आप गर्भवती हैं? आप एक ही समय में उत्साहित, डरा हुआ, खुश और अभिभूत महसूस कर सकते हैं। यह बता पाना कठिन है कि आप क्या महसूस कर रहे हैं, है न? गर्भ के अंदर बच्चे का लात मारना आनंददायक है, लेकिन ऐंठन दुर्बल करने वाली है। हो सकता है कि एक क्षण आप उत्साह से भरपूर हों और अगले ही क्षण भावुक हो जाएँ। आपके अंदर एक जीवन पनप रहा है, इस अनुभूति की अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती। आपको हार्मोनल परिवर्तनों के कारण मूड में उतार चढ़ाव का भी अनुभव हो सकता है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान योग आपके लिए वरदान साबित हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए योग कैसे सहायक है?

योग से भावी माताओं को समग्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है:

  • गर्भावस्था के दौरान योग शरीर को लचीला बनाए रखने में मदद करता है। यह श्रोणि क्षेत्र को खोलकर गर्भाशय ग्रीवा के आसपास के तनाव को दूर करता है। यह माताओं को प्रसव पीड़ा और डिलीवरी के लिए तैयार करता है।
  • योग और प्राणायाम आपको गहरी साँस लेने और सचेत होकर आराम करने का प्रशिक्षण दे सकते हैं, जिससे आपको प्रसव और बच्चे के जन्म की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
  • गर्भावस्था में योग करने से सुबह के समय होने वाली मतली, पैरों में दर्द, टखनों में सूजन और कब्ज जैसे सामान्य लक्षणों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
  • योगासन गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद तेजी से ठीक होने में भी मदद करते हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए योग

गर्भावस्था के दौरान योग करना आवश्यक है। निम्नलिखित गर्भावस्था योगासन उन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनका सामना गर्भवती माताओं को करना पड़ता है – गुरुत्वाकर्षण का स्थानांतरित केंद्र और पीठ के निचले हिस्से में दर्द।

मार्जरी आसन (Marjariasana in Hindi)

मार्जरी आसन करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

Yoga Cat stretch (Marjariasana) inline
  • गर्दन और कंधों को खींचता है, अकड़न को कम करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखता है। यह उपयोगी है क्योंकि गर्भावस्था का समय बढ़ने के साथ पीठ को अधिक वजन सहन करना पड़ता है।
  • पेट के क्षेत्र को टोन करता है।
  • रक्त परिसंचरण में सुधार करता है, जिससे प्रजनन अंगों को अच्छी तरह से पोषण मिलता है।

कोणासन – I (Konasana – I in Hindi)

Konasana or Sideways-Bending Pose
  • रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखता है।
  • शरीर के पार्श्व भागों का व्यायाम और खिंचाव होता है।
  • गर्भावस्था के एक सामान्य लक्षण, कब्ज को कम करने में मदद करता है।

कोणासन करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

कोणासन – II (Konasana – II in Hindi)

Konasana medium
  • हाथ, पैर और पेट के अंगों को खींचता और टोन करता है।
  • रीढ़ की हड्डी को खींचता है और व्यायाम करता है।

वीरभद्रासन (Virabhadrasana in Hindi)

वीरभद्रासन करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

Veerbhadrasna warrior pose - inline
  • शरीर में संतुलन सुधारता है।
  • हाथ, पैर और पीठ के निचले हिस्से को टोन करता है।
  • सहनशक्ति बढ़ाता है।

त्रिकोणासन (Trikonasana in Hindi)

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त्रिकोणासन करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

  • शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखता है। यह विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी है, क्योंकि उनका गुरुत्वाकर्षण केंद्र बदल जाता है।
  • यह कूल्हों को फैलाता और खोलता है जो प्रसव के दौरान बहुत मददगार हो सकता है।
  • पीठ दर्द और तनाव कम करता है।

विपरीत करणी Viparita Karani in Hindi)

Yoga for Pregnant Women- Viparita Karani (Legs up the Wall Pose)
  • पीठ दर्द से राहत दिलाता है।
  • श्रोणि क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है।
  • टखनों की सूजन और वैरिकाज़ नसों में आराम मिलता है – जो गर्भावस्था का एक सामान्य लक्षण है।

बद्धकोणासन (Badhakonasana in Hindi)

Badhakonasana inline

बद्धकोणासन करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

  • कूल्हे और कमर क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है।
  • जाँघों और घुटनों में खिंचाव लाता है, दर्द से राहत देता है।
  • थकान दूर करता है।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरण तक इसका अभ्यास करने से प्रसव में आसानी होती है।

शवासन (Corpse Pose in Hindi)

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  • शरीर को आराम देता है और कोशिकाओं की मरम्मत करता है। इससे स्व-उपचार में मदद मिलती है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गर्भवती महिलाओं को गोलियाँ लेने से बचना चाहिए।
  • तनाव दूर करता है।

योग निद्रा (Yogic sleep in Hindi)

Yoga Nidra

योग निद्रा करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

  • तनाव और चिंता कम करता है।
  • रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • शरीर की हर कोशिका को गहराई से आराम मिलता है।

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम और योग

प्राणायाम गर्भावस्था के दौरान क्रोध और हताशा जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर करता है। यह तनाव को दूर करने में भी मदद करता है, जिससे मन शांत और स्थिर रहता है।

भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama in Hindi)

Bhramari Pranayama
  • रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • सिर दर्द से राहत दिलाता है।
    भ्रामरी प्राणायाम करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

Nadi Shodhan Pranayama (Nadi Shodhan Pranayama in Hindi)

नाड़ी शोधन प्राणायाम करने व इससे होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से जानें।

  • मन को शांत और आराम देता है।
  • शरीर का तापमान बनाए रखता है।
  • ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है जो बच्चे के विकास में मदद करता है।

इन योगासनों और प्राणायामों का अभ्यास करने के बाद, ध्यान का एक सत्र अवश्य करें। इससे आपको गहराई से आराम पाने में मदद मिलेगी।

योग करते समय गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियाँ

  • गर्भावस्था के अंतिम चरण के दौरान, पेट पर दबाव डालने वाले योग आसनों से बचें।
  • गर्भावस्था की पहली तिमाही में खड़े होकर योगासन करें। इससे पैरों को मजबूती मिलेगी और रक्त संचार बढ़ेगा। इससे पैरों में ऐंठन भी कम हो सकती है।
  • दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान थकान से बचने के लिए आसन करने में लगने वाले समय को कम कर दें। इसके स्थान पर श्वास व्यायाम और ध्यान का प्रयोग करें।
  • गर्भावस्था के 10 वें से 14 वें सप्ताह तक योग का अभ्यास करने से बचें क्योंकि ये महत्वपूर्ण समय होता है।
  • उलटे आसन करने से बचें।
  • अपने शरीर की सुनें और बिना अनावश्यक प्रयास के जितना हो सके उतना करें।

गर्भावस्था के दौरान न करें निम्नलिखित योगासन

  • नौकासन
  • चक्रासन
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन
  • भुजंगासन
  • विपरीत शलभासन
  • हलासन

गर्भावस्था के दौरान कोई भी योगाभ्यास शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना उचित है। प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में योग आसन सीखें और उनका अभ्यास करें।

योग का अभ्यास शरीर और मन को विकसित करने में मदद करता है, फिर भी यह दवा का विकल्प नहीं है। प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में योग सीखना और उसका अभ्यास करना आवश्यक है। किसी भी चिकित्सीय स्थिति में, अपने चिकित्सक और श्री श्री योग शिक्षक से परामर्श के बाद ही योग का अभ्यास करें।

गर्भावस्था के दौरान योग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अपने डॉक्टर से परामर्श कर के आप अपनी पहली तिमाही से ही प्रसवपूर्व योग शुरू कर सकती हैं। यदि उल्टी करने का मन (मॉर्निंग सिकनेस) आपको गर्भावस्था के योग करने की अनुमति देता है तो आपको जितनी जल्दी हो सके शुरू करना चाहिए।
यदि आपके लिए नजदीकी प्रसवपूर्व योग कक्षाओं तक जाना आसान नहीं है, तो ऑनलाइन गर्भावस्था योग कक्षाओं में दिए गए दिशानिर्देशों का पालन कर के अपने घर पर ही आराम से गर्भावस्था योग का अभ्यास करना अच्छा है।
तीसरी तिमाही में थकान से बचने के लिए आसनों को धारण करने का समय कम कर दें। यदि आपको योगाभ्यास करने की आदत है और आपका डॉक्टर कहता है कि आप इसके लिए तैयार हैं, तभी तीसरी तिमाही में प्रसवपूर्व योगाभ्यास करें। अधिकाधिक श्वास व्यायाम और ध्यान करें। आपको अपने शरीर की बात सुननी चाहिए। फिलहाल हॉट या पावर योग न करें।
वास्तव में गर्भावस्था के दौरान योग का अभ्यास करना और गर्भावस्था के दौरान श्वास संबंधी व्यायाम करना समय से पहले प्रसव से बचने के लिए अच्छा है।
गर्भावस्था के दौरान योग करने से गर्भपात की संभावना नहीं रहती। प्रसवपूर्व योगासनों से जुड़ा तनाव और संदेह ही गर्भपात का कारण बन सकता है। बेहतर है अभ्यास न करें। अन्यथा यह आपको इसके बारे में सोचने के लिए मजबूर करेगा और यह अनुचित होगा। पेट पर दबाव डालने वाले किसी भी योगासन, उदर मोड़, हॉट योग और पावर योग से बचें।
अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान योग सुरक्षित है और महिला और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए लाभदायक है। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है, तनाव कम होता है और चिंता कम होती है।
पेट पर दबाव डालने वाले किसी भी योग आसन, जैसे कि उलटा आसन, पेट मोड़ना, हॉट योग और पावर योग से बचना चाहिए। गर्भावस्था के 10वें से 14वें सप्ताह तक योग से बचें। चक्रासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, नौकासन भुजंगासन, विपरीत शलभासन, हलासन – यह न करें।
गर्भावस्था के लिए अनुशंसित योगासन निम्नलिखित हैं:
मार्जरीआसन, कोणासन-I, कोणासन-II खड़े होकर, वीरभद्र आसन, त्रिकोणासन, बद्धकोणासन, विपरीत करणी, शवासन , योग निद्रा। गर्भावस्था श्वास व्यायाम या प्राणायाम: ब्राह्मरी  प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम।

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