पश्चिम – पश्चिम दिशा; उत्तान – फैला हुआ; आसन – मुद्रा

पश्चिमोत्तानासन करने की विधि

  • पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ, रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और पैरों की उँगलियाँ स्वयं की ओर तनी हुई हों।
  • साँस भरते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएँ और ऊपर की ओर खींचे।
  • साँस छोड़ते हुए कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें, ठुड्डी पंजों की ओर, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, घुटनों पर झुकने की बजाय अपना ध्यान पंजों की ओर आगे बढ़ने पर केंद्रित करें।
  • अपने हाथों को टाँगों पर रखें और आगे जहाँ भी वे पहुँचते हों, ले जाएँ; अतिरिक्त प्रयास न करें। यदि आप अपने पंजों को पकड़कर खींच सकें, तो यह आपको आगे झुकने में सहायता करेगा।
  • पश्चिमोत्तानासन योग मुद्रा – बैठ कर आगे झुकने वाला योग आसन।
  • साँस भरते हुए धीरे से सिर को थोड़ा ऊपर उठाएँ, ताकि रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा हो जाए।
  • साँस छोड़ते हुए हल्के से नाभि को घुटनों की ओर ले जाएँ।
  • इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएँ।
  • सिर को नीचे झुका लें और 20-60 सेकंड तक गहरी साँस ले।
  • हाथों को सामने की ओर फैलाएँ।
  • साँस भरते हुए अपने हाथों की ताकत से वापस आते हुए आराम से बैठ जाएँ।
  • साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएँ।

पश्चिमोत्तानासन वीडियो

पश्चिमोत्तानासन के लाभ

  • कमर के निचले भाग, हैमस्ट्रिंग तथा कूल्हों को खिंचाव देता है।
  • पेट तथा वस्ति-प्रदेश (श्रोणी) के अंगों की मालिश करता है और उनमें लचीलापन लाता है।
  • कंधों को लचीला बनाता है।
सभी मूलभूत योगासन
पिछला योग आसन: जानुशीर्षासन
अगला योग आसन: पूर्वोत्तानासन

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