आप पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य को बनाए रखने की आवश्यकता है। जीवन शैली में कुछ बदलाव आपके पूरे शरीर को मजबूती और जीवन शक्ति प्रदान करते हैं। हांलाकि कुछ बदलाव बहुत लाभदायक हैं लेकिन फिर भी हमारे शरीर के सभी अंगों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।आखिरकार, सभी अंगों से मिलकर शरीर बनता है। इसलिए एक जोड़ी छोटे से अंगों पर ध्यान देने की भी आवश्यकता है और वे अंग हैं- गुर्दे।
गुर्दे अपशिष्ट पदार्थों को रक्त से छानकर,रक्त का शोधन करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। यह शरीर में मूत्र प्रणाली के कार्य, हार्मोन्स के स्त्रावण और रक्त के दबाव को बनाए रखने में भी मदद करते हैं। गुर्दे शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बनाए रखने के अतिरिक्त कार्य में भी मदद करते हैं। स्पष्ट रूप से, गुर्दे शरीर में बहुत महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं और इनकी देखभाल करनी चाहिए।
गुर्दे क्या कार्य करते हैं?
- उपापचय अपशिष्ट को बाहर निकालते हैं।
- आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं।
- अम्ल और क्षार में संतुलन बनाए रखते हैं।
- रक्त को छानने में मदद करते हैं।
- हार्मोन्स का उत्पादन करते हैं।
अपने गुर्दों की देखभाल करना
विकसित राष्ट्रों में, गुर्दों से संबंधित बीमारियां प्रचलित हैं, जहाँ अपर्याप्त पोषण, तनाव और अस्वस्थ जीवन शैली के कारण गुर्दे खराब हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक शोध में यह पाया गया कि गुर्दों और मूत्र नली से संबंधित जटिलताओं के कारण प्रतिवर्ष विश्वभर में लगभग एक लाख लोगों कि मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज ने स्थिति को और भी अधिक खराब कर दिया है।
आधुनिक दवाईयों और उन्नत उपकरणों ने गुर्दों की खराबी को नियंत्रित करने में डाक्टरों की बहुत मदद की है। इसके अलावा, प्राकृतिक विकल्पों, जैसे - योग, गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए प्रभावशाली एवम सरल उपाय है।
योग जीवन को समग्रता से जीने के लिए एक प्राचीन शाखा है जो आसन,ध्यान और आयुर्वेद के द्वारा एक स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है। योग में सबसे अच्छी बात यह है कि यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए योग
योगासन विभिन्न अंगों को उत्तेजित करते हैं और उनकी मालिश करते हैं, जिससे शरीर को सर्वोत्तम स्थिति में लाने में मदद मिलती है। अपने गुर्दों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए, इन सरल योगासनों से आरंभ करें। ये आसन शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करते हैं। तो,गुर्दों को स्वस्थ रखने के अपने योगाभ्यास में, आप अपने पूरे शरीर की भी मदद कर रहे हैं। और यहीं से अच्छा स्वास्थ्य शुरू होता है।
सलंब भुजंगासन ( स्फिंक्स मुद्रा )
स्फ़िंक्स मुद्रा उदरीय अंगों को खींचती और उन्हें मजबूती प्रदान करती है।यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।
अर्द्ध मत्स्येंद्र आसन ( बैठकर रीढ़ की हड्डी को आधा मोड़ना )
बैठकर रीढ़ की हड्डी को आधा मोड़ने से गुर्दे और यकृत अधिक क्रियाशील हो जाते हैं। यह भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सुधारता है।
भुजंगासन ( कोबरा पोज़ )
भुजंगासन भी उदरीय अंगों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और शरीर के तनाव और थकान को दूर करता है। इस आसन को भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
पश्चिमोत्तानासन ( दोनों पैर सीधे करके आगे की ओर झुकना )
दोनों पैर सीधे करके आगे की ओर झुकने से गुर्दे अधिक क्रियाशील हो जाते हैं, पाचन में सुधार होता है और मासिक चक्र के दौरान होने वाली कठिनाईयों में आराम मिलता है।
सेतु बंधासन
सेतु बंधासन उदरीय अंगों (पेट सम्बंधित) को अधिक क्रियाशील करता है। यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने और शरीर को तनाव से मुक्ति दिलाने में भी मदद करता है।
नौकासन
नौकासन उदरीय (पेट सम्बंधित) अंगों को मजबूती प्रदान करता है और उनकी क्रियाशीलता को बढ़ाता है। यह पाचन को सुधारने और तनाव मुक्ति में भी मदद करता है।
गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए योग किस प्रकार से कार्य करता है
योगासन करने से गहरा विश्राम मिलता है। ये शरीर में जल के अवधारण में भी मदद करते हैं। इनका अभ्यास करने से गहरी नींद आती है और इस प्रकार से बेहतर विश्राम मिलता है।ठीक से विश्राम किया हुआ शरीर, उत्तम प्रकार से कार्य करता है उदाहरण के लिए शरीर में जल का विनिमयन और हृदय की धड़कन को संतुलित करना।
योग शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखता है, शरीर के विभिन्न तंत्रों को संतुलित करता है और शरीर एवम मन के तनाव को, प्रभावशाली तरीके से नियंत्रित करता है। कुछ योगासन और प्राणायाम आंतरिक शुद्धिकरण करते हैं ताकि शरीर से विषैले तत्व ( टॉक्सिन ) बाहर निकल जायें। यह सुनिश्चित करता है कि शरीर के विभिन्न अंग स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहें और उनमें रक्त भलीभांति प्रवाहित हो।
गुर्दों को स्वस्थ रखने के उपाय
गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए,योग के अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव भी आप कर सकते हैं:
- घर का बना हुआ भोजन ही खाएं और बाहर खाने से बचें।
- अपने आहार में अधिक मात्रा में फल और हरी पत्तेदार सब्जियां लें।
- अधिक मात्रा में पोटैशियम युक्त भोजन से बचें और अपने आहार में अधिक आयरन युक्त भोजन को शामिल करें।
- अधिक पोषण प्राप्त करने के लिए आयुर्वेदिक भोजन ग्रहण करें।
- अधिक मात्रा में पानी पिएं और प्रतिदिन 6 से 8 घंटे की नींद लें।
गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए योग का अभ्यास करें और ध्यान करें। स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करें और अच्छे से विश्राम करें। एक तनाव युक्त शरीर के बजाय तनाव रहित शरीर किसी चिकित्सा या उपचार के प्रति अधिक सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया देता है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सकारात्मक रहें और पूर्णता से जीवन का आनंद लें।
शरीर और मन के विकास में योग अभ्यास मदद करता है लेकिन फिर भी यह दवा का विकल्प नहीं है। एक प्रशिक्षित योग शिक्षक के निर्देशन में योग सीखें और अभ्यास करें। यदि आप कोई चिकित्सा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर और श्री श्री योग शिक्षक के परामर्श के पश्चात ही योग अभ्यास करें।
अपने निकट के आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र में श्री श्री योग कार्यक्रम खोजें ।
हमारे कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी या फीडबैक के लिए info@srisriyoga.in पर लिखें।