ध्यान और विचारों का प्रभाव | Meditation & Thoughts

ध्यान से शरीर स्वस्थ और मन शांत हो जाता हैं और विचारों में सकारात्मकता आ जाती है।

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ध्यान और विचार। Meditation & Thoughts

ध्यान में आप पाएँगे कि मन स्वयं की अन्तर्तम गहराई में पहुँच जाता है, पर उसी समय कुछ ऐसा भी है जो आपके भीतर से बाहर की ओर आ जाता है। चिर काल से मन में पड़ी हुई कोई गहरी छाप और अनेकों विचार बाहर आ जाते हैं और मन की गहराई खो जाती है। समय के साथ आप इस प्रक्रिया को अगर बार बार दोहराते हैं तो आप पाएँगे कि आप का पूरा स्वभाव ही बदल गया है।

आप उस समय ध्यान की स्थिति में पहुँचते हैं जब आप के मन में उठ रहे विचार समाप्त हो जाते हैं। विचार कई तरीकों से मन में उत्पन्न होते हैं और आपको भ्रमण के लिए ले जाते हैं। क्या आप पहचान सकते हैं कि इनमें से कौन से विचार आपको घेर कर रखते हैं : इच्छाएँ, महत्त्वाकांक्षा, उम्मीदें, संदेह, अप्रिय यादें, तृष्णा, चिंता या परेशानी?

 

 

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विचार: चिंता और परेशानी। Thoughts: Worries and Botherations

आप जिस वस्तु की कामना करते हैं उसके होने पर भी और उसके न होने पर भी आप व्यथित रहते हैं! उदाहरण के लिए, यदि आपके पास पैसा है, तो वह भी परेशानी का कारण बन जाता है। आपको डर और चिंता लगी रहती है कि इस पैसे का निवेश करें या न करें।

यदि आप उसका निवेश करते हैं तो आपको चिंता होती है कि वह बढ़ रहा है या कम हो रहा है l अन्यथा आपको शेयर बाजार के उतार चढ़ाव के बारे में चिंता हो जाती है।

यदि आप के पास पैसे नहीं है, तब तो आप चिंतित होते ही हैं।

वह सम्पूर्ण स्वतंत्रता जिसमें चीज़ों के होने या न होने से आप विचलित नहीं होते हैं, 'मुक्ति' कहलाती है।

एक ऐसे बीते हुए समय के बारे में सोचें, जब आप चिंताग्रस्त थे। पांच वर्ष पूर्व एक दिन आप किन चिंताओं में घिरे थे, उसकी कल्पना करें। जैसे कि

  1. ‘क्या मुझे नौकरी मिल जाएगी?'
  2. 'क्या मैं ठीक हो जाऊँगा/जाऊंगी?’
  3. 'क्या मुझे कक्षा में कार्य को नहीं करने के लिए अपमानित होना पड़ेगा?’

यह उस समय के लिए एक बड़ी बात रही होगी, लेकिन आज आप अपनी उस पुरानी चिंता को याद भी नहीं करते हैं। हर बार जब आप चिंता करते हो तो वह आपको ताज़ी और नई लगती है। जब आप उन चिंताओं को याद करते हैं जो आज पुरानी हो चुकी हैं और अब चिंता का कारण नहीं रही हैं, तो फिर यह भी मान कर चलिए की आपकी आज की चिंता भी वास्तव में पुरानी और बासी है। चिंता द्वारा घिरे रहने का कारण एक ही है- आपका भ्रम कि आप सदैव जीवित रहेंगे।

 

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विचार इच्छाएँ। Thoughts: Desires

इच्छा का अर्थ है कि आपको वर्तमान का समय ठीक नहीं लग रहा है। इच्छाएँ मन में तनावों को जन्म देती हैं। प्रत्येक इच्छा तृष्णा उत्पन्न होने का कारण बन जाती है। इस स्थिति में ध्यान का लगना संभव नहीं है। आप अपनी आँखों को बंद करके बैठ जाते हैं, परन्तु इच्छा और विचार उत्पन्न होते रहते हैं। आप स्वयं को मूर्ख बनाते रहते हैं कि आप ध्यान कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में आप दिन में सपने देख रहे होते हैं!

