इस आसन में शरीर सेतु (Bridge) के समान आकार में हो जाता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन (Bridge Pose) कहा जाता है।

Setu Bandhasana - inline

सेतु बंधासन करने की विधि

  • सर्वप्रथम, पीठ के बल लेट जाएँ।
  • अपने घुटनों को मोड़ें, पैरों में कूल्हों जितना फासला रखते हुए वस्ति प्रदेश (श्रोणी क्षेत्र) से 10-12 इंच दूर रखें। घुटने और एड़ीयाँ एक सीध में होनी चाहिए।
  • हथेलियाँ नीचे फर्श की ओर रखते हुए अपनी बाजुओं को शरीर के बगल में रख दें।
  • गहरी साँस लेते हुए अपनी पीठ का निचला भाग, फिर बीच का भाग और अंत में ऊपर का भाग धीरे धीरे फर्श से ऊपर उठाएँ। कंधों को भी हल्का सा ऊपर उठाते हुए छाती को बिना ठोड़ी को नीचे लाए, ठोड़ी के साथ स्पर्श कराएँ। आपके शरीर का सारा भार कंधों, बाजुओं और पाँवों पर टिका होना चाहिए। इस मुद्रा में अपने कूल्हों में आए कसाव को अनुभव करें। आपकी दोनों जंघा परस्पर और फर्श के समानान्तर हों।
  • यदि आप चाहें तो हाथों की उँगलियों को साथ मिलाते हुए हाथों को जमीन की ओर दबा कर धड़ को थोड़ा और ऊपर उठा सकते हैं या अपनी पीठ को हथेलियों का सहारा दे सकते हैं।
  • आराम से साँस लेते – छोड़ते रहें।
  • आसन में एक से दो मिनट तक बने रहें और फिर धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए आराम से आसन से बाहर आ जाएँ।

सेतु बंधासन वीडियो

सेतु बंधासन के लाभ 

  • पीठ की माँसपेशियों को सुदृढ़ करता है।
  • पीठ की थकान से तुरंत राहत देता है।
  • छाती, गर्दन और मेरुदंड को अच्छा खिंचाव देता है।
  • चिंता, तनाव और अवसाद को कम कर के मन को शांत करता है।
  • फेफड़ों को खोलता है तथा थायरॉइड की समस्याओं को कम करता है।
  • पाचन क्रिया में सुधार लाता है।
  • रजोनिवृत्ति के लक्षणों तथा माहवारी के दर्द से राहत प्रदान करता है।
  • दमा, उच्च रक्त-चाप, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का खोखलापन), तथा साइनुसायटिस जैसे रोगों में लाभकारी है।

निषेध

  • यदि आप गर्दन अथवा पीठ की चोट से ग्रस्त हैं, तो यह आसन करने से बचना चाहिए।
सभी योगासन
पिछला योग आसन: नौकासन
अगला योगासन: मत्सयासन

    Wait!

    Don't leave without a smile

    Talk to our experts and learn more about Sudarshan Kriya

    Reverse lifestyle diseases | Reduce stress & anxiety | Raise the ‘prana’ (subtle life force) level to be happy | Boost immunity


    *
    *
    *
    *
    *