ध्यान क्या है?
ध्यान एक विश्राम है। यह किसी वस्तु पर अपने विचारों का केन्द्रीकरण या एकाग्रता नहीं है, अपितु यह अपने आप में विश्राम पाने की प्रक्रिया है। ध्यान करने से हम अपने किसी भी कार्य को एकाग्रता पूर्ण सकते हैं।
ध्यान के 5 लाभ
- शांत चित्त
- अच्छी एकाग्रता
- बेहतर स्पष्टता
- बेहतर संवाद
- मस्तिष्क एवं शरीर का कायाकल्प व विश्राम
ध्यान के 5 स्वास्थ्य लाभ
ध्यान के कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राणतत्व (ऊर्जा) से भर जाती है। शरीर में प्राणतत्व के बढ़ने से प्रसन्नता, शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है।
ध्यान से शारीरिक स्तर पर होने वाले लाभ
- उच्च रक्तचाप का कम होना, रक्त में लैक्टेट का कम होना, उद्वेग/व्याकुलता का कम होना।
- तनाव से सम्बंधित शरीर में कम दर्द होता है। तनाव जनित सिरदर्द, घाव, अनिद्रा, मांशपेशियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
- भावदशा व व्यवहार बेहतर करने वाले सेरोटोनिन हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है।
- प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार आता है।
- ऊर्जा के आतंरिक स्रोत में उन्नति के कारण ऊर्जा-स्तर में वृद्धि होती है।
ध्यान के 11 मानसिक लाभ
ध्यान, मस्तिष्क की तरंगों के स्वरुप को अल्फा स्तर पर ले आता है जिससे चिकित्सा की गति बढ़ जाती है। मस्तिष्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है। ध्यान मस्तिष्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करता है। जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान आपको शांत करता है। ध्यान के सतत अभ्यास से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
- व्यग्रता का कम होना
- भावनात्मक स्थिरता में सुधार
- रचनात्मकता में वृद्धि
- प्रसन्नता में संवृद्धि
- सहज बोध का विकसित होना
- मानसिक शांति एवं स्पष्टता
- परेशानियों का छोटा होना
- ध्यान मस्तिष्क को केन्द्रित करते हुए कुशाग्र बनाता है तथा विश्राम प्रदान करते हुए विस्तारित करता है।
- बिना विस्तारित हुए एक कुशाग्र बुद्धि क्रोध, तनाव व निराशा का कारण बनती है।
- एक विस्तारित चेतना बिना कुशाग्रता के अकर्मण्य/ अविकसित अवस्था की ओर बढ़ती है।
- कुशाग्र बुद्धि व विस्तारित चेतना का समन्वय पूर्णता लाता है।
ध्यान आपको जागृत करता है कि आपकी आतंरिक मनोवृत्ति ही प्रसन्नता का निर्धारण करती है।
ध्यान के 3 आध्यात्मिक लाभ
ध्यान का कोई धर्म नहीं है और किसी भी विचारधारा को मानने वाले इसका अभ्यास कर सकते हैं।
- मैं कुछ हूँ इस भाव को अनंत में प्रयास रहित तरीके से समाहित कर देना और स्वयं को अनंत ब्रह्मांड का अविभाज्य पात्र समझना।
- ध्यान की अवस्था में आप प्रसन्नता, शांति व अनंत के विस्तार में होते हैं और यही गुण पर्यावरण को प्रदान करते हैं, इस प्रकार आप सृष्टी से सामंजस्य में स्थापित हो जाते हैं।
- ध्यान आप में सत्यतापूर्वक वैयक्तिक परिवर्तन ला सकता है। क्रमशः आप अपने बारे में जितना ज्यादा जानते जायेंगे, प्राकृतिक रूप से आप स्वयं को ज्यादा खोज पाएंगे।
ध्यान के लाभ कैसे प्राप्त करें
ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है। प्रतिदिन यह कुछ ही समय लेता है। प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है। ध्यान एक बीज की तरह है। जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है.
प्रतिदिन, सभी क्षेत्रों के व्यस्त व्यक्ति आभार पूर्वक अपने कार्यों को रोकते हैं और ध्यान के ताज़गी भरे क्षणों का आनंद लेते हैं। अपनी अनंत गहराइयों में जाएँ और जीवन को समृद्ध बनाएं।
छात्रों हेतु ध्यान के 5 लाभ
- आत्मविश्वास में वृद्धि
- अधिक केन्द्रित व स्पष्ट मन
- बेहतर स्वास्थ्य
- बेहतर मानसिक शक्ति व ऊर्जा
- अधिक गतिशीलता
ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है। प्रतिदिन यह कुछ ही समय लेता है। प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है। ध्यान एक बीज की तरह है। जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है.
दिन में २ बार २० मिनट का ध्यान पर्याप्त है।
ध्यान के कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राणतत्व (ऊर्जा) से भर जाती है। शरीर में प्राणतत्व के बढ़ने से प्रसन्नता, शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है।
ध्यान एक विश्राम है। यह किसी वस्तु पर अपने विचारों का केन्द्रीकरण या एकाग्रता नहीं है, अपितु यह अपने आप में विश्राम पाने की प्रक्रिया है। ध्यान करने से हम अपने किसी भी कार्य को एकाग्रता पूर्ण सकते हैं।
आप आर्ट ऑफ़ लिविंग के आगामी प्रोग्राम्स मे सही तरीके से ध्यान योग साधना सिख सकते है।
२० मिनट के लिए दिन में २ बार ध्यान काफी लबदायक होता है, आप सुबह और शाम के समय इससे कर सकते है।
आप अपने घर में एक शांत स्थान पर आराम से बैठे, अगर आप चाहें तो आप कुर्सी पर भी बैठ सकते है।बस यहीं ध्यान रखे के आप जहाँ भी बैठे है वहां कम्फर्टेबले है और स्थिर है। जैसे की महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में कहाँ है 'स्थिरसुखम् आसनम् ॥२.४६॥'
इस संसार मे जब हम पुरे दिन इन्वॉल्व रहते है, तो हम मानसिक और शारीरिक रूप से एग्जॉस्ट भी हो जाते है। हमें वापस अपनी ऊर्जा बढ़ाने के लिए और अपने साथ बैठने के लिए मैडिटेशन करना चाहिए है।
ध्यान गहन विश्राम लेने और एक ही समय में सतर्क और सचेत रहने का तरीका है!
आप आर्ट ऑफ़ लिविंग के सहज समाधी प्रोग्राम कर सकते जिसमे आपको एक बीज़ मंत्र दिया जाता है जिससे आप गहरे ध्यान में बहुत सरलता से उतर जाते है। आप आर्ट ऑफ़ लिविंग के एप्प या यूट्यूब चैनल द्वारा गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के गाइडेड मैडिटेशन भी कर सकते। दिन में २ बार ध्यान काफी लबदायक होता है, आप सुबह और शाम के समय इससे कर सकते है।