आजकल के भाग दौड़ भरे जीवन में तनाव उत्पन्न होना और उसका दुष्प्रभाव हमारे मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ना स्वाभाविक है।
गर्दन हमारे शरीर का एक कोमल अंग है। हमारे जीवनशैली में परिवर्तन और तकनीक पर टिके व्यावसायिक जीवन में हमें लंबी अवधि तक टेलीविजन, लैपटॉप या डेस्कटॉप के सामने झुक कर बैठना पड़ता है। इन सब के कारण हमारी गर्दन की माँसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे सर्विकेल्जिया (गर्दन दर्द) हो जाता है। जब गर्दन दर्द के कारण सरल हैं, तो इलाज क्यों नहीं?
यही तो बात है! “गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम आपको छ: सरल योगासन बता रहे हैं जो करने में तो सरल हैं, यह आपकी व्यस्त दिनचर्या में से समय नष्ट किए बिना सुगमता से अपनाए भी जा सकते हैं। योगाभ्यास की सबसे अच्छी बात यह है कि यह विज्ञान पाँच हजार वर्ष पुराना तो है किंतु आज भी उतना ही तार्किक और उपयोगी है।
गर्दन दर्द से राहत के लिए योगासन
सुनिश्चित करें कि आप इन्हें केवल अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही करें और इनको किसी प्रशिक्षित श्री श्री योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही सीखें। साथ ही, इनको क्षमता अनुसार उतना ही करें जितना आपका शरीर आसानी से कर सके।
1. शिशुआसन (Shishuasana in Hindi)
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शिशुआसन करने की विधि:
- अपनी एड़ियों पर बैठ जाएँ। अपने कूल्हों को एड़ियों पर टिकाते हुए, आगे की ओर झुकें और अपने माथे को नीचे फर्श की ओर ले जाएँ।
- अपनी भुजाओं को शरीर के बगल में रखते हुए दोनों हाथों को फर्श पर रखें। हथेलियाँ ऊपर की ओर खुली हों।
- अपनी छाती को जंघाओं पर दबाव बनाते हुए रखें और इस मुद्रा में चंद मिनट विश्राम करें। साँस लेते-छोड़ते रहें।
- धीरे धीरे मेरुदंड के एक एक जोड़ को धीरे धीरे सीधा करते हुए उठ कर बैठ जाएँ और विश्राम करें।
लाभ:
- पीठ को गहरा विश्राम।
- कब्ज से राहत।
- तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
निषेध:
- आपके घुटने अथवा पीठ चोटग्रस्त हों।
- गर्भवती महिलाएँ।
- यदि आप अतिसार से पीड़ित है अथवा अभी हाल ही में इससे ग्रस्त रहे हों।
2. नटराजासन (Natarajasana in Hindi)
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नटराजासन करने की विधि
- पीठ के बल लेट जाएँ और दोनों भुजाओं को फर्श के समानांतर दोनों ओर फैला दें।
- घुटनों को मोड़ते हुए दोनों पैरों को कूल्हों के समीप ले कर आएँ। ध्यान रहे कि दोनों पाँव के तलवे पूरी तरह जमीन पर टिके हों।
- घुटनों को बायीं ओर इस प्रकार घुमाएँ कि बायाँ घुटना भूमि को छूने लगे। अब सिर को दायीं ओर घुमाएँ और अपनी दायीं हथेली को देखें।
- ध्यान रहे कि दोनों कंधे भूमि पर टिके हों। प्रत्येक बाहर जाती साँस के साथ विश्राम करें और मुद्रा में गहरे जाते जाएँ तथा शरीर के जिस जिस भाग में तनाव हो रहा हो, उस पर दृष्टि डालते रहें।
- चंद मिनट करने के उपरांत यही आसन विपरीत दिशा से करें।
- यह आसन शिव की नृत्य मुद्रा जैसा है।
लाभ:
- तनाव से मुक्ति दिलाता है और मन को शांत करता है।
- शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है।
निषेध:
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
3. मार्जरी आसन (Marjariasana in Hindi)
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मार्जरी आसन के विषय में विस्तार से जान लें।
- अपने हाथों और पैरों पर आ जाएँ, इस प्रकार कि आपकी पीठ तो किसी मेज का ऊपरी समतल भाग और हाथ व पाँव उसकी टाँगें जैसा आकार ले लें।
- घुटनों के बीच कूल्हों जितना अंतर रहे।
- साँस लेते हुए अपनी ठुड्डी को ऊपर की ओर उठाएँ और सिर को पीछे की ओर, नाभि को फर्श की ओर धकेलें तथा दुमस्थि (टेलबोन) को ऊपर की ओर उठाएँ।
- लंबी, गहरी श्वास लेते और छोड़ते रहें।
- साँस छोड़ते हुए ठुड्डी को नीचे की ओर छाती पर लगाएँ और अपनी पीठ को वृत्ताकार चाप बनाते हुए क्षमतानुसार ऊपर की ओर उठाएँ।
- इस मुद्रा में कुछ सेकंड रहें और फिर वापस मेज की मुद्रा में आ जाएँ।
- लंबी गहरी साँसें लेते हुए इस प्रक्रिया को 5-6 बार दोहराएँ और उसके बाद आसन से बाहर आएँ।
