जानुशीर्षासन करने की विधि:
- अपनी दोनों टाँगें सामने की ओर फैला कर, रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए आराम से बैठ जाएँ।
- अब बायें घुटने को मोड़ें, घुटने को फर्श पर टिकाएँ और बायें पाँव को दायीं जंघा के सामने रख लें।
- एक गहरी लंबी श्वास लेते हुए दोनों भुजाओं को सिर से ऊपर ले जाते हुए ऊपर की ओर खींचें। कमर को थोड़ा दायीं ओर घुमा लें।
- अब श्वास छोड़ते हुए, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, अपनी ठुड्डी को पाँव की उँगलियों की ओर ले जाते हुए कूल्हों के जोड़ से सामने की ओर झुक जाएँ।
- अपनी क्षमता अनुसार दोनों हाथों से दाएँ पाँव के अंगूठे को पकड़े रहें। कुहनियाँ नीचे फर्श की ओर हों और पाँव की उँगलियों को अपनी ओर खींचते हुए माथे को आगे पाँव की ओर ले जाने और उसे छूने का प्रयास करें।
- आसन में बने रहें और श्वास लेते व छोड़ते रहें।
- श्वास लेते हुए ऊपर आएँ और श्वास छोड़ते हुए दोनों भुजाओं को बगल से नीचे लाएँ।
- अब इस आसन को दूसरी तरफ से करें।
- आसन में बने रहें और श्वास लेते व छोड़ते रहें।
- श्वास लेते हुए ऊपर आएँ और श्वास छोड़ते हुए दोनों भुजाओं को बगल से नीचे लाएँ।
- अब इस आसन को दूसरी तरफ से करें।
जानुशीर्षासन के लाभ
- पीठ के निचले भाग को खिंचाव देता है।
- पेट के सभी अंगों की मालिश करता है और कंधों को लचीला बनाता है।