शिव कौन हैं

हमारी समझ प्रायः स्थूल जगत से सूक्ष्म जगत की यात्रा है, विशेषकर जब हम एक ही प्रश्न को बार-बार पूछते रहते हैं|

शिव कौन है? क्या वह कहीं किसी स्थान पर बैठे हुए कोई व्यक्ति हैं?
शिव क्या है? क्या वह कोई विशेष अवस्था है?
नहीं! शिव आकाश में बैठे हुए कोई व्यक्ति नही हैं|

तो फिर शिव हैं कौन?

शिव समस्त ब्रह्माण्ड हैं|

शिव वह चेतना है जहाँ से सब कुछ आरम्भ होता है, जहाँ सबका पोषण होता है और जिसमें सब कुछ विलीन हो जाता है| आप कभी 'शिव' के बाहर नहीं हैं क्योंकि पूरी सृष्टि ही शिव में विद्यमान है| आपका मन, शरीर सब कुछ केवल शिव तत्व  से ही बना हुआ है, इसीलिए शिव को 'विश्वरूप' कहते हैं जिसका अर्थ है कि सारी सृष्टि उन्हीं का रूप है|

What is Lord Shiva?

शिव क्या है?

शिव शाश्वत है|

शिव के बारे में एक बहुत सुन्दर कहानी है| एक बार ब्रह्मा ( सृष्टि के रचयिता) और विष्णु ( संसार के पालनकर्ता ) इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ रहे थे कि 'शिव कौन हैं?'| वे शिव को पूरी तरह जानना चाहते थे | तो ब्रह्मा ने विष्णु से कहा- "मैं  उनका मस्तक ढूंढता हूँ, तुम उनके चरण खोजो| हज़ारों वर्षों तक विष्णु शिव के चरणों कि खोज में नीचे काफी गहराई में पहुँच गए और ब्रह्मा शिव का मस्तक ढूंढते-ढूंढते काफी ऊपर तक पहुँच गए लेकिन वे दोनों ही असफल रहे|

यहाँ इसका अर्थ है कि शिव का कोई आदि और अंत नही है| अंत में वे दोनों मध्य में मिले और इस निष्कर्ष पर पहुँचे  कि वे शिव को नहीं ढूंढ सकते| यहीं से शिवलिंग अस्तित्व में आया| शिवलिंग अनंत शिव की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है|

शिव क्या है?

शिव समस्त जगत की सीमा है|

सृष्टि विपरीत मूल्यों का संगम है| इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही गुण मौजूद हैं| ब्रह्माण्ड में अग्नि है तो जल भी है; बुराई है तो अच्छाई भी है| शिव सभी विपरीत मूल्यों में विद्यमान हैं| इसीलिए शिव को रूद्र (उग्र) कहते हैं और साथ ही वे भोलेनाथ भी कहे जाते हैं|जहाँ उन्हें सुंदरेश कहते हैं वहीं उन्हें अघोर (भंयकर) भी कहते हैं| एक प्रार्थना में शिव को गौरम (उग्र) कहा गया है और उसी पंक्ति में उनको करुणावतार भी कहते हैं|

शिव क्या है?

शिव समाधि है|

शिव, चेतना की जागृत, निद्रा और स्वप्न अवस्था के परे हैं| शिव समाधि हैं - चेतना की चौथी अवस्था, जिसे केवल ध्यान में ही प्राप्त किया जा सकता है| समाधि में मन पूरी तरह समभाव में रहता है| यह एक ही समय में शांत भी है और पूरी तरह जागरूक भी|

शिव कौन हैं?

रूद्राष्टकम- एक शिव स्तोत्र में उत्तर है...

नमामि-शमीशाननिर्वाण रूपम, विभुं व्यापकं ब्रह्म-वेद स्वरूपं|
निजम निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेहं||

अर्थ:

यह परमात्मा हैं, यह सर्वशक्तिमान हैं, यह सर्वविद्यमान हैं| ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ शिव न हों| यह वह आकाश हैं; वह चेतना है, जहाँ सारा ज्ञान विद्यमान है| वे अजन्मे हैं और निर्गुण हैं| यह समाधि की वह अवस्था है जहाँ कुछ भी नहीं है, केवल भीतरी चेतना का खाली आकाश है| वही शिव हैं!

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