मार्जरी आसन के लाभ
- मेरुदंड को लचीला बनाता है।
- कलाइयों तथा कंधों को सशक्त बनाता है।
- पाचन तंत्र के अंगों की मालिश होती है और पाचन क्रिया में सुधार होता है।
- उदरीय भाग को अच्छे से तान देता है।
- मन को विश्राम देता है।
- रक्त संचार सुचारू होता है।
निषेध
- आप पीठ अथवा गर्दन संबंधी किसी समस्या से पीड़ित हैं।
4. विपरीत करणी आसन
- किसी दीवार के निकट लेट जाएँ। कूल्हे दीवार को स्पर्श करते रहें। अपनी दोनों टांगों को दीवार के सहारे ऊपर उठाऐं।
- दोनों पैर छत के समानान्तर रहें और टाँगे दीवार को स्पर्श करती रहें।
- हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखते हुए अपनी भुजाओं को शरीर के बगल में रखें।
- लंबी, गहरी साँसे लेते रहें। घुटनों को मोड़ते हुए धीरे धीरे नीचे आएँ। तत्पश्चात् अपने बाएँ ओर घूमें और धीरे से उठ कर बैठ जाएँ।
विपरीत करणी आसन के लाभ
- हल्के पीठ दर्द से राहत देता है तथा थकान दूर करता है।
- टांगों में होने वाली ऐंठन से बचाता है।
निषेध
- आपको पीठ अथवा गर्दन संबंधी कोई समस्या है।
5. उट्ठिता त्रिकोणासन
- खड़े हो जाएँ। अपनी टांगों को जितना हो सके फैला लें।
- पीठ को सीधा रखते हुए, दोनों भुजाओं को शरीर के दोनों और फैलाएँ।
- साँस लेते हुए धीरे धीरे अपनी दायीं ओर ऐसे झुक जाएँ कि आपकी दायीं भुजा दायीं एड़ी को स्पर्श करे और बायीं भुजा ऊपर आकाश की ओर उठी हो।
- इस मुद्रा में स्थिर रहते हुए अपनी बायीं हथेली को देखें।
- चंद लंबी, गहरी साँसें लें और अपने शरीर तथा मन को विश्राम देते हुए सजगतापूर्वक उन पर दृष्टि बनाए रखें। कुछ और साँसे लें और फिर अपने धड़ को सीधा करते हुए खड़े हो जाएँ।
- इसी क्रम को शरीर के बायीं ओर से भी दोहराएँ।
उट्ठिता त्रिकोणासन के लाभ
- हल्के पीठ दर्द से राहत देता है, यहाँ तक कि गर्भावस्था में भी।
- तनाव से मुक्त करता है।
- मेरुदंड में खिंचाव ला कर उसे लंबा करता है।
निषेध
- आपको हृदय संबंधी कोई समस्या है।
- आपको सिर दर्द है।
- आप अतिसार से ग्रस्त हैं।
- आपका रक्त चाप कम रहता है।
6. शवासन (Corpse Pose in Hindi)
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शवासन करने की विधि
- अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और आँखें बंद कर लें। दोनों टांगों के बीच आरामदायक दूरी बनाएँ तथा पाँव और घुटनों को पूर्णतया विश्राम दें।
- हथेलियों को छत की ओर खुला रखते हुए, दोनों भुजाओं को शरीर के बगल में रखें।
- अब एक एक कर के, शरीर के प्रत्येक अंग पर अपना ध्यान ले जाएँ। दाएँ पैर पर सजगतापूर्वक अपना ध्यान ले जाते हुए आरंभ करें, फिर दाएँ घुटने पर और ऊपर (जब एक टाँग पूरी हो जाए तो अपना ध्यान दूसरी टाँग पर ले कर जाएँ)। इसी प्रकार प्रत्येक अंग को विश्राम में ले जाते हुए, धीरे धीरे ऊपर सिर तक पहुँचें।
- साधारण, गहरी साँस लेते रहें और प्रत्येक बाहर जाती साँस के साथ शरीर को अधिकाधिक विश्राम देते रहें।
- आँखें बंद ही रखते हुए, लगभग 10-20 मिनट के पश्चात अपनी दायीं ओर करवट ले लें।
- इस स्थिति में लगभग एक मिनट तक लेटे रहें। उसके उपरांत अपने दाएं हाथ का सहारा ले कर धीरे धीरे उठ कर बैठ जाएँ।
- चंद लंबी, गहरी श्वास लें। जब भी पूर्णता लगे, धीरे धीरे अपनी आँखें खोल सकते हैं।
आप इन सरल योग आसनों का अभ्यास करके अपनी गर्दन के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं और एक आरामदायक, तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। किंतु स्मरण रहे, अच्छे परिणाम पाने के लिए इनका अभ्यास नियम से और प्रतिबद्धता के साथ करना होगा।
यद्यपि योगाभ्यास से शरीर तथा मन में व्यापक सुधार होता है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं, फिर भी यह किसी उपचार पद्यति अथवा दवा का विकल्प नहीं है।
यह आवश्यक है कि योगासन किसी प्रशिक्षित श्री श्री योग अध्यापक की देख रेख में ही सीखे जाएँ, क्योंकि प्रत्येक आसन में अंतर्विरोध होते हैं।
पहले से ही कोई रोग अथवा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो तो अपने डॉक्टर तथा श्री श्री योग प्रशिक्षक से परामर्श कर के ही योग अभ्यास करें।