जब तक आपके मन में इच्छाएँ चलती रहेंगी, आपको पूर्ण विश्राम नहीं मिलेगा।

"आपको योग ( स्वयं के साथ मिलन ) की प्राप्ति तब तक नहीं होगी जब तक आप अपनी इच्छाओं या लालसाओं का त्याग नहीं करेंगेl" - भगवत गीता

प्रत्येक इच्छा या महत्त्वाकांक्षा आँखों में एक रेत के कण के समान है। कण आँख के भीतर होने से न तो आप आँखों को खोल के रख सकते हैं और न ही उसे बंद कर सकते हैं l वह दोनों स्थितियों में असुविधाजनक है।

वैराग्य इस धूल के कण को आँखों से निकालने के समान है जिससे आप आँखों को स्वतंत्र रूप से खोल या बंद कर सकें। इस परेशानी से मुक्त होने का एक दूसरा उपाय यह है कि अपनी इच्छा का विस्तार कर उसे बड़ा बना दें। सिर्फ एक छोटा सा रेत का कण आपकी आँखों में परेशानी दे सकता है परन्तु एक बड़ा पत्थर या चट्टान आपकी आँखों के भीतर कभी जा ही नहीं सकता।

आपका आपकी इच्छाओं पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। यहाँ तक कि आप स्वयं को यह कहें कि, "इच्छाएँ दुःख का कारण हैं। मेरी कोई इच्छा नहीं होनी चाहिए l मैं कब इच्छाओं से मुक्त हूँगा?“ तो यह भी एक इच्छा है। इसलिए जब इच्छाएँ आती हैं तो उन्हें पहचानें और जाने दें। इस प्रक्रिया को 'सन्यास' कहते हैं।

जब कोई इच्छा आप में उठती है और आप उसे समर्पित कर के केंद्रित हो जाते हैं, तो फिर आप अडिग हो जाएँगे और कुछ भी आपको केंद्र से दूर नहीं कर सकेगा।

 

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विचार: महत्त्वाकांक्षा। Thoughts: Ambitions

 

जब तक आप किसी योजना को अपने मन में पकड़ कर रखेंगे, तब तक आपका मन स्थिर नहीं हो पाएगा।

क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है कि जब आप बेचैनी, आवेश और इच्छा को लेकर बिस्तर में सोने जाते हैं तो आपको गहरी नींद नहीं आती है? अति महत्त्वाकांक्षी लोगों को गहरी नींद नहीं आती है क्योंकि भीतर से उनका मन मुक्त नहीं होता है। जब आप सो जाते हैं तो कुछ समय के लिए योजनाओं और महत्त्वाकांक्षाओं का नहीं होना सा प्रतीत होता है परन्तु वास्तव में वे वहीं होती हैं।

आप निद्रा को धारण कर के तभी विश्राम कर पाएँगे जब सोने से पहले आप सब विचारों और योजनाओं को त्याग देंगे। इसी प्रकार, जब आप ध्यान के लिए बैठते हैं तब भी सब कुछ छोड़ दीजिए।

 

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विचार : संदेह। Thoughts: Doubts

क्या कभी यह अनुभव किया है कि हमारे मन में सदा सकारात्मकता के बारे में संदेह अवश्य उत्पन्न होता है?

  1. जब आप खुश होते हैं, तो आप संदेह करते हैं : "क्या मैं वास्तव में खुश हूँ?"
  2. यदि कोई आपको बताते हैं कि वे आपसे प्रेम करते हैं, तो आप कहते हैं: "वास्तव में? क्या आपको सचमुच यकीन है कि आप मुझ से प्रेम करते हैं?"

