यह क्या था? किसी कुत्ते के गुर्राने की आवाज? या कोई कूड़े वाला ट्रक बैक किया जा रहा था? अथवा किसी हवाई जहाज ने उड़ान भरी है? नहीं? ओह! यह तो खर्राटों की आवाज थी!
आप हँसते हैं तो दुनिया आपके साथ हँसती है, खर्राटे लो और आप अकेले सोते हो!
खर्राटों को आमतौर पर हँसी मजाक के साथ नजरअंदाज कर दिया जाता है। किंतु दुर्भाग्यवश खर्राटे लेना एक गंभीर और विकट समस्या है जो खर्राटे लेने वाले और उसको झेलने वाले, दोनों को प्रभावित करती है। खर्राटे लेने वाला व्यक्ति स्ट्रोक और हृदय रोगों से पीड़ित हो सकता है, जबकि उसके साथ रहने या सोने वाले व्यक्ति को रातें बिना सोए बितानी पड़ सकती हैं, जिसके कारण उसके लिए अन्य कई प्रकार की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
खर्राटों के पीछे का विज्ञान
सामान्यत: सोते समय हमारे गले के पीछे की मांसपेशियाँ विश्राम में होती हैं। यह क्षेत्र कई बार सिकुड़ जाता है या अस्थायी तौर पर बंद भी हो जाता है। ऐसे में जब हम साँस लेते हैं तो हवा उस संकरे द्वार से अधिक तेजी से गुजरती है जिससे उसके आसपास के टिश्यू में तरंगें उत्पन्न होती हैं। इसके परिणाम स्वरूप खर्राटों की ध्वनि उत्पन्न होती है। अब हवा का मार्ग जितना संकरा होगा, खर्राटे उतने ही अधिक ध्वनि उत्पन्न करेंगे। खर्राटे लेने वाले व्यक्तियों में यह मार्ग संकरा होने के अलग अलग कारण हो सकते हैं। यह संकरापन नाक, मुँह अथवा गले में भी हो सकता है।
खर्राटों का कारण क्या है?
श्वास नलियों में हवा की रुकावट के कारण खर्राटे आते हैं। इसके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, रक्त संचार में विकार, मोटापा, साइनस अथवा नाक की समस्याएँ आदि। इसके आनुवंशिकी कारण भी हो सकते हैं। धूम्रपान, शराब का सेवन, खराब खानपान की आदतें, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव और एलर्जी आदि के कारण भी यह समस्या हो सकती है। जीभ में सूजन या टॉन्सिल और बढ़ती उम्र भी खर्राटों को जन्म दे सकते हैं।
खर्राटों का आपके जीवन पर प्रभाव
खर्राटों के कारण अच्छी नींद न आना, स्लीप एपनिया अर्थात सोते सोते साँस का अस्थायी रूप से बंद हो जाने जैसे विकार पैदा हो सकते हैं। अनियमित या अवरोधित साँस प्रक्रिया के कारण हांफने या दम घुटने जैसी समस्या आ सकती है। गले में खराश आ सकती है। इसके कारण उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक जैसे कुछ दीर्घकालिक रोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है। इससे होने वाले दुष्प्रभावों में क्रोध, चिड़चिड़ापन, एकाग्र रहने में असमर्थता और कामशक्ति में कमी आदि शामिल हैं। आप दिन में भद्दे और लापरवाह भी रह सकते हैं।
यद्यपि, कुछ व्यवसायों में कार्यरत लोगों के लिए यह जीवन मरण का विषय भी हो सकता है। उदाहरण के लिए वाहन चालकों या मशीनों के संचालकों के लिए एक निश्चित मात्रा में अच्छी नींद लेना अति आवश्यक है। इसलिए हम कह सकते हैं कि खर्राटे एक ऐसा कष्ट है जिससे छुटकारा पाना ही हितकर होगा।
आइए, योग द्वारा स्वाभाविक रूप से खर्राटों को रोकना सीखें
आजकल खर्राटे रोकने के लिए सर्जरी सहित बहुत से उपचार उपकरण और समाधान विकल्प उपलब्ध हैं। परंतु आप अपनी खर्राटों की समस्या से निदान के लिए योगाभ्यास को चुन सकते हैं क्योंकि:
यह सुरक्षित और बिना किसी दुष्प्रभाव के प्रभावी उपाय है
यह श्वास नली को खोल कर खर्राटों को कम अथवा नियंत्रित कर सकता है
इसे प्रत्येक उस उपचार के साथ साथ किया जा सकता है जो आप पहले से ले रहे हैं।
प्राकृतिक रूप से खर्राटे रोकने ले लिए योगाभ्यास
खर्राटे रोकने के लिए आप निम्नलिखित योगासन और प्राणायाम कर सकते हैं:
भुजंगासन

यह छाती को खोलता है और फेफड़ों को साफ करता है।
- ऑक्सीजन के प्रवाह और रक्त संचार में सुधार लाता है।
भुजंगासन के लाभ और करने की विधि जानें।
धनुरासन

- श्वासों को नियंत्रित करता है।
- छाती की माँसपेशियों को खोल कर अंदर जाती और बाहर आती साँसों में गहराई लाता है।
धनुरासन के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
भ्रामरी प्राणायाम

- एकाग्रता बढ़ाता है।
- क्रोध और तनाव से राहत देता है।
- रक्त चाप कम करता है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ और करने की विधि जानें
उज्जयी प्राणायाम
- गले और चेहरे की माँसपेशियों को सशक्त बनाता है।
- नींद के पैटर्न को नियंत्रित करता है।
- मन को शांत करता है।
उज्जयी प्राणायाम के विषय में और अधिक जानें।
नाड़ी शोधन प्राणायाम

- रक्त शिराओं को साफ करने में सहायक है।
- गले के संक्रमण को ठीक करने में सहायक है।
- खर्राटों और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक।
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि सीखें
कपालभाती प्राणायाम

- कपाल (क्रेनियल) साइनस को साफ करने में सहायक।
- निद्रा की गुणवत्ता में सुधार।
कपालभाती प्राणायाम के विषय में विस्तार से जानें
सिंह गर्जनासन
- जीभ का व्यायाम होता है।
- गर्दन की माँसपेशियों को विश्राम मिलता है।
- गले की खराश को रोकने में सहायक है।
- प्लेटिज्मा, अर्थात गले के सामने की माँसपेशियों को उत्तेजित करता है।
ॐ का उच्चारण
- गहरी नींद लाता है।
- एकाग्रता बढ़ाता है।
- ॐ के उच्चारण से उत्पन्न होने वाली तरंगों से शरीर की प्रत्येक कोशिका को विश्राम मिलता है।.
खर्राटों से हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के अनेक आयाम प्रभावित होते हैं। स्वयं और/या अपने जीवनसाथी के भले के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाएँ और खर्राटों को रोकने के उपाय करें। योगाभ्यास और ध्यान के साथ साथ स्वस्थ और नियमित नींद तथा आहार शैली विकसित करें। संभव हो तो आयुर्वेदिक आहार अपनाएं।
ऊपर दिए गए सभी उपायों के संजोयन से न केवल खर्राटे बंद हो जाएँगे अपितु आपके समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
इससे पहले कि आपका जीवनसाथी आपको बाहर का रास्ता दिखाए, अपने खर्राटों को बंद कर लो।