शिवरात्रि भजन, दिव्य नाद और आप!

शिवरात्रि भजन, दिव्य नाद और आप!

शिवरात्रि के समय, भजन गाने का प्रचलन है क्योंकि भजन त्योहारों और उत्सवों के पसंदीदा अंश हैं| और जब सैकड़ों लोग साथ मिलकर भजन गाते हैं तो वातावरण दिव्यता और आनंद से सराबोर हो जाता है| ये कैसे होता है?

ऐसा क्यों होता है कि कुछ विशेष ध्वनियाँ हमारे मन पर एक खास तरह का असर डालती हैं? महाशिवरात्रि के भजन का प्रभाव कैसा होता है?

ये प्रश्न पूछने वाले आप अकेले नहीं हैं| दरअसल आपसे पहले भी बहुत सारे लोगों के पास यही प्रश्न थे|

यह बात, भारत के दक्षिण बैंगलोर के एक छोटे से गाँव से शुरू होती है| एक आध्यात्मिक गुरु कुछ शिष्यों के साथ बैठे थे| नेपथ्य से कुछ मधुर संगीत की आवाज़ आ रही थी जिसमे कुछ बेसुरे सुर भी मिले जुले स्वर में गा रहे थे| कुछ समय बाद जब वातावरण थोड़ा शांत हुआ तब, बात चीत आरम्भ हुई -

एक शिष्य ने गुरूजी से पूछा: सत्संग के दौरान भजन गाने का कैसा प्रभाव पड़ता है?

गुरूजी ने उत्तर दिया: जब भी हम गाते हैं तो हमारा मन एक विशेष दिशा में एकत्रित रहता है| आपके मस्तिष्क के दो पहलू हैं, एक आपकी तार्किक सोच के लिए काम करता है और दूसरा क्रियात्मकता के लिए| तो कभी आप सोचते हैं और कभी गाते हैं| सत्संग दोनों का समन्वय है|

क्या आप हमें मंत्र जाप के विषय में बता सकते हैं? मैं जब भी जप करता हूँ, भीतर कुछ जागृत होता हुआ सा अनुभव करता हूँ| वह क्या है?

ये मंत्र अति प्राचीन हैं| ध्वनि तरंगे सदियों तक अंतरिक्ष में मौजूद रहती हैं| चूंकी ऊर्जा का विनाश संभव नहीं है इसीलिए ये ध्वनियाँ, विशाल चेतना में सदैव विद्यमान रहती हैं| हम जब भी इन प्राचीन मंत्रोच्चार का जाप करते हैं ये हमारे भीतर की गहराई तक पहुंचती हैं| इसीलिए वैदिक जप और मन्त्र सूक्ष्म स्तर पर हमारे अस्तित्व के सभी स्तरों पर सहायता करते हैं|

हमारा अस्तित्व लाखों वर्ष पुराना है तथा 'ॐ नमः शिवाय' का जाप तभी से शुरू हुआ| इसीलिए जब भी वह ध्वनि ऊर्जा आपको छूती है, आपके भीतर उसी तरंगदैर्घ्य की ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है| जब भी हम मंत्रोच्चार करते हैं, हमारी चेतना की अंतरतम सतह भी स्पंदन अनुभव करती है|

हाँ! ये सत्य है| यह वार्तालाप हुआ था| इसके बारे में और.. फिर कभी....

भजन से उत्पन्न ध्वनियों का एक विज्ञान है| वह बहुत विस्तृत तो है ही और साथ ही रोचक भी| तो इस शिवरात्रि भजन की ध्वनियों में एक हो जाएँ और आनंदोत्सव के लिए तैयार हो जाएँ| भजन मतलब- 'बांटना'| और भी रोचक तथ्य जानें-

  • मंत्र विद्युत् ऊर्जा की तरह होते हैं और जब भी आप सत्संग में गाते हैं, उससे निकलने वाली ऊर्जा आपके भीतर प्रवेश करती है जिससे आपकी ऊर्जा के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है|
  • मंत्र और ज्ञान हमारी चेतना पर गहरा असर डालते हैं| वे हमें ऊर्जावान बनाते हैं और हमारी चेतना को ऊपर उठाते हैं|
  • संगीत आकाश तत्त्व का गुण है| भजन गाने और मंत्रोच्चार करने से भीतर के आकाश तत्त्व में स्पंदन होता है| ध्वनि ऊर्जा अन्य सभी तत्वों को जीवित और समृद्ध करती है| ऐसा माना जाता है की यही तत्त्व मन को सँभालते हैं और आपको खुश और आनंदित बनाते हैं|
  • जब भी हम भजन गाते हैं, ध्वनि ऊर्जा हमारे शरीर के रोम रोम में अवशोषित हो जाती है| जैसे एक माइक्रोफोन ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है वैसे ही हमारा शरीर ध्वनि ऊर्जा को चेतना में परिवर्तित कर देता है|
  • गाने से हमारे भीतर स्थिरता आती है| गाना मतलब संगीत में डूब जाना, और उसके सुरों के साथ हो जाना, ध्यान में चले जाना और आनंदित हो जाना|

क्या महाशिवरात्रि भजन विशेष हैं?

