाती है तो लोग कहते हैं, चलो, इस पर बात करते हैं, यह तरीका बिल्कुल भी काम नहीं करता।। आगे बढ़ो। बैठकर बीते हुए समय के बारे में कोई सफाई न मांगो और न ही दो। जब किसी से भूल होती है तो बस हो गई, इतना कहकर आगे बढ़ो।
कल्पना कीजिए कि आप ऐसी हालत में हैं कि आपसे कोई भूल हो जाती है और कोई आपसे बार बार इसकी सफाई मांगता रहता है। अपने आप को सही साबित करना या सफाई देना एक बोझ सा लगता है। कभी भी दूसरे इंसान को अपराधी जैसा न महसूस करवाएं। इससे मित्रता का बंधन ढीला पड़ जाता है। एक इन्सान को बिना अपराधी महसूस करवाए उसकी भूल के प्रति सजग करवाना भी एक कला है।
जब आपका जीवनसाथी परेशान हो तब क्या करना चाहिए?
यदि दोनों में से एक दुःखी हो या गुस्सा हो तो अगले व्यक्ति को उस समय शांत रहना चाहिए।
यदि दोनों का मूड एक ही समय पर खराब हो जाए तो समस्या हो जाएगी। खासकर, बच्चों के सामने अच्छा व्यवहार करना चाहिए। इस बात को जान लें कि मेरा साथी परेशान है। ठीक है, उसे परेशान होने का समय दें, यह जानने की कोशिश न करें कि उसके परेशान होने का कारण क्या है। यदि किसी का मूड उखड़ा हुआ हो तो दूसरा नाराज हो जाता है और यह उम्मीद रखता है कि सामने वाला नाराज नहीं होना चाहिए, यह एक बहुत बड़ी गलती है! किसी का मूड उखड़ा हुआ है तो उसे समय देना चाहिए।
6. अपने स्वरूप में आएं
सहज और सरल रहें। रिश्ते अपने आप बनते हैं। यदि आप रिश्ता बनाने की कोशिश करेंगे तो आप बनावटी लगेंगे। कल्पना कीजिए कि कोई आपको प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है तो क्या आपको पता नहीं चलता? अगर कोई ऐसा करता है तो आप वहाँ से चले जाते हैं।
जो आदतें आपको पसंद हैं वही दूसरों को भी पसंद होती हैं। आप उस इन्सान को पसन्द करते हैं जो ईमानदार हो, खुले दिल वाला हो, जो कहे वही करे, आपकी कल्पना पर खरा उतरे, है न? दूसरे भी आप से वही सब चाहते हैं। दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश न करें। इससे सब कुछ उल्टा हो जाएगा। सबसे अच्छा है कि सहज रहें, आप जैसे हैं वैसे ही रहें। क्षमादान देने वाले बनें और वर्तमान क्षण में रहें। इस से बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।
सुझाव: समय के साथ अपने संबंध मजबूत करें! एक रिश्ता समय के साथ साथ एक जोड़े में व्यवहार व एक दूसरे से उम्मीद में परिवर्तन लाता है। रिश्ता, ध्यान व योग के अभ्यास से मजबूत हो सकता है। हम सीख सकते हैं कि रिश्ते में बेहतर संवाद कैसे करें, अधिक धैर्यवान और क्षमाशील कैसे बनें। आपकी भावनाओं का चक्र प्रेम और आनंद से कभी कभी डांवाडोल हो सकता है। उस समय, एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता ही आपके काम आती है। यह बल आध्यात्मिकता से आता है।
7. एक अच्छे दम्पति बनकर समाज की भलाई के बारे में सोचें
जब पति पत्नी हर समय एक दूसरे पर ही ध्यान केन्द्रित रखते हैं तो वे जल्दी ही लड़ना शुरु कर देते हैं। शादी के कुछ तुरंत बाद सब कुछ जादुई लगता है लेकिन जल्दी ही एक दूसरे की कमियाँ दिखाई देने लगती हैं। जो रेखाएं साथ चल रही थीं अब एक दूसरे से दूर होने लगती हैं।
जब पति पत्नी का ध्यान एक दूसरे पर नहीं होता और उनके लक्ष्य अलग अलग होते हैं तो वे एक-दूसरे को समझना बंद कर देते हैं इससे सवाद और विश्वास में दरार आ जाती है। जब लक्ष्य केवल एक दूसरे की इच्छा पूरी करना रह जाता है तो एक दूसरे से पूर्ण खुशी नहीं मिलती।
यह केवल तभी होगा जब दोनों समाज के लिए, दुनिया के लिए एक ऊँचे लक्ष्य को लेकर चलें ; रिश्ते में मान सम्मान बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत होगा। समानांतर रेखाएं अनंत काल तक चलेंगी।
क्या आपके रिश्ते में यह हैं? हमें अपने लिए और समाज, दोनों के लिए लक्ष्य रखना चाहिए। हम तभी ऊँचाईयों की ओर जा सकेंगे व संतुष्टि की भावना हमारे भीतर आएगी। अपनी सोच में “मेरा क्या?” की जगह “मैं दूसरों के लिए क्या कर सकता हूँ”, यह स्वभाविक रूप से होने लगेगा जब हम ध्यान करते हैं। ध्यान हमें वह कौशल, साहस और प्रतिबद्धता प्रदान करता है, जिससे हम किसी भी परिस्थिति में एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। जितनी गहरी नींव होगी उतनी ही ऊंची इमारत होगी। ध्यान हमारे भीतर यह गहराई लाता है कि हमारी आकांक्षा आसमान तक पहुंच सके!
