आपके कार्यालय के साथीगण एक फुटबॉल मैच आयोजित कर रहे हैं और आप इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं। दिखने में यह रोमांचक संभावनाओं से परिपूर्ण लगता है किंतु आप भाग लेने से मना कर देते हैं और इसकी अपेक्षा दर्शक दीर्घा में बैठ कर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं।
संभवतः आपके जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ अनेक बार आई होंगी और आपने उन्हें ऐसे ही जाने दिया होगा। आपने कभी सोचा कि आपको क्या रोक रहा था? यह अस्थमा का एक और दौरा पड़ने का डर तो नहीं है जो आपको अपने रुचिकर खेल में भाग लेने से या जीवन का भरपूर आनंद लेने से रोकता है?
अभी तक संभवतः आपने अस्थमा का उपचार करने के उद्देश्य से बहुत से उपाय किए होंगे। किंतु क्या आपने कभी इसके लिए उपलब्ध समाधानों में से, एक सरलतम और प्रभावी उपाय, ‘योगाभ्यास’ के विषय कभी सोचा है? जी हाँ, यह प्राचीन विज्ञान अस्थमा के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक है, और यहाँ तक कि कुछ मामलों में तो रोग को पूर्णतः ठीक करने में भी सक्षम है।
अस्थमा के लिए योगासन
अस्थमा रोग से लड़ने और उससे राहत पाने के लिए किए जाने वाले योगासन और प्राणायाम:
1. नाड़ी शोधन प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayam in Hindi)

नाड़ी शोधन प्राणायाम मन को शांत करता है और अपने शरीर में एकत्रित तनाव को दूर करता है। इस प्राणायाम का अनेकों श्वास और रक्त संचार संबंधी समस्याओं पर उपचारीय प्रभाव पड़ता है।
2. कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama in Hindi)

कपालभाती एक ऐसी श्वसन तकनीक है जो मन को शांत करती है और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जावान बनाती है। यह तकनीक शरीर की नाड़ियों को साफ करती है तथा रक्त संचार को सुचारू बनाती है।
3. अर्द्धमत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana in Hindi)

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन हमारी छाती को खोल कर उसे विस्तार देता है। इससे फेफड़ों में ऑक्सीजन के प्रवाह में वृद्धि होती है जिससे दिनचर्या में अस्थमा के कारण होने वाली अड़चनों की आशंकाओं में कमी आती है।
4. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana in Hindi)

पवनमुक्तासन अस्थमा रोगियों के लिए एक उत्कृष्ट आसन है क्योंकि यह शरीर के उदरीय क्षेत्र के अंगों की अच्छी मालिश प्रदान करता है और पाचन क्रिया तथा पेट से गैस की निवृत्ति में सहायक है।
5. सेतु बंधासन (Bridge Pose in Hindi)

सेतु बंधासन हमारी छाती और फेफड़ों को खोलता है तथा थायरॉइड की समस्या को कम करता है। यह पाचन क्रिया को उत्कृष्ट बनाता है और अस्थमा रोगियों के लिए लाभकारी आसन है।
6. भुजंगासन (Cobra Pose in Hindi)

भुजंगासन छाती को विस्तार देता है और रक्त संचार को सुचारू बनाता है। अस्थमा रोगियों के लिए यह आसन विशेष रूप से लाभप्रद है, इसलिए इसे करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
7. अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana in Hindi)

अधोमुख स्वानासन मन को शांत और तनाव से मुक्त करता है। यह आसन भी अस्थमा पीड़ितों और साइनस संक्रमण से ग्रस्त लोगों के लिए उपयुक्त आसन है।
8. बद्धकोणासन (तितली आसन – Butterfly Pose in Hindi)

बद्धकोणासन रक्त धमनियों को उत्तेजित करता है जिससे रक्त संचार सुचारू होता है, थकान से राहत मिलती है और अस्थमा के लिए औषधीय प्रभाव पड़ता है।
9. पूर्वोत्तानासन (Poorvottanasana in Hindi)

पूर्वोत्तानसन हमारे श्वसन तंत्र को उत्कृष्ट करता है, थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है तथा कलाइयों, भुजाओं, पीठ और मेरुदंड को सशक्त बनाता है।
10. शवासन (Corpse Pose in Hindi)

अपने योगाभ्यास सत्र की समाप्ति कुछ मिनट के लिए शवासन में लेट कर करें। यह आसन करने से शरीर ध्यानस्थ अवस्था में आ जाता है तथा अधिक ऊर्जावान हो जाता है। यह तनाव और चिंताओं से मुक्ति में भी सहायता करता है। अस्थमा से निपटने के लिए शांत और तनावरहित शरीर तथा मन अति आवश्यक हैं।
अस्थमा के लिए उपरोक्त आसनों और श्वसन तकनीकों का प्रतिदिन 15 से 20 मिनट नियमित अभ्यास करने से अस्थमा के दौरे पड़ने की आशंका बड़े पैमाने पर कम हो जाएगी और कुछ मामलों में तो रोग से मुक्ति भी मिल सकती है। साथ ही, चंद मिनट ध्यान में लगाने से आपका अनुभव और भी उत्तम होगा और आपका मन शांत होगा। आप हमारे हैप्पीनेस प्रोग्राम में भाग लेकर योग और ध्यान का लाभ उठा सकते हैं।
अस्थमा पर नियंत्रण करने से आप जीवन का अपनी इच्छानुसार आनंद ले सकते हैं। योग के रूप में उपलब्ध सशक्त सुरक्षा कवच का उपयोग करके आप जीवन को परिपूर्णता में और स्वच्छंद रूप में जी सकते है और उसका आनंद उठा सकते हैं। योग आपकी कुशलताओं को विकसित और विस्तृत करने का काम करता है और जीवन को परिपूर्ण रूप में जीने के योग्य बनाता है।