काश्मीर में श्री श्री ने प्रारंभ की शांति की शुरूवात ! Sri Sri Initiates Peace Process in Kashmir

शांति के लिए दक्षिण एशियाई फोरम का गठन किया गया

जम्मू 23 नवम्बर 2016 : हाल ही के कुछ दिनों में आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता और आध्यात्मिक संत श्री श्री रविशंकरजी द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लाने का अकल्पनीय कार्य किया है। इन वर्गो में पूर्व अलगाववादी, आतंक के शिकार लोग, युवा, महिलाएॅं, उद्यमी, काष्मीर के गैर सरकारी संगठन, सुफी लीडर, सेवानिवृत्त कर्मचारी, कला व संस्कृति से जुडे लोग, सिख समुदाय के लोग सभी ने मिलकर काश्मीर में ‘स्वर्ग की वापसी’ सम्मेलन में अपनी भागीदारी दी और चर्चा में भाग लिया।

श्री श्री ने इस अवसर पर काश्मीर के हितग्राहियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘आप में से कई लोग 12 से 15 घंटों की यात्रा कर यहाॅं आए हैं क्योंकि आप उस दर्द से गुजर रहे हैं जो पिछले दिनों आपने भोगा है। मैं यहाॅं इस समस्या का कोई पूर्व से तैयार हल लेकर नहीं आया हूॅं। हम सब एक साथ मिलकर आगे आएँगे , बैठेंगे और हल निकालेंगे। इस समस्या का हल किसी गली में नहीं है न ही बंदूकों या पत्थरों में है।’’

सम्मेलन में अन्य वक्ताओं जैसे श्री टिंग, प्रसिद्ध काश्मीरी इतिहासकार, श्री निजामुद्विन भट्ट, काष्मीर के वरिष्ठ पत्रकार, ले.ज. सुब्रत साहा, आर्मी प्रमुख, प्रो. निसार अली, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री और विश्व बैंक के पूर्व सलाहकार, श्री अशोक एमा, कुलपति, केन्द्रीय विश्वविद्यालय जम्मू ने भी अपने अपने वक्तव्य रखे।

पिछले दिनों में काश्मीर से बहुत सारे प्रतिनिधि मंडलों ने श्री श्री से मुलाकात की है। इनमें प्रमुख है डाॅ. गुलाम रसूल हामी जो करवान-ए-इस्लामी के जम्मू-काश्मीर प्रमुख हैं, मुजफ्फर वानी जो आतंकी बुरहान वानी के पिता हैं, इन सभी ने गुरूदेव से न केवल आग्रह किया बल्कि उन्हे पूरा सहयोग, समर्थन भी देने का वाद किया कि वे काश्मीर के मसले पर मदद करें।

आर्ट आॅफ लिविंग का यह कदम घाटी में निश्चित ही शांति बहाली का मील का पत्थर बनेगा। यह सम्मेलन काश्मीर के लीडरों के लिए एक स्टेज का कार्य करेगा जिस पर प्रत्येक आवाज को रखा जा सकेगा। इसके लिए कई प्रक्रियाएॅ अपनाई जाएॅंगी जैसे विवादों पर आपसी बातचीत, लोगों के मध्य कार्य करना, उनके बीच संवाद स्थापित करना प्रमुख होंगी।

श्री श्री ने कहा, ‘‘काश्मीर प्रबुद्धों, कलाकारों, सुफी संतों, साहित्यकारों ऋषि-मुनियों, आध्यात्मिक संतो की भूमि रही है। लेकिन आज हम असहाय होकर स्कूलों को जलता हुआ देख रहे हैं, दुकानों को नष्ट करते हुए देख रहे हैं। हम यहाॅ की कई समझदार आवाजों को अनसुना कर रहे हैं। एक आम आदमी सिर्फ हड़ताल और कफ्र्यू में उलझ कर रह गया है। आज यह भी आवश्यक है कि एक आम आदमी को एक स्टेज मिले जिसपर वह अपनी बात रख सके, अपनी राय दे सके। इसलिए मैने सोचा कि हम सब मिलकर आगे आएॅं और शांति के लिए बनाई गई दक्षिण एशियाई फोरम का गठन करें।’’

इस अवसर पर शांति के लिए दक्षिण एशियाई फोरम का शुभारंभ किया गया। इस फोरम में 8 दक्षिण एशियाई देश शामिल रहेंगे जो विभिन्न क्षेत्र जैसे उद्यमिता, कौशल विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक सहभागिता, महिला सशक्तिकरण में कार्य करेगी।

यह पहली बार नहीं है कि गुरूदेव श्री श्री रविशंकर जी ने भागौलिक-राजनैतिक विवादों को हल करने में पहल की है। इससे पहले पाॅंच दशक से चले आ रहे कोलम्बिया के गृह युद्ध में श्री श्री की पहल से वहाॅं युद्ध विराम हो पाया। इसके लिए उन्हे वहाॅं का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी दिया गया। उनके द्वारा दिए गए गांधीवादी अहिंसा के सिद्धांतों को स्थान मिला। वर्ष 2005 में श्री श्री ने इराक का दौरा यजदी समुदाय के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए दौरा किया जो कि आईएसआईएस के लगातार हमलो से राजनैतिक और सांस्कृतिक विनाश के कगार पर पहुॅंच चुके थे। अपने ही देश में वर्ष 2005 में श्री श्री ने विस्थापित काश्मीरी  पंडितों के एक सम्मेलन का भी आयोजन किया। तभी से श्री श्री से लगातार काश्मीर मसलों पर विभिन्न प्रतिनिधि मंडल मिलते रहे हैं।  

- आर्ट ऑफ लिविंग ब्यूरो ऑफ़ कम्युनिकेशन

भारत-फ्रांस संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री पॉल गियाकोबी एवं भारत-फ्रांस सीनेटर समूह के अध्यक्ष श्री फ्रांस्वा मार्क के आग्रह पर गुरुदेव फ्रांस के राष्ट्रीय सभा एवं सीनेट के सदस्यगणों को क्रमशः १८ एवं १९ अक्टूबर को संबोधित किया|

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श्री श्री रविशंकर जी का नोट बदलने पर बयान (Demonetization of 500 and 1000 currency)

बहुत अच्छा फैसला लिया है। इससे नकली नोट बहुत जलाए जा रहे है। जिनके पास नकली नोट थे या बहुत ज्यादा कालाधन हैं वो डर के मारे उसे कुछ जगाओं पर बैग में डालकर जला रहे है क्योंकि २००% उन्हें देना पड़ेगा। २०१४ का पूराचुनाव (इलेक्शन) भ्रष्टाचार के खिलाफ था और जिस वायदे को लेकर हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आगे आए और उसको उन्होंने पूरा कर दिया। ये सब अचानक नहीं किया|

 
 

कार्यकम के कुछ अंश:

  1. जीवन की रोज़ाना चुनौतियों का सामना करने का व्यवहारिक ज्ञान।
  2. इंटरैक्टिव अभ्यास
  3. योगासन और विश्रामदायक शारीरिक व्यायाम।
  4. ध्यान और प्रभावशाली श्वास प्रक्रियाएं।
  5. सुदर्शन क्रिया

सुदर्शन क्रिया एक सहज लयबद्ध शक्तिशाली तकनीक है जो विशिष्ट प्राकृतिक श्वांस की लयों के प्रयोग से शरीर, मन और भावनाओं को एक ताल में लाती है। यह तकनीक तनाव, थकान और नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, निराशा, अवसाद से मुक्त कर शांत व एकाग्र मन, ऊर्जित शरीर, और एक गहरे विश्राम में लाती है।

‘श्री श्री योग’ योग में उपस्थित आन्तरिक विविधता का एक सरल और खुशहाल उत्सव है। यहां योग की विभिन्न मौलिक आवश्यकताएं, जैसे कि श्वास की विधियाँ, योगासन, ध्यान, विश्राम एवं योगिक ज्ञान इत्यादि का समन्वय किया जाता है । योग के इन सभी सुन्दर रूपों को अपनाकर हम सभी शारीरिक स्तर के पार भी देख पाते हैं और अपने अस्तित्व के सूक्ष्म स्तर के प्रति और सचेत एवं संवेदनशील बन जाते हैं।

‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’| ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है| अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं|

ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है|जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं|

 

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