8. महिलाओं के लिए रिश्ते मधुर बनाने का रहस्य
एक आदमी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि उसे घर में प्रेम, सम्मान और प्रशंसा मिले। इसका मतलब यह है कि उसके गुणों को याद रखते हुए काम किया जाए और बढ़ावा दिया जाए। सकारात्मक बढ़ावा उसे सुरक्षा देने के साथ साथ सुधार लाने के लिए प्रेरित करेगा।
पूरी दुनिया चाहे उसे यह कहे कि उसके पास दिमाग नहीं है पर आप, उसकी पत्नी, उसे ऐसा कभी नहीं कहे। आपको हमेशा ऐसा कहना चाहिए, ‘आप दुनिया के सबसे समझदार इन्सान हैं, बस आप दिमाग का उपयोग नहीं करते।’ आपको उसके अहंकार को बढ़ावा देते रहना चाहिए। कभी कभी उस पर प्रशंसाओं की बौछार करें। यहाँ तक कि जब उसने कोई गलती की हो तो उसे कहें कि उसमें अच्छा करने की क्षमता है। थोड़ी सी प्रशंसा उसे अच्छा महसूस करवाएगी।
– गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर
9. पुरुषों के लिए संबंधो का एक रहस्य
औरत के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि उसे महसूस हो कि उसे सुना जा रहा है, समझा जा रहा है और इज्जत की जा रही है। इसका मतलब है कि उसे सहानुभूति और हौंसले के साथ सुनना और उसका समर्थन करना। भावनाओं में बहुत ताकत होती है और आप जल्दी ही भावनाओं में बह जाएंगे।
सुझाव: एक पुरुष होने के नाते यह बहुत आवश्यक है कि स्त्री की भावनाओं से बड़ी कुशलता से निपटें। कई बार उनका अच्छे से पालन पोषण करना पड़ेगा। ध्यान आपको आपकी पत्नी की भावनाएं समझने में और संवेदनशील व समझदार होने में सक्षम बना देगा। यह आपको वातावरण में माधुर्य लाने में सहायता करेगा जो एक सुखद रिश्ते के लिए आवश्यक है।
10. पुरुषों और महिलाओं के लिए रिश्ता मधुर बनाने का रहस्य
जैसे सूर्य दिन में चमकता है, ऐसे ही कुछ चीजें हैं ही, उन्हें किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है। प्रेम भी ऐसा ही है – इसे किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है। पर हम हर समय अपने साथी से सबूत मांगते रहते हैं जो कि रिश्ते को खराब कर देता है।
एक बात आपके रिश्ते को बचा सकती है, “ कभी भी अपने साथी से प्यार का सबूत मत मांगे।” कभी भी एक दूसरे से यह मत पूछना कि क्या तुम मुझे सचमुच प्यार करते हो? अगर आपको कोई कमी लगती भी है तो भी आप यह कहें, “आप मुझे इतना प्यार क्यों करते हैं?” बस, आप ऐसा मान लीजिए कि वे आपसे प्यार करते हैं। अगर बसंत चला भी गया है तो फिर से आएगा।
– गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर