गरुड़ को पक्षियों का राजा कहा जाता है। वह भगवान विष्णु को ले जाते हैं और कहा जाता है कि वे राक्षसों के खिलाफ लड़ाई में मानवता की मदद करने के लिए उत्सुक हैं।
गरुड़ासन कैसे करें?
- शव आसन में पीठ के बल सीधे लेट जाएँ।
- पैरों को एक साथ रखकर तथा हाथों को बगल में रखकर खड़े हो जाएँ (ताड़-आसन देखें)।
- घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर को ऊपर की ओर खींचें और बाएं पैर को अपने दाहिने पैर के चारों ओर लपेटें तथा अपनी बाईं जाँघ के पिछले हिस्से को दाहिनी जाँघ पर टिकाएँ।
- अपनी भुजाओं को बायीं और दायीं कोहनियों पर क्रॉस कर के रखें।
- अपनी हथेलियों को आपस में मिलाएँ तथा उंगलियों को ऊपर की ओर रखें।
- साँस अंदर लें और साँस अंदर लेने तक इसी मुद्रा में बने रहें।
- साँस छोड़ें और ताड़ासन में वापस आएँ। इस आसन को विपरीत दिशा में भी दोहराएँ, दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर तथा दाएं हाथ को बाएं हाथ के ऊपर लपेटें।
अवधि/पुनरावृत्ति:
जब तक आप सहज महसूस करें, गरुड़ासन को तब तक बनाए रखें। २०-३० शुरुआती प्रयासों के लिए सेकंड्स का समय ठीक है। जैसे जैसे आप सहज होते जाएँ, समय को बढ़ाएं। आप इस आसन को तब तक करने का प्रयास कर सकते हैं जब तक आप साँस को रोक कर रख सकें। प्रत्येक पैर पर २-३ बार दोहराएँ।
गरुड़ासन के लाभ
- कूल्हों, अंगों, कंधों और ऊपरी पीठ को खींचता है।
- संतुलन में सुधार करता है।
- पिंडलियों को मजबूत बनाता है।
- साइटिका और गठिया को कम करने में मदद करता है।
- पैरों और कूल्हों को ढीला करें, जिससे वे अधिक लचीले बनेंगे।
निषेध
यदि आपको हाल ही में घुटने, टखने या कोहनी में चोट लगी हो, तो इस आसन का अभ्यास करने से बचें।
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