ध्यान और निर्णय लेने की क्षमता | Meditation for Better Decision Making Ability in Hindi

Meditation for Better Decision Making Ability

मैं सही निर्णय कैसे लूँ? मैं यह कैसे जान पाऊँ कि मैं सही निर्णय ले रहा हूँ और यह निर्णय मुझे अच्छा परिणाम ही देगा? मैं यह कैसे तय कर पाऊँ कि मेरे विचार मेरे काम को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकेंगे? इस के साथ साथ, अन्य हितधारकों को भी अपने काम से कैसे प्रसन्न कर सकूँ?

ऐसा बहुत ही कम होता होगा जब कि आप को अपने रोज़मर्रा जीवन के दौरान इस तरह के सवालों का सामना नही करना पड़ता होगा। हमें प्रतिदिन अपने घर में एवं कार्यक्षेत्र में कई प्रकार के निर्णय लेने होते हैं। एक मैनेजर, सूपरवाइज़र या फिर एक गृहणी की हैसियत में हमारे द्वारा लिया गया हर निर्णय हमारी योग्यता का माप दंड बन जाता है।

यह जान कर आपकी उत्सुकता और भी जागृत हो जाएगी कि ध्यान आपकी निर्णय लेने की क्षमता को निखार सकता है। ध्यान एक ऐसी प्राचीन शक्तिशाली विधि है जिसका अभ्यास आपके मन को सुदृड उर्जा के स्त्रोत में परिवर्तित कर देता है, जिससे कि आप का मन बुद्धिमान निर्णयों को लेने की क्षमता पा लेता है।

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६ उपाय जो मदद करते हैं सही निर्णय लेने में

  1. एक सहज, एकाग्र व शांत मन
  2. सही संतुलन 
  3. तर्कशील सोच 
  4. एक सशक्त मन 
  5. अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति
  6. वर्तमान पर ध्यान देना

1. एक सहज, एकाग्र व शांत मन

ध्यान मन में इकट्ठे हुए तनावों को दूर करता है और मन को अपने असली स्वरूप में ले आता है। जब हमारा अंतर्मन शांत होता है, तब हम स्वतः ही बाहरी संसार के साथ भी स्पष्ट मन के साथ जुड़ जाते हैं। सभी तनावों से मुक्त मन एकाग्र, शांत और तीव्र हो जाता है। मन की इस अवस्था में लिए गये निर्णय, निश्चित रूप से अधिक उपयोगी और संतुलित होते हैं। हमारा मन संसार के साथ रहते हुए अनेकों तरह की बाहरी प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाता है। ध्यान के फलस्वरुप, मन इन प्रवृत्तियों से मुक्त हो कर सही दिशा में निष्पक्ष निर्णय लेने लगता है।

2. सही संतुलन

एक अच्छा अग्रणी वही है जो अपने दल के साथ एक अपनत्व का अनुभव करता है। वह दूसरों के विचारों को खुले दिल से स्वीकारता है और उन्हें अच्छे सहयोग के रूप में लेता है। ध्यान आप में ये गुण विकसित करने में मदद करता है। हमारे नकारात्मक भाव, जैसे कि भय, चिंता, पश्चाताप या अपराध बोध या कि पुराने निर्णयों की चिंता अवचेतन रूप से हमारे निर्णयों पर प्रभाव डालते हैं। नियमित ध्यान इस तरह की घटनाओं को दूर करने में मदद करता है और निर्णय लेने के लिए सही संतुलन देता है।

3. तर्कशील सोच

आर्ट ऑफ लिविंग की ध्यान की प्रशिक्षका, प्रिया राव, बताती हैं, "नियमित ध्यान से आप अधिक बुद्धिमान हो जाते हैं और मन के जाल में नही फँसते हैंl और न ही भावनाओं के जाल में उलझते हैं। परिस्थितियों को आप एक तर्कपूर्ण तरीके से तोलते हैं, एवं फलतः ऐसा निर्णय ले पाते हैं जो लाभकारी हो।" ध्यान आपके मस्तिष्क के दोनो भागों में संतुलन बनाए रखता है, जिस से आपको स्वयं को किसी प्रकार की नकारात्मकता या भावनात्मकता से दूर रखते हुए समाधान ढूँढने का सामर्थ्य प्राप्त हो जाता है।

जब जल शांत होता है, तब आप तलहटी और अपना प्रतिबिंब दोनों देख सकते हैं। परन्तु जब आप पानी में पत्थर फेंकते हैं तो सब कुछ धूमिल हो जाता है और कुछ भी दिखायी नहीं देता है। इसी तरह, जब मन शांत होता है, तब निर्णय लेने के सभी दायरे, मुद्दे की गंभीरता और निर्णय के प्रभाव साफ साफ दिखने लग जाते हैं।

4. एक सशक्त मन

ध्यानआपको अपने उसअन्तर्तम स्वयं की खोज में मदद करता है जिस में आप अपने आप को एकआनन्दित और ऊर्जा के स्रोत के रूप में पाते हैं। आप जान पाते हैं कि एक असीम मस्ती और खुशी आपके खिले हुए स्वरूप में निहित है। आप आसानी से ही, बढ़े हुए काम के भार, दबाव और डेडलाइन को भी संभाल पाते हैं और हर पल एक अच्छा निर्णय लेने के लिए तैयार रहते हैं।

नीरज कोहली, जिन्हें एक वरिष्ठ कॉर्पोरेट प्रशिक्षक की हैसियत में और क्वालिटी के क्षेत्र में दो दशकों का अनुभव है, कहते हैं, “आप कितनी दृढ़ता और विनम्रता से अपना निर्णय या अपने विचार किसी के सम्मुख रखते हैं इस बात को सुनिश्चित करेगा की आपकी कही गयी बात पर फलःस्वरूप काम कैसा संपन्न हुआ। दृढ़ता और विनम्रता के बीच एक सही संतुलन होना चाहिए, जो की आपके अंतर्मन की जागृति से विकसित होता है। ध्यान आपके मन को एक सशक्त भाव देता है।”
 

5. अंतर्प्रज्ञा, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति

परंपरागत रूप से, ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति के साथ साथ, अंतर्प्रज्ञा के द्वारा लिए गये निर्णय अधिक अच्छे और संम्पूर्ण होते हैं। ध्यान एक सहज तकनीक है जो आपकी अंतर्प्रज्ञा को बढ़ाती है और साथ साथ ग्रहणबोध और अवलोकन शक्ति को भी। अंतर्प्रज्ञा विचार का एक अतिरिक्त आयाम है, जो केवल ध्यान करने वाले लोग ही प्राप्त कर पाते हैं।

एक जानी मानी एड एजेन्सी के क्रिएटिव असोशियेट, रोहित, कहते हैं, “मेरी जॉब में मुझे ऐसे निर्णय लेने की आवश्यकता होती है जो अधिक रचनात्मक और नवीन हों। मैं पिछले २ सालों से नियमित ध्यान कर रहा हूँ। मैने यह पाया है कि मेरी अंतर्प्रज्ञा बहुत प्रखर हो गयी है जो कि मेरे काम हो दोषरहित रखती है। कार्यक्षेत्र में सदैव कुछ न कुछ खींचातानी बनी रहती है, जिस के मध्य में हमें सर्वोत्कृष्ट परिणाम हासिल करने के लिए संतुलन बनाए रखना पड़ता है हमें अपने कार्य के और उद्योग के उद्देश्य के विभिन्न क्षेत्रों की समझ और निरीक्षण की क्षमता ही सर्वोत्कृष्ट परिणाम पाने में मदद करती है।  नीरज कहते हैं, "ध्यान आपकी समझ और निरीक्षण की क्षमता के विकास में मदद करता है।"
 

6. वर्तमान पर ध्यान देना

जब मन में पूर्ण रूप से स्पष्टता हो तो प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता स्वतः ही आ जाती है। एक अस्पष्ट मन भूत और भविष्य में ग्रसित रहता है और वर्तमान शंकाओं और विकृतियों में घिर जाता है। ध्यान साधकों को ध्यान के साथ साथ सुदर्शन क्रिया करने से और भी अधिक जागरूकता और सकेंद्रीकरण की क्षमता प्राप्त हो जाती है।

सुदर्शन क्रिया एक शक्तिशाली श्वसन एवं ध्यान की पद्धति है जो आपके अंतर्मन की जागरूकता को पुनः जागृत करती है और आपको वर्तमान से जोड़ देती है।