जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह योग आसन पेट की गैस को बाहर निकालने के लिए उत्कृष्ट है।
पवनमुक्तासन और गैस व कब्ज की समस्या
भारत में एक बहुत पुरानी कहावत है कि यदि दिमाग और पेट स्वस्थ हैं, तो व्यक्ति धनवान है; अर्थात् जब मन शांत हो और पेट में कोई परेशानी न हो, तो वह व्यक्ति स्वस्थ और शांत रहता है। वास्तव में दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए शांत मन के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हमारा पाचन तंत्र मजबूत रहे और पवनमुक्तासन पेट की दो गंभीर समस्याओं, गैस और कब्ज के लिए एक अचूक इलाज है।
पवनमुक्तासन कैसे करें?
- अपने पैरों को एक साथ रखकर तथा हाथों को शरीर के बगल में रखकर पीठ के बल लेट जाएँ।
- साँस अंदर लें और साँस छोड़ते हुए अपने दाहिने घुटने को अपनी छाती की ओर लाएँ और दोनों हाथों को आपस में जोड़कर जांघ को अपने पेट पर दबाएँ।
- दोबारा साँस लें और साँस छोड़ते हुए अपने सिर और छाती को जमीन से ऊपर उठाएँ और अपनी ठोड़ी को अपने दाहिने घुटने से छूने का प्रयास करें।
- साँस को रोके रखें और गहरी, लंबी साँस अंदर और बाहर लें।
- चेकपॉइंट: जैसे ही आप साँस छोड़ते हैं, घुटने पर हाथों की पकड़ को मजबूत करें और छाती पर दबाव बढ़ाएँ। जैसे ही आप साँस लेते हैं, पकड़ को ढीला करें।
- साँस छोड़ते हुए जमीन पर वापस आएँ और विश्राम करें।
- इस मुद्रा को बाएं पैर से दोहराएँ और फिर दोनों पैरों को एक साथ जोड़कर दोहराएँ।
- आप 3-4 बार ऊपर-नीचे या एक तरफ से दूसरी तरफ रोल कर सकते हैं और फिर विश्राम करें।
पवनमुक्तासन, पद्मसाधना का एक भाग है, जो योगासनों का एक विशेष क्रम है, जिसे एडवांस्ड ध्यान कार्यक्रमों और डी.एस.एन. कार्यक्रमों में सिखाया जाता है।
पवनमुक्तासन के लाभ
- पीठ और पेट की माँसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पैर और हाथ की माँसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पेट में आंतों और अन्य अंगों की मालिश करता है।
- पाचन और गैस मुक्ति में सहायक है।
- कूल्हे के जोड़ों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और पीठ के निचले हिस्से में तनाव को कम करता है।
निषेध
- यदि आप निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो पवनमुक्तासन का अभ्यास करने से बचें: उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याएँ, हाइपरएसिडिटी, हर्निया, स्लिप डिस्क, अंडकोष विकार, मासिक धर्म, गर्दन और पीठ की समस्याएँ।
- और गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के बाद भी इस आसन को न करें।