आयु का बढ़ना, एक न रोके जा सकने वाली स्वाभाविक घटना है। युवा कैसे रहा जाए – इस बात को जानने के इच्छुक लोगों को योगाभ्यास, ध्यान तथा आयुर्वेद को अपनाना चाहिए। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए यह प्राकृतिक उपाय हैं।
युवा दिखने तथा बढ़ती उम्र के प्रभाव को धीमा करने के लिए यहाँ प्राचीन विज्ञानों से लिए गए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
1. योग और प्राणायाम
शरीर और मन के लिए योग और प्राणायाम अत्यंत लाभकारी हैं। आयु के प्रभाव को रोकने के लिए कुछ योगिक मुद्राएँ और आसान बताए जा रहे हैं, जिन्हें आप नियमित रूप से प्रतिदिन कर सकते हैं।
सिंहासन
- सिंहासन चेहरे और छाती के तनाव को कम करता है।
- निष्क्रिय थायराइड ग्रंथि को सक्रिय बनाने के लिए अति उत्तम है।
- प्लैटिज्मा (गले के अग्र भाग में एक पतली चपटी माँसपेशीय) को संतुलित करता है तथा बढ़ती उम्र में इसकी दृढ़ता बनाए रखता है।
- झुर्रियों को हटाता है तथा बुढ़ापे को रोकता है।
गर्दन को खींचने का अभ्यास
- गर्दन की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है।
- गर्दन की माँसपेशियों को ढीला होने से रोकता है।
- बढ़ती आयु के कारण होने वाली जकड़न को दूर कर गर्दन और कंधे की क्रियाशीलता को बनाए रखता है।
हस्तपादासन

- हस्तपादासन बुढ़ापे के कारण होने वाली रीड के कड़ेपन को रोकता है।
- तंत्रिका तंत्र को ऊर्जा देता है।
वीरभद्रासन

- वीरभद्रासन हाथ, पीठ के नीचे के हिस्से तथा टांगों को मजबूत करता है।
अधोमुख श्वानासन

- अधोमुख श्वानासन रक्त संचार में सुधार करता है।
- बुढ़ापे के कारण प्रभावित पाचन क्रिया को ठीक करता है।
- शरीर के ढीले हो रहे अंगों को पुष्ट करता है।
- तनाव को कम करता है।
धनुरासन

- धनुरासन बढ़ती आयु के कारण ढीली हो गई बाजूओं तथा टांगों की माँसपेशियों को सक्रिय बनाता है।
- संवेदनशील तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
- रीड़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है।
कपालभाति प्राणायाम

- कपालभाति प्राणायाम आँखों से तनाव और काले घेरे को दूर करता है।
- मस्तिष्क को ऊर्जावान तथा स्नायु को स्फूर्ति प्रदान करता है।
- मन को शांत करता है, उसे ऊर्जावान बनाता है तथा स्मृति में सुधार लाता है।
- शरीर में प्राणों (जीवन ऊर्जा) के प्रभाव को बढ़ाता है।
- चेहरे पर चमक या कांति लाता है।
2. ध्यान के माध्यम से युवा रहें
अध्ययनों से पता चलता है कि तनाव बुढ़ापे की गति को बढ़ा देता है। नियमित ध्यान तनाव को कम करने का एक प्रभावकारी उपाय है। एक अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से ध्यान करना हमारे क्रोमोज़ोम (गुणसूत्र) को क्षय होने से बचाता है तथा बढ़ती आयु की घड़ी को भी थामता है।
3. बुढ़ापे की गति को कम करने के लिए सही भोजन खाएँ
युवा रहने की पहेली का एक छोटा हिस्सा है उचित आहार। प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार अन्न हमारे मन को सीधा प्रभावित करता है। (जैसा अन्न वैसा मन) असामान्य रूप से अधिक पनीर वाला पिज़्ज़ा खाने की अपेक्षा ताजा फलों का एक कटोरा खाने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसी प्रकार शरीर को संपूर्ण आयुर्वेदिक आहार जो पोषण देता है वह तला हुआ खाद्य पदार्थ नहीं देता। भोजन के विषय में बुद्धिमत्तापूर्ण विकल्प रखने से आप निश्चित रूप से लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे।
आयुर्वेदिक ढंग से पकाया गया भोजन पोषक तत्त्वों से युक्त संतुलित आहार होता है जो शरीर की सही क्रियाशीलता में सहायता करता है। आयुर्वेदिक भोजन जीवन ऊर्जा के लिए उत्तम होता है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त यह स्वास्थ्यकर तथा शरीर के लिए पचने में आसान होता है।
आहार के विषय में स्वास्थ्यप्रद सुझाव
- रेशयुक्त पालक और मेथी जैसी हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाएँ। यह अच्छे पाचन कार्य में सहायक होती है।
- पानी युक्त सब्जियाँ जैसे ब्रोकली, गाजर और खीरा खाएँ। यह त्वचा की नमी को बनाए रखती हैं।
- नीम और तुलसी के पत्तों के रस के मिश्रण को पीने से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, रक्त की शुद्धि होती है तथा त्वचा साफ और चमकदार रहती है।
4. युवा बने रहने के लिए जीवनशैली से संबंधित सुझाव
अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लाना महत्त्वपूर्ण है जैसे कि भोजन की अच्छी आदतें, पर्याप्त नींद, व्यायाम तथा विश्राम।
- शरीर में नमी को बनाए रखने के लिए पर्याप्त जल का सेवन करें। यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकलता है तथा त्वचा को निखारता है।
- अपने कार्य करने के घंटों में अपनी टांगों और बाहों को फैलाने के लिए नियमित रूप से 2 मिनट का आराम रक्त का प्रवाह सुचारु करता है तथा शरीर को सख्त नहीं होने देता।
- अपने कंप्यूटर और मोबाइल पर घंटों काम करते समय अपने आँखों को थोड़ा विश्राम दें।
- 6 से 8 घंटे की नींद आपको दिन में सक्रिय रखेगी।
- दिल से जवान रहना भी जरूरी है। सहज रहे, लक्ष्य निर्धारित करें और खुश रहे।
बाहरी सुंदरता से भीतरी सुंदरता की ओर मुड़े
सुंदर दिखने का एक अपना आकर्षण है। सौंदर्य केवल त्वचा के भीतर ही नहीं है, एक स्वस्थ शरीर व शांत मन तथा हमेशा रहने वाली मुस्कुराहट, वास्तविक सौंदर्य उपकरण है – जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं तथा व्यक्तित्व को निखारते हैं।
हम हमेशा के लिए तो वृद्ध होने को नहीं रोक सकते परंतु एक बेहतर जीवनशैली तथा सतर्कता रखने से इसकी गति को धीमा कर सकते हैं।
यह लेख आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक डॉ. शिल्पा सबरवाल और मीना वाघराय द्वारा दिए गए सुझावों पर आधारित है।
एक प्रशिक्षित शिक्षक से ही योग सीखने का परामर्श दिया जाता है। आप श्री श्री योग कार्यक्रम के प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों से बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए योग मुद्राएँ सीख सकते हैं।