हम अपने जीवन में कभी भी किसी नकारात्मकता पर संदेह नहीं करते हैं। जैसे की:

  1. आप किसी अन्य के या स्वयं के क्रोध पर कभी संदेह नहीं करते हैं।
  2. आप कभी अपने मानसिक अवसाद या उदासी पर भी संदेह नहीं करते हैं।
  3. यदि कोई आपको बताते हैं कि वे आप से नफ़रत करते हैं, तो आप उस पर भी संदेह नहीं करेंगे।

यदि आप लोगों की नकारात्मकता पर संदेह कर पाओ, तो आप वास्तविकता के करीब आ जाओगे।

इस सजगता के साथ जब आपके शरीर में उर्जा के स्तर में वृद्धि होती है, तब:

  1. आप देखेंगे कि आपके मन के सब संदेह गायब हो गये हैं।
  2. आपके मन में और अधिक स्पष्टता आ गयी है।
  3. आपके मन से सब भ्रम दूर हो गये हैं।

नकारात्मक विचारों से उपर उठने का उपाय केवल ध्यान है। ऐसी स्थिति में पहुँचने पर सकारात्मक विचार स्वतः और सहजता से आने लगेंगे।

 

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विचार: अप्रिय यादें। Thoughts: Unpleasant Memories

स्मृतियाँ जहाँ आपको प्रबुद्ध बना सकती हैं वहीं आपको दुखी भी कर सकती हैं।

आपके मन में अक्सर अप्रिय यादों का मंथन चलता रहता है।

  1. "इसने यह या वह कहा!"
  2. "वह कितनी घमंडी थी!"
  3. "उन्होंने मेरे साथ ऐसा किया!"

ध्यान आपकी अप्रिय यादों में एक ऐसा बदलाव ला सकता है जिसमें आप बीती बातों से निकल कर अपने अनंत स्वभाव की पहचान पा जाते हैं।

 

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विचारों और इच्छाओं को छोड़ते चलें। Let go of Thoughts and Desires

विचारों का प्रवाह आपके मन में हमेशा चलता रहता है लेकिन आप अपने विचारों को पकड़ कर रख लेते हैं और उन्हें आसानी से जाने नहीं देते हैं। जैसे किसी रिकॉर्ड की सुई अपने खाँचे में फँस जाती है। विचारों को जाने दें। ऐसा महसूस करें कि वे आपके हैं ही नहीं। किसी एक विचार या इच्छा में फंसने से दुःख प्राप्त होता है। ध्यान तभी लगता है जब आपका मन विचारों से मुक्त हो जाता है।

ध्यान के माध्यम से आप अपने मन को शांत कर पाएँगे। साथ साथ अपनी अन्य गतिविधियों को करते रहें। अपने आप को परेशानियों से मुक्त रखना आसान नहीं है, लेकिन ध्यान के निरंतर अभ्यास से यह संभव हो जाता है। कुछ समय पश्चात् यह काफी आसान भी हो जाता है। विचारों को रोकने का, एकाग्रता लाने का या चिंतन करने का - इन सब प्रयासों को छोड़ते चलें।

 

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ध्यान के द्वारा अपने विचारों से उपर उठ जाएँ। Transcend Your Thoughts - With Meditation

अतीत के क्रोध या घटना क्रमों और भविष्य की योजनाओं से परे हो पाने की क्षमता ध्यान से प्राप्त होती है। ध्यान के माध्यम से हम इस क्षण को स्वीकार करते हुए उसकी पूर्णता की गहराई में चले जाते हैं।

केवल इस सत्य को समझ लें और कुछ दिनों के लिये ध्यान का निरंतर अभ्यास करें। आपके जीवन की गुणवत्ता में एक असीम परिवर्तन आ जाएगा।

ध्यान में मिलने वाला विश्राम इतना गहन होता है जो आपको किसी गहरी निद्रा के उपरान्त भी प्राप्त नहीं हो पाएगा। क्योंकि ध्यान में आप अपनी सारी इच्छाओं और विचारों से परे हो जाते हैं। ध्यान आपके मस्तिष्क में एक शीतलता ले आता है - यह सम्पूर्ण शरीर-मन तंत्र की मरम्मत और पोषण करने के समान है।

 

 
Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives. Read More