हाँ, बिलकुल! महाशिवरात्रि भजनों की एक विशेषता है कि इनसे शांतिपूर्ण-स्पंदन की अनुभूति होती है| फिर या तो आप थिरकने पर मजबूर हो जाते हैं या फिर ध्यान की गहराई में डूब जाते हैं| यहाँ कुछ शिव मंत्र, भजन और स्तोत्र दिए गए हैं जिन्हे हमने ज़रूर सुने होंगे-

शिवोहम शिवोहम
'शिवोहम शिवोहम'- 'मैं शिव हूँ और शिव मै'| शिव तत्त्व, चेतना का सदैव नव-नूतन अस्तित्व है| इसे गाते-गाते ही आप अनुभव भी करने लगते हैं, परन्तु अनुभव के बावजूद भी शांत बैठे रहें|

शिव शम्भो शम्भो
शम्भो अर्थात 'सम्बोधन'; इसका अर्थ है -'अद्भुत'| भो अर्थात 'तुम /आप'; शं अर्थात कृपा, शांति, आनंद; शम्भो अर्थात 'अद्भुत चेतना'|

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय - संस्कृत भाषा के ये पांच अक्षर पांच तत्वों को अभिव्यक्त करते हैं - पृथ्वी,जल,अग्नि, वायु और आकाश| ॐ अर्थात ' परमेश्वर जो व्यक्त संसार कि अव्यक्त अभिव्यक्ति है| मन, बुद्धि,स्मृति,अहंकार और आत्मा चेतना के अव्यक्त पहलू हैं| प्रतिदिन १०८ बार इस मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है|

शिव लिंगाष्टकम
शिव लिंगाष्टकम भगवान् शिव का अति पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है| ऎसी मान्यता है कि जो भी शिवभक्त शिव लिंगम के इस अष्टपदी का भावपूर्वक जप करते हैं वे निश्चित ही मोक्ष को (शिवलोक) को प्राप्त करते हैं|

रुद्रम मंत्रोच्चार
श्री रुद्रम यजुर्वेद से लिया गया एक प्राचीन स्तोत्र है| यह एक अति महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली मंत्र है| यहाँ तक्क की जो भी होम / हवं किये जाते हैं उनमे रुद्रम का कुछ अंश अंश उच्चारित किया जाता है| रुद्रम कि एक विशेषता है कि यह सभी नकारात्मक दुर्गुणों से मुक्ति देता है|

भगवान् शिव का श्री रूद्राष्टकम स्तोत्रम-
यह स्तोत्र भगवान् शिव को समर्पित है| इसकी रचना हिन्दू भक्ति मार्गी संत तथा कवि तुलसीदास ने की थी| हिन्दू पुराणों के अनुसार यह भगवान् शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का एक शक्तिशाली तरीका है|

शिव षडाक्षरा स्तोत्रम
यह सुंदर स्तोत्र भगवान् शिव को समर्पित है| ऐसा कहते हैं कि इसे सुनने से ही मनुष्य में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है|

गुरुदेव कहते हैं, गीतों का मतलब जानना ज़रूरी नही है और न ही हम इसे किसी विशेष 'ईश्वर' के लिए गाते हैं| तो बस गायें और भजन की ऊर्जा और संवेदनाओं को अनुभव करें| यह गीत किसी 'विशेष' की प्रार्थना में नही गाये जाते ये तो बस अपने आप में डूब जानें के लिए एक माध्यम हैं| आप इसलिए गाते हैं ताकि आपके भीतर की ऊर्जा क्षेत्र का विस्तार हो| और ऊर्जा क्षेत्र दरअसल वही है जिससे हम और आप बने हैं|

तो फिर गायें, यदि आप थोड़ा बेसुरा भी गाते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता |

स्वयं को जानें, इस शिवरात्रि आर्ट ऑफ़ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बंगलुरू आपका स्वागत करता है| अधिक जानकारी के लिए- देखें www.artofliving.org/in-hi/mahashivratri

गुरुदेव के सत्संग पर आधारित|

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महाशिवरात्रि पर्व पर आर्ट ऑफ़ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र आपका स्वागत करता है| महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि को अत्यधिक प्रभावशाली "रुद्रम" सुनें और लाखों श्रद्धालुओं के साथ 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें तथा गहन ध्यान का अनुभव करें|

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