योग के नियमित अभ्यास से शरीर रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होता है। साथ ही रोज मर्रा के तनावो का प्रभाव भी कम होता है| यदि लोग योग का सही प्रशिक्षण लें और सतत अभ्यास करे तो योग सभी के लिए लाभकारी है।
योग का नियमित अभ्यास शरीर को निम्न प्रकार से लाभ पहुँचाता है।
- योग पाचन, रक्त परिसंचरण और रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को बेहतर करता है।
- योग से तंत्रिकाओं और अंतः स्रावी ग्रंथियों के कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
- योग पुरानी बीमारियों में आराम पहुँचाता है और उन्हे रोकता भी है जैसे की -
- उच्च रक्तचाप
- पुराने दर्द की समस्या
- चिंता व घबड़ाहट की समस्या
- अवसाद (Depression)
- नींद की समस्या
- पुरानी थकावट की समस्या
श्री श्री योग योग आसन के हर पहलू पर ध्यान देता है, प्रारंभ से अंत तक, साथ ही आसन को श्वास के साथ जोड़ता है। निम्नलिखित आसन और प्राणायाम रक्तचाप को कम करने में प्रभावी हैं। उन्हे अभ्यास में लाने से पहले उचित प्रशिक्षक की देखरेख में ही सीखना चाहिए।
- सुखासन
- योगी साँसे
- भ्रामरी
- जनुशीर्षासन
- पश्चिमोत्तान आसन
- पूर्वोत्तान आसन
- शवासन
- अर्ध-हलासन
- सेतुबंधासन
- पवनमुक्तासन के विभिन्न प्रकार(सिर उठाए बिना घुटनों को वृत्ताकार घुमाए)
- पेट के बल लेटना
- मकरासन में भ्रामरी प्राणायाम करना
- शिशुआसन
- वज्रासन
- सुप्तवज्रासन
- पैरों को तानकर और शवासन में लेटना
- योग निद्रा
उच्च रक्तचाप के लिए कुछ योग आसनों का विवरण
शवासन में विश्राम
- अंत में आप स्वयं को गर्म रखने के लिए स्वेटर, मोजे या कंबल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पीठ के बल लेट जाएँ।
- एक साँस ले और अपने पूरे शरीर को सिर से लेकर पैर तकताने , साँस को रोके, अपनी मुट्ठी बांधें, अपने चेहरे की मांसपेशियों को सिकोडे साथ ही शरीर की सभी मांसपेशियों को सिकोडे।
- हा की आवाज़ के साथ साँस को छोड़े और शरीर की सभी मांसपेशियों को शिथिल कर दें।
- इस क्रिया को एक बार फिर से करें।
- अब आप आरामदायक स्थिति में लेट जाए और अपनी आँखे बंद रखे।
- अपनी चेतना को शरीर के विभिन्न अंगो में ले जाकर उन्हे मानसिक रूप से विश्राम दे, यह आप पैरों से प्रारंभ कर सिर तक जाकर समाप्त करें, शरीर के हर अंग के प्रति एक कृतज्ञता का भाव रखे। कृतज्ञता का भाव शारीरिक व मानसिक विश्राम में सहायक होता है।
- धरती माता को अपना सारा भर अर्पित कर दें, और हल्का अनुभव करें। तनाव रहित शरीर हल्का अनुभव करता है।
- और अब अपनी सांसो के प्रति सजग होते हुए साँसों को शांत, हल्का और धीमा करें।
- अब सभी प्रकार की चिन्ताओ, भयों , उत्तेजनाओं को छोड़कर मन को विश्राम करने दें। सभी को ईश्वर को समर्पित कर दें | कुछ समय के लिए सभी भूत व भविष्य की घटनाओ को भूल जाए
- अपने भीतर की शांति व आनंद में विश्राम करें।
- कुछ मिनटों के विश्राम के बाद शरीर के प्रति सजग हो जाए और 2-4 लंबी गहरी साँसे लें।
- अपने दाहिनी ओर करवट लें।
- धीरे से उठकर बैठ जाएँ।
- तीन बार ओम का उच्चारण करे।
शिशु आसन
- अपनी एडियों पर बैठ जाएँ। अपने नितंबो को एडियों पर रखते हुए आगे की ओर झुके और माथे को ज़मीन से लगाए।
- अपनी भुजाओ को शरीर के साथ ज़मीन पर रखे और हथेलिओ को आकाश की ओर रखे (यदि ऐसा करने में दिक्कत हो तो एक के ऊपर एक हथेली रखकर अपना माथा उन पर रखे)।
- धीरे से छाती को जंघा की ओर दबाए।
- कुछ देर रुके।
- मेरुदण्ड का ध्यान रखते हुए धीरे धीरे उठकर अपनी एडियों पर बैठ जाए और विश्राम करें।
लाभ
- पीठ का गहन विश्राम।
- क़ब्ज़ में आराम।
- तंत्रिका तंत्र को विश्राम।
Founded in 1981 by Sri Sri Ravi Shankar,The Art of Living is an educational and humanitarian movement engaged in stress-management and service initiatives.Read More