हस्त – हाथ; पाद – पैर; आसन – शरीर की एक निश्चित स्थिति।
हस्तपादासन कैसे करें?
- दोनों पाँव मिलाकर सीधा खड़े हो जाएँ, बाजू शरीर से सटी हुई।
- शरीर का भार दोनों पैरों पर बराबर हो।
- श्वास लेते हुए दोनों हाथों को सिर से ऊपर की ओर फैलाएँ।
- फिर धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए आगे की ओर पैरों की तरफ झुकें।
- इसी स्थिति में 20-30 सेकंड बने रहें तथा गहरी लंबी साँस लेते और छोड़ते रहें।
- हस्तपादासन योग मुद्रा – आगे की ओर झुकर खड़े होने की योग मुद्रा।
- टाँगो और रीड की हड्डी को सीधा रखें, हाथ जमीन पर पैरों के पास या टाँगों पर रहे।
- साँस बाहर निकलते हुए छाती को घुटने की ओर, तथा नितम्ब और गुदा की हड्डी को ऊपर उठाएँ, पैरों की एड़ी को नीचे की ओर दबाए। सिर विश्राम की मुद्रा में रखते हुए धीरे से पैरों की और ले जाएँ, गहरी साँस लेते रहें।
- श्वांस को अंदर लें, बाहों को आगे की ओर तथा ऊपर फैलाएँ और धीरे धीरे उन्हें खड़े होने की स्थिति में ऊपर ही रखें।
- साँस छोड़ते हुए बाजू दोनों तरफ ले आएँ।
हस्तपादासन के लाभ
- शरीर में पीठ की सभी माँसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- रक्त संचार तीव्र करके स्नायुतंत्र को स्फूर्ति देता है।
- रीड़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
- पेट के अंगों को सही स्थिति में लाता है।
निषेध
जिन लोगों के पीठ में या पीठ के निचले हिस्से में दर्द अथवा चोट है, स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन संबंधित दर्द या फिर किसी भी प्रकार की पीठ अथवा रीड़ की हड्डी से संबंधित समस्या है, वह हस्तपादासन न करें।
सभी योगासन पिछला योगासन: कटिचक्रासन अगला योगासन: अर्ध चक्रासनहस्तपादासन के विषय में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
जी, हाँ! हस्तपादासन आगे झुकने वाला आसन है। जैसे कि उत्तानासन, पश्चिमोत्तानासन आदि।
इससे शरीर में पीठ की सभी माँसपेशियां मजबूत होती हैं। रक्त संचार के बढ़ने से स्नायुतंत्र में से स्फूर्ति आती है। रीड़ की हड्डी लचीली हो जाती है। पेट के सभी अंग सही स्थिति में आ जाते हैं।
आगे खड़े होकर झुकने की मुद्रा पीठ की माँसपेशियों और हैमस्ट्रिंग पर दबाव डालती है। इस कारण से रक्त संचार बढ़ता है और स्नायुतंत्र मजबूत बनता है। मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बढ़ता है इससे हैमस्ट्रिंग में खिंचाव होता है और पेट के सभी अंग सही स्थिति में आ जाते हैं।
पर्वत आसन (पर्वतमुद्रा) पेट की चर्बी, पेट और कुल्हों को कसता है। नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी काफी हद तक काम हो जाती है। इस आसन से फेंफड़ो की क्षमता बढ़ती है। इससे कलाई और पैरों की मांशपेशियाँ मजबूत होती हैं।
हाँ, यह लाभप्रद है परंतु पीठ की चोट, स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन में दर्द या रीड़ की हड्डी में कोई दिक्कत होने की अवस्था में इसे नहीं करना चाहिए।
यह आसन पीठ के पिछले हिस्से, रॉन की हड्डियों और कुल्हे में खिंचाव लाता है। यह पेट तथा पैल्विक अंगों की मालिश करता है और उन्हें सामान्य स्थिति में लाता है। यह कंधों को भी सही आकार में लाता है।
जिन लोगों की पीठ में कोई चोट है, स्पॉन्डिलाइटिस या सर्वाइकल की पीड़ा है या फिर रीड़ की हड्डी से संबंधित कोई समस्या है, उन्हें यह आसान नहीं करना चाहिए।
यदि आपकी पीठ में चोट है, स्पॉन्डिलाइटिस, सर्वाइकल का दर्द की हड्डी की समस्या है तो आपको इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसको करने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
पादहस्तासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से एक है। इससे होने वाले लाभ निम्न प्रकार से हैं – यह थायराइड, एंडोक्राइन, पिट्युटरी, पाइन रेल और एडरनल ग्रंथियों को उद्दीप्त करता है। कुल्हे और पीठ के निचले हिस्सें में खिंचाव को कम करके माँसपेशियों को लचीला बनाता है। वात दोष को साम्यावस्था में लाता है। तमस या आलस्य को दूर करता है। क्रियाशीलता का उदय होता है। शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त संचार बेहतर होता है। मैटाबॉलिज्म को सुगम बनाता है। स्पलीन और लीवर की कार्यशीलता बढ़ती है। रीड़ की हड्डी के खिंच जाने से शारीरिक मुद्रा भी अच्छी हो जाती है।
विडियों को देखकर उसके अनुसार हस्तपादासन करें। जिन लोगों को पीठ में चोट, स्पॉन्डिलाइटिस, सर्वाइकल का दर्द या रीड़ की हड्डी से संबंधित समस्या है, वह इस आसन का अभ्यास न करें।