सूर्य नमस्कार क्या है?
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही हमारे सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम करा देता है। इसके दैनिक अभ्यास से हमारा शरीर निरोगी, स्वस्थ और चेहरा ओजपूर्ण हो जाता है। महिलायें हों या पुरुष, बच्चे हों या वृद्ध, सूर्य नमस्कार सभी के लिए बहुत लाभदायक होता है|
सूर्य नमस्कार के 12 आसन कौन-कौन से हैं?
सूर्य नमस्कार में बारह आसन होते हैं |
- प्रणाम आसन
- हस्तउत्तानासन
- हस्तपाद आसन
- अश्व संचालन आसन
- दंडासन
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंग आसन
- पर्वत आसन
- अश्वसंचालन आसन
- हस्तपाद आसन
- हस्तउत्थान आसन
- ताड़ासन
सूर्य नमस्कार के लाभ :
सूर्य नमस्कार से हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत से लाभ हैं। सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है। यही कारण है कि सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष बल देते हैं। सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर, मन और आत्मा सबल होते हैं। पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है। सूर्य नमस्कार के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक कई लाभ हैं :
सूर्य नमस्कार करने से आप बनते हैं स्वस्थ और हृष्ट- पुष्ट
सूर्य नमस्कार न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करता है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक बल भी प्रदान करता है। सूर्य नमस्कार के 12 आसन हमारे पूरे शरीर के आतंरिक और बाहरी अंगों को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखते हैं।
बेहतर होता है पाचन तंत्र
सूर्य नमस्कार के आसान हमारे पेट के आतंरिक भाग को मज़बूत बनाए रखने में सहायता करते हैं। यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तो आपका पाचन तंत्र मज़बूत रहता है और पेट से सम्बन्धित बीमारियाँ आपको तंग नहीं करतीं।
सूर्य नमस्कार करने से पेट की चर्बी घटती है
जो लोग दिन- रात गूगल पर केवल अपने पेट की चर्बी कम करने की तरकीबें ढूंढते रहते हैं, उनके लिए एक खुशखबरी है। आज ही सूर्य नमस्कार को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें, आप पाएंगे कि कुछ दिन में ही आप अपने ही सपनों के राजकुमार या राजकुमारी से भी फिट दिखने लगेंगे।
शरीर को डीटॉक्स करता है सूर्य नमस्कार
हमारा शरीर, आये दिन के तनाव और जीवन शैली के बदलाव के कारण टॉक्सिंस इकठ्ठा करता रहता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास हमारे शरीर के अनचाहे विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में हमारी मदद करता है।
मन की हर चिंता और तनाव को आपसे दूर रखता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार न केवल हमें शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रखता है बल्कि मानसिक रूप से भी चिंतामुक्त और तनावमुक्त बनाए रखता है। सूर्य नमस्कार के 12 आसन हमें दिन भर तारो ताज़ा अनुभव करने में हमारी मदद करते हैं।
शरीर में लचीलापन चाहिए तो सूर्य नमस्कार है कुंजी
सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक व्यायाम है। अलग-अलग आसन, शरीर के अलग-अलग अंगों पर अपना प्रभाव डालते हैं । जब हम एक आसन से दूसरे आसन में जाते हैं तो व्यायाम की निरंतरता बनी रहती है और हमारे शरीर के सभी अंगों में लचीलापन और दृढ़ता आती है। अगर आप प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं तो आप पायेंगे कि आपके शरीर में अकड़न नहीं रहती और आप अपने आपको अधिक लचीला अनुभव करते हैं।
मासिक-धर्म करना है नियमित, तो रोज़ करें सूर्य नमस्कार
जो महिलायें अपने मासिक धर्म में अनियमितता से परेशान हैं, सूर्य नमस्कार आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। नियमित सूर्य नमस्कार पेट के निचले हिस्से, नितम्ब, गर्भाशय (यूट्रस) और अंडाशय (ओवरी) को स्वस्थ बनाता है और मासिक धर्म की अनियमितता की समस्य को जड़ से दूर करता है।
स्वास्थ्य के प्रति सचेत महिलाओं के लिए यह एक वरदान है। इससे आप न केवल अतिरिक्त कैलोरी कम करते है बल्कि पेट की मांसपेशियो के सहज खिचाव से बिना खर्चे सही आकार पा सकते हैं। सूर्य नमस्कार के कई आसन कुछ ग्रंथियो को उत्तेजित कर देते हैं, जैसे कि थाईरॉइड ग्रंथि (जो हमारे वजन पर ख़ासा असर डालती है) के हॉर्मोन के स्राव को बढ़ाकर पेट की अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करते हैं। सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करता है और प्रसव को भी आसान करता है। साथ ही ये चेहरे पर निखार वापस लाने में मदद करता है, झुर्रियों को आने से रोकता है और हमे चिरयुवा और कांतिमान बनाता है।
सूर्य नमस्कार से अंतर्दृष्टि (इंट्यूशन) विकसित होती है
सूर्य नमस्कार व ध्यान के नियमित अभ्यास से मणिपुर चक्र बादाम के आकार से बढ़कर हथेली के आकार का हो जाता है। मणिपुर चक्र का यह विकास जो कि हमारा दूसरा मस्तिष्क भी कहलाता है, हमारी अंतरदृष्टि विकसित कर हमें अधिक स्पष्ट और केंद्रित बनाता है। मणिपुर चक्र का सिकुड़ना अवसाद और दूसरी नकारात्मक प्रवृत्तियों की ओर ले जाता है।
सूर्य नमस्कार के ढेरों लाभ हमारे शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखते हैं, इसीलिए सभी योग विशेषज्ञ सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास पर विशेष बल देते हैं।
रीढ़ की हड्डी को मिलती है मजबूती
सूर्य नमस्कार से रीढ़ की हड्डी की निचले भाग से लेकर उपरी भाग तक पूरी रीढ़ की हड्डी का बढ़ियाँ व्यायाम होता है। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी को लचीलापन और मजबूती दोनों मिलते हैं ।
बच्चों में एकाग्रता बढ़ाता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार मन शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है। आजकल बच्चे प्रतिस्पर्धा का सामना करते हैं इसलिए उन्हे नित्यप्रति सूर्य नमस्कार करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी सहनशक्ति बढ़ती है और परीक्षा के दिनों की चिंता और असहजता कम होती है।
सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में शक्ति और ओज की वृद्धि होती है। यह माँसपेशियों का सबसे अच्छा व्यायाम है और हमारे भविष्य के खिलाड़ियों के मेरुदण्ड और अंगो के लचीलेपन को बढ़ता है। 5 वर्ष तक के बच्चे नियमित सूर्य नमस्कार करना प्रारंभ कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार के पीछे का विज्ञान
सूर्य नमस्कार करने की विधि ही जानना पर्याप्त नहीं है, इस प्राचीन विधि के पीछे का विज्ञान समझना भी आवश्यक है। इस पवित्र व शक्तिशाली योगिक विधि की अच्छी समझ, इस विधि के प्रति उचित सोच व धारणा प्रदान करती है। ये सूर्य नमस्कार की सलाहें आपके अभ्यास को बेहतर बनाती है और सुखकर परिणाम देती है।
भारत के प्राचीन ऋषियों के द्वारा) ऐसा कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाए या दिव्य प्रकाश) के द्वारा संचालित होते है। मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित है। सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अन्तर्ज्ञान बढ़ते हैं। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए इतना बल दिया।
मणिपुर चक्र में ही हमारे भाव एकत्रित होते हैं और यही वो स्थान है जहाँ से अंतःप्रज्ञा विकसित होती है। सामान्यतया मणिपुर चक्र का आकार आँवले के बराबर होता है लेकिन जो योग ध्यान के अभ्यासी हैं उनका मणिपुर चक्र 3 से 4 गुना बड़ा हो जाता है। जितना बड़ा मणिपुर चक्र उतनी ही अच्छी मानसिक स्थिरता और अन्तर्ज्ञान हो जाते हैं।
- श्री श्री रवि शंकर
सूर्य नमस्कार कब करें?
सूर्य नमस्कार सुबह के समय खुले में पूर्व दिशा में, उगते सूरज की ओर करने की सलाह दी जाती है। उगते सूर्य के प्रकाश से हमारे शरीर को 'विटामिन डी' मिलता है, हड्डियां मज़बूत होती हैं, त्वचा स्वस्थ रहती है और मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है।
सूर्य नमस्कार के आसन, हल्के व्यायाम और योगासनो के बीच की कड़ी की तरह है और खाली पेट कभी भी किए जा सकते हैं। हालाँकि सूर्य नमस्कार के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह मन व शरीर को ऊर्जान्वित कर तरो ताज़ा कर देता है और दिनभर के कामो के लिए तैयार कर देता है। यदि यह दोपहर में किया जाता है तो यह शरीर को तत्काल ऊर्जा से भर देता है, वहीं शाम को करने पर तनाव को कम करने में मदद करता है। यदि सूर्य नमस्कार तेज गति के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा व्यायाम साबित हो सकता है तो वजन और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार बहुत लाभदायक है।