"जल्लिकट्टू अगले पोंगल तक वापस आ जाए, इस आशा के साथ तमिलनाडु की स्थिति सामान्य बनाई जाए " - गुरुदेव श्री श्री रवि शंकरजी | Sri Sri Ravi shankar

भारत (India)
20th of जनवरी 2017

sri sri ravishankar on jallikattu in hindi

बेंगळुरू, 19 जनवरी: मैं तमिलनाडु के लोगों के साथ हूं। मैं उनकी भावनाओं को समझता हूँ और उन्हें पूरी तरह से समर्थन करता हूँ।

जल्लिकट्टू उत्सव के लिए दोनों बैल और लोगों को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। जो लोग इन बैलों को पालते हैं उनके लिए वह पशु पवित्र है। बैल को परिवार का एक हिस्सा माना जाता है और पूजा की जाती है। इस उत्सव में न तो पशुओं के साथ कोई क्रूरता होती है और न ही लोगों को चोट पहुंचाना उसका ध्येय है। यदि चोट लगे भी तो उसकी तुरंत मरहम पट्टी करने की उचित व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। कुम्भ मेले में भी कई लोगों ने अपना जीवन खोया है, कई रेल दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं,तो क्या हम वाहनों पर प्रतिबंध लगाते हैं? यदि इस पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैंतो फिर उन घोड़ों का क्या जो घुड़सवारी के लिए पाले जाते हैं? उसे भी क्रूरता कहा जा सकता है। इस प्राचीन खेल पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे दुर्घटनाएं कम से कम हों और नकारात्मक तत्वों के द्वारा कम से कम शरारत हो। सुरक्षा के नियमों को लागू करने से दुर्घटनाएं कम करी जा सकती हैं।

यदि सही मायने में जानवरों के लिए अपना प्यार दिखाना चाहते हैं, तो पशुवध शालाओं को प्रतिबंधित करना चाहिए जिनके कारण हमारी स्वदेशी नस्ल खतरे में हैं। उड़ीसा में 15 स्थानीय नस्ल विलुप्त हो गयी हैं। तमिलनाडु इन देशी नस्लों को संरक्षित करने में कामयाब रहा है और जल्लीकट्टू एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से वे ऐसा करपाए हैं।

पूरी स्थिति पर हमें पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। अदालत में इन तथ्यों को ईमानदारी से पेश करने की जरूरत है। अदालत में फिर से लोगों को अपील करनी चाहिए और इस मामले को निष्पक्ष प्रकाश में दोबारा देखा जाना चाहिए।

हालांकि, मैं तामिळनाडू के लोगो से अपील करता हूं कि असामाजिक तत्व इस आंदोलन का फ़ायदा न उठायें और राज्य में हिंसा और अराजकता फैलाने की उन्हें अनुमति नहीं दे। न्याय के लिए इस आंदोलन से राजनीति और समाज विरोधी तत्व बाहर रहें। धैर्य रखें। कानूनको रातों-रात नहीं बदला जा सकता। युवाओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके अपनी बात पहुँचा दी है। अब मैं उन्हें स्कूलों और कॉलेजों में वापस जाने की अपील करता हूँ।

दुर्भाग्य से लोगों को लगता है कि इसे सरकार द्वारा किया गया है। मैं युवाओं से अनुरोध करूंगा कि वे अपने साथी प्रदर्शनकारियों को समझाएं कि जो मामले अदालत में विचाराधीन हैं उनमें सरकार भी कुछ नहीं कर सकती। अदालत में एक अपीलदायर करी जाए। हमारे पास अभी भी एक वर्ष है। मुझे आशा है कि अगले वर्ष तक जल्लीकट्टू वापस आ जाएगा।

श्री श्री रवि शंकर जी का जल्लीकट्टू निर्बंध के ऊपर भाष्य सुनिए -

भारत-फ्रांस संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री पॉल गियाकोबी एवं भारत-फ्रांस सीनेटर समूह के अध्यक्ष श्री फ्रांस्वा मार्क के आग्रह पर गुरुदेव फ्रांस के राष्ट्रीय सभा एवं सीनेट के सदस्यगणों को क्रमशः १८ एवं १९ अक्टूबर को संबोधित किया|

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श्री श्री रविशंकर जी का नोट बदलने पर बयान (Demonetization of 500 and 1000 currency)

बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे नकली नोट बहुत जलाए जा रहे है। जिनके पास नकली नोट थे या बहुत ज्यादा कालाधन हैं वो डर के मारे उसे कुछ जगाओं पर बैग में डालकर जला रहे है क्योंकि २००% उन्हें देना पड़ेगा। २०१४ का पूराचुनाव (इलेक्शन) भ्रष्टाचार के खिलाफ था और जिस वायदे को लेकर हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आगे आए और उसको उन्होंने पूरा कर दिया। ये सब अचानक नहीं किया|

 
 

कार्यकम के कुछ अंश:

  1. जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
  2. इंटरैक्टिव अभ्यास
  3. योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
  4. ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
  5. सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।

‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।

‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